Ladakh News: कारगिल में बर्फ के अंदर दबे रहे जवानों के शव.... खोजने में लग गए नौ महीने, आखिर क्यों लग गया इतना समय?
पिछले साल लद्दाख के कारगिल में माउंट कुन चोटी पर ऊंचाई पर चढ़ाई का प्रशिक्षण लेने गए तीन अन्य जवानों के शव भी बरामद कर लिए गए हैं। करीब नौ महीने बाद जवानों का यह सफलता हाथ लगी है। अक्टूबर 2023 में सेना के 40 जवान ट्रेनिंग लेने गए थे तभी वहां हिमस्खलन हुआ जिसके बाद जवान वहां फंस गए।
डिजिटल डेस्क, जम्मू। लद्दाख में कारगिल की माउंट कुन चोटी पर हिमस्खलन की चपेट में आए सेना के तीन जवानों के पार्थिव शरीर नौ माह बाद बर्फ में दबे मिले हैं। जवानों के शवों को ढूंढने में इतना समय क्यों लगा। इसके बारे में एक रिटायर्ड सैन्य अधिकारी ने सोशल मीडिया के माध्यम से बताया है।
ब्रिगेडियर हरदीप सिंह सोही (सेवानिवृत्त) ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि कुछ लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर तीन जवानों के शव 9 महीने से ज्यादा समय तक दफन क्यों रहे और पहले उन्हें निकालने की कोशिश क्यों नहीं की गई।
'वह भारी नहीं, मेरा भाई है' ब्रिगेडियर ने एक्स पर लिखा
उन्होंने एक्स पर लिखा कि जब 8 अक्टूबर, 2023 को चार सैनिक खो गए, तो छह दिनों की खुदाई के बाद एक शव बरामद हुआ था। इस बार टीम RECCO रडार का उपयोग करके चेनसॉ और GREF ग्रेड फावड़ों के साथ गई और 9 दिनों की खुदाई के बाद शेष तीन को सफलतापूर्वक बरामद कर लिया। शव बर्फ से ढकी 70 फीट ऊंची दरार के नीचे दबे हुए थे।
“He Is Not Heavy,
He Is My Brother”
A Big Salute To #HAWSGulmarg for retrieving the bodies of three Havaldar Instructors who were buried in snow in Oct last year while undertaking an expedition to Mount Kun.
Jai Hind 🇮🇳🫡#IndianArmy #Kashmir pic.twitter.com/UIabDb8uAZ
इससे पहले उन्होंने एक्स पर लिखा कि 'वह भारी नहीं है,वह मेरा भाई है' पिछले साल अक्टूबर में माउंट कुन पर एक अभियान के दौरान बर्फ में दबे तीन हवलदार प्रशिक्षकों के शव निकालने के लिए गुलमर्ग टीम को मेरा सलाम
अभियान टीम ने शारीरिक व मानसिक रूप से कठिन इस अभियान को उच्च मनोबल के साथ पूरा किया। पार्थिव शरीर निकालने के लिए कई टन बर्फ हटाई गई। सेना अपने बलिदानियों के पार्थिव शरीर कभी पीछे नहीं छोड़ती।
बलिदानियों के पार्थिव शरीर पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनके परिवारों को सौंप दिए गए हैं। उनके स्वजन लंबे समय से अपने प्रियजनों को अंतिम विदाई देने का इंतजार कर रहे थे।
-ब्रिगेडियर एसएस शेखावत, डिप्टी कमांडेंट, हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल, गुलमर्ग
आठ अक्टूबर को क्या हुआ था
आठ अक्टूबर, 2023 को बारामूला जिले के गुलमर्ग स्थित सेना के हाई एल्टीट्यूड वॉरफेयर स्कूल के 40 सैन्यकर्मियों की टुकड़ी माउंट कुन के नजदीक 18,300 फीट से अधिक की ऊंचाई पर चढ़ाई का प्रशिक्षण ले रही थी।
इसी दौरान भारी बर्फबारी हुई और हिमस्खलन हो गया। जिसके बाद जवान फंस गए थे। हादसे में बलिदान हुए लॉन्स नायक स्टैनजिन टार्गिस का पार्थिव शरीर उसी दिन बरामद कर लिया गया था, जबकि तीन सैन्यकर्मी हवलदार रोहित कुमार, हवलदार ठाकुर बहादुर आले व नायक गौतम राजवंशी बर्फ में दबने से लापता हो गए थे।
हवलदार ठाकुर उत्तराखंड के रहने वाले थे। अब गर्मी में बर्फ पिघली तो हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल के दल ने बर्फ हटाने का काम शुरू किया। बलिदानियों को समर्पित इस ऑपरेशन का नाम आरटीजी (रोहित-ठाकुर-गौतम) रखा गया। जवानों ने नौ दिन तक बर्फ हटाई।
हर दिन 12 घंटे किया काम
इस मिशन के तहत 88 सैन्य कर्मियों की टीम ने कठिन हालात में प्रत्येक दिन 12 घंटे तक काम किया और तीनों बलिदानियों के पार्थिव शरीर बर्फ की मोटी परतों के बीच दरार से बरामद कर लिया। ये सैनिक चोटी पर तिरंगा फहराने के 13 सदस्यीय अभियान पर निकले थे।
आठ अक्टूबर, 2023 को इस दल के कैंप दो व तीन के बीच बर्फ की दीवार पर रस्सियां लगाते समय जवान फरियाबाद ग्लेशियर में हिमस्खलन की चपेट में आ गए थे।
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