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International Yoga Day 2022: 'क्रियायोग' जीवन और चेतना की ऊर्जाओं को नियंत्रित करने का विज्ञान है

योग का ऐसा ही एक स्वरूप है क्रियायोग जिसका प्रचार-प्रसार पश्चिम में करने हेतु ‘योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया’ के संस्थापक परमहंस योगानंदजी को 1920 में अमेरिका भेजा गया। क्रियायोग एक ऐसी प्रविधि है जिसका अभ्यास बाहरी जगत में ऊर्जा के प्रयोग के साधनों के समान शक्तिशाली है।

By Vikas AbrolEdited By: Updated: Tue, 21 Jun 2022 01:35 AM (IST)
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विश्व को बदलने का एकमात्र उपाय है- लोगों का आंतरिक आध्यात्मिक रूपांतरण।

जम्मू, जेएनएन। इस आधुनिक युग में, तकनीकी बाढ़ ने बाहरी सुख और मन बहलाव के इतने विकल्प उपलब्ध करा दिए हैं कि लोगों का पूरा ध्यान तथा ऊर्जा बाहरी संसार में ही लगे है। यह जीवन शैली आज की अधिकतर समस्याओं का कारण है। जब

तक प्राणशक्ति या ऊर्जा इंद्रियों में लिप्त रहेगी, चेतना अपने अंतरतम में निहित ज्ञान, आनंद और दिव्य प्रेम के अनंत भंडारों को भूली रहेगी। ऐसे में योग सभी समस्याओं का निदान बन कर उभरा है।

योग का ऐसा ही एक स्वरूप है 'क्रियायोग' जिसका प्रचार-प्रसार पश्चिम में करने हेतु ‘योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया’ के संस्थापक परमहंस योगानंदजी को 1920 में अमेरिका भेजा गया। क्रियायोग एक ऐसी प्रविधि है जिसका अभ्यास बाहरी जगत में ऊर्जा के प्रयोग के साधनों के समान शक्तिशाली है। भौतिक परिवेश में ऊर्जा प्रयोग की बाहरी तकनीकों के विपरीत क्रियायोग एक आंतरिक तकनीक है; यह जीवन और चेतना की ऊर्जाओं को नियंत्रित करने का विज्ञान है। यह विधि ठीक उसी तत्व के साथ काम करती है जो हमें अपने संकीर्ण व्यक्तित्व से जकड़े हुए है, अर्थात प्राणशक्ति।

इस विधि के द्वारा हम अपनी प्राणशक्ति को भीतर की ओर मोड़ना सीखकर सीधे आत्म- चेतना अर्थात ईश्वर तक पहुंच सकते है। औसत व्यक्ति की चेतना का केंद्र उसका शरीर और बाहरी दुनिया होता है। क्रियायोग का अभ्यास चेतना के केंद्र को स्थानांतरित कर, हृदय एवं श्वास को शांत कर,चेतना को शरीर से बांधने वाली प्राणशक्तियों का सचेतन नियंत्रण लाता है। इसका अभ्यास करने वाला अपनी चेतना को शरीर के अंगों से खींचकर मेरुदण्ड में एकत्रित करना सीख जाता है। परिणामस्वरूप, सामान्य रूप से बिखरी हुई प्राणशक्ति वापस अपने मूल केंद्रों में आकर प्रकाश के रूप में अनुभूत होती है।

तत्पश्चात, क्रियायोग का उत्तरोत्तर बढ़ता हुआ अभ्यास इस एकत्रित चेतना को मेरुदण्ड के केंद्रों से ऊपर उठाने में सहायक होता है। इस तरह धीरे-धीरे चेतना का केंद्र शरीर के अंगों से सिमटता हुआ और मेरुदण्ड में ऊपर उठता हुआ एक दिन मस्तिष्क में ब्रह्म के सिंहासन पर स्थानांतरित हो जाता है। अंततः साधक अपनी चेतना को सर्वज्ञता में स्थापित कर अनंत प्रज्ञा को प्राप्त करता है।

विश्व को बदलने का एकमात्र उपाय है- लोगों का आंतरिक आध्यात्मिक रूपांतरण। केवल शांति समझौतों से यह संभव नहीं है; कानून बनाकर हम लोगों को नहीं बदल सकते। लेकिन प्रेम व आध्यात्मिक नियमों द्वारा यह संभव है। क्रियायोग एक ऐसे ही मार्ग की अभिव्यक्ति है। ब्रह्मांड में व्याप्त व्यक्त अव्यक्त ऊर्जाओं का नियमन व सन्तुलन सिखाकर, 'क्रियायोग' साधक की चेतना में इच्छित परिवर्तन की प्रक्रिया को संभव बनाता है। ईश्वर और सद्गुरुओं ने

क्रियायोग के माध्यम से हमें स्वयं और विश्व को बदलने का एक साधन प्रदान किया है। पिछले 105 वर्षों से, योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया (वाईएसएस) योगानंदजी के पवित्र आध्यात्मिक- विज्ञान क्रियायोग और मानवीय कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित है। व्यापक रूप से “पश्चिम में योग के जनक” के रूप में सम्मानित, योगानंदजी विश्व स्तर पर वैज्ञानिक प्राणायाम (जीवन शक्ति नियंत्रण) प्रविधियों की प्रणाली सहित शिक्षाएं उपलब्ध कराने वाले पहले व्यक्ति थे। उनकी आत्म-साक्षात्कार प्रदायिनी क्रियायोग शिक्षाएं योगदा सत्संग पाठमाला में वर्णित हैं। - लेखिका अलकेश त्यागी 

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