जानिए क्यों DRDO के दोनों अस्पताल हुए बंद, कोरोना महामारी की दूसरी लहर में जम्मू और श्रीनगर में बने थे अस्पताल
500 बेड के प्रत्येक अस्पताल का निर्माण दो सप्ताह के भीतर पूरा कर लिया गया था। दोनों अस्पतालों में 125-125 बेड आइसीयू के थे। कोविड के मरीज आना बंद होने के बाद इन अस्प्तालों को बंद कर दिया गया। दोनो ही अस्पताल स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को सौंप दिए।
By Vikas AbrolEdited By: Updated: Sat, 17 Sep 2022 07:14 PM (IST)
जम्मू, राज्य ब्यूरो। डीआरडीओ और स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के बीच बात नहीं बन पाई। कोविड के समय में डीआरडीओ द्वारा बनाए गए दोनों ही अस्पतालों को बंद कर दिया गया है और उन्हें तोड़ने का काम भी शुरू हो गया है। हालांकि श्रीनगर में अस्पताल तोड़ने का लोगों ने विरोध भी किया है। कोरोना की दूसरी लहर ने डीआरडीओ ने एक अस्पताल जम्मू के भगवती नगर में तो दूसरा श्रीनगर में बनाया गया था।
500 बेड के प्रत्येक अस्पताल का निर्माण दो सप्ताह के भीतर पूरा कर लिया गया था। दोनों अस्पतालों में 125-125 बेड आइसीयू के थे। कोविड के मरीज आना बंद होने के बाद इन अस्प्तालों को बंद कर दिया गया था। इसके बाद डीआरडीओ ने दोनो ही अस्पताल स्वास्थ्यएवं चिकित्सा शिक्षा विभाग जम्मू-कश्मीर को सौंप दिए। यह कहा गया कि इन अस्पतालों के निर्माण और इन पर लगे उपकरणों पर पंद्रह-पंद्रह करोड़ रुपये खर्च आए हैं। यह अदा करके इन्हें आप अपने नियंत्रण में ले सकते हैं।
विभाग ने इसके बाद अपने स्तर पर मूल्यांकन के लिए समिति का गठन किया और टीम ने इनमें लगे उपकरणों व अन्य सामान का मूल्यांकन किया। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार डीआरडीओ जम्मू के अस्पताल में लगे उपकरणों व अन्य सामान की कीमत टीम ने करीब पांच करोड़ रुपये आंकी जबकि श्रीनगर के डीआरडीओ अस्पताल की करीब साढ़े छह करोड़ रुपये कीमत आंकी। लेकिन डीआरडीओ अपनी मूल लागत मांग रहा था। यही नहीं जम्मू के अस्पताल का मासिक किराया भी दो से ढाई लाख रुपये था। दोनों ही पक्षों के बीच सहमति नहीं बन पाई। इसके बाद स्वस्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने दोनो ही अस्पताल को चलाने से मना कर दिया। अब दोनो ही अस्पतालों को तोड़ा जा रहा है। श्रीनगर के अस्पताल को तीन दिन पहले तोड़ने का काम शुरू हो गया था तो अब शनिवार को जीएमसी जम्मू काे तोड़ने का काम भी शुरू हो गया है। इसकी पुष्टि स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने भी की है।
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