आयुष्मान को लगा अमृत का झटका, सरकारी अस्पतालों में सर्जरी के मरीजों का नहीं हो रहा इलाज
राज्य में आयुष्मान भारत योजना करीब चार महीने पहले राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक भव्य कार्यक्रम में शुरू की थी। इसके तहत राज्य में अभी तक 11 लाख से अधिक लोगों के गोल्डन कार्ड भी बन चु
By Rahul SharmaEdited By: Updated: Tue, 02 Apr 2019 10:45 AM (IST)
जम्मू, [ रोहित जंडियाल ]। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना बिना तैयारी शुरू करने का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। विशेषतौर पर सर्जरी के लिए आने वाले मरीजों का सरकारी अस्पतालों में इलाज नहीं हो रहा है। उन्हें निजी अस्पतालों में ही भेजा रहा है। इसका प्रमुख कारण सरकारी अस्पतालों में दवाइयों के लिए विशेष रूप से खुलने वाले अमृत स्टोर न होना है।
राज्य में आयुष्मान भारत योजना करीब चार महीने पहले राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक भव्य कार्यक्रम में शुरू की थी। इसके तहत राज्य में अभी तक 11 लाख से अधिक लोगों के गोल्डन कार्ड भी बन चुके हैं। चार हजार के करीब लोगों का इलाज हो चुका है। राज्य में पचास निजी अस्पतालों को इस योजना के तहत पंजीकृत किया गया है जहां पर लोग अपना इलाज कैशलेस करवा सकते हैं। विडंबना यह है कि सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों के हाथ निराशा ही लग रही है।इस योजना के नियमों के अनुसार, सरकारी अस्पतालों में सरकार द्वारा खोले जाने वाले सस्ती दवाइयों के अमृत स्टोर या फिर जन औषधी स्टोरों से दवाइयां खरीदनी हैं। अगर निजी दुकानों से लेनी है तो भी उनके दाम अमृत स्टोर से अधिक नहीं होने चाहिए। अस्पतालों में अमृत स्टोर खोलने के लिए प्रक्रिया तो चल रही है, परंतु अभी तक कुछ भी नहीं हुआ। इससे अब सरकारी अस्पतालों में सर्जरी, आर्थोपैडिक्स, अाप्थमालोजी और रेडियोथेरेपी के मरीजों का इलाज नहीं हो रहा है। इसका कारण अमृत स्टोरों के मुकाबले बाजार में इम्प्लांट महंगे होना है। इससे अस्पताल प्रबंधन यह इम्प्लांट नहीं खरीद रहे हैं। मरीजों को निजी अस्पतालों में ही भेजा जा रहा है। आयुष्मान योजना के साथ जुड़े एक वरिष्ठ डाक्टर के अनुसार सरकारी अस्पतालों में कोडल औचारिकताएं पूरी करना बहुत मुश्किल होता है। इस कारण यह समस्या आती है।
एचएलएल लाइफ केयर खोलेगा स्टोरराज्य में एचएलएल लाइफ केसर के साथ अमृत स्टोर खोलने पर बातचीत चल रही है। कंपनी ने कुछ सप्ताह पहले स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव अटल ढुल्लु और अन्य अधिकारियों को विस्तार से जानकारी दी थी। इनमें 5200 प्रकार की दवाइयां व इम्प्लांट होंगे। बाजार के मुकाबले पचास प्रतिशत कम कीमत पर कैंसर की 202 और 186 कार्डियो वैस्क्यूलर बीमारी की दवाइयां मिलेंगी। इम्प्लांट के दाम भी बाजार के मुकाबले बहुत कम हैं।
जन औषधी के मात्र 43 स्टोरइस समय राज्य में जन औषधी के मात्र 43 स्टोर चल रहे हैं। इनमें से 18 केंद्र सरकारी हैं जबकि अन्य निजी स्तर पर खोले गए हैं। अन्य सरकारी अस्पतालों में भी जन औषधी स्टोर खोलने के लिए प्रकि्रया चल रही है। अस्पतालों में 24 जगहों पर और निजी स्तर पर 36 जगहों पर केंद्र खोलने के लिए जगह चिन्हित कर दी गई है। परंतु इन स्टोरों के साथ समस्या यह है कि इनमें अधिकांश दवाइयां मिलती ही नहीं हैं।
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