Zojila Tunnel का निर्माण कार्य 40 प्रतिशत पूरा, सुरंग बनने के बाद आम लोगों के साथ सेना को होगा फायदा
लद्दाख को पूरा साल सड़क मार्ग से शेष देश से जोड़े रखने के लिए 13 किलोमीटर Zojila Tunnel बनाने की महत्वकांक्षी परियोजना का 40 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। श्रीनगर-कारगिल-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर करीब 11578 फीट की ऊंचाई पर बन रही सुरंग रणनीतिक रूप से अहम होगी। आम लोगों के साथ चीन व पाकिस्तान से लगती सीमाओं की सुरक्षा कर रही सेना को भी लाभ होगा।
By Jagran NewsEdited By: Rajat MouryaUpdated: Sun, 30 Jul 2023 09:20 PM (IST)
जम्मू, राज्य ब्यूरो। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को पूरा साल सड़क मार्ग से देश के साथ जोड़े रखने के लिए 13 किलोमीटर जोजिला टनल बनाने की महत्वकांक्षी परियोजना पर 40 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। श्रीनगर-कारगिल-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर 11,578 फुट की ऊंचाई पर बन रही यह टनल रणनीतिक रूप से अहम होगी। इस टनल के बनने से आम लोगों के साथ चीन, पाकिस्तान से लगती सीमाओं की सुरक्षा कर रही सेना को भी बहुत फायदा होगा।
टनल के बनने से जोजिला पास (Zojila Pass) क्षेत्र को पार करने में सिर्फ 15 मिनट का समय लगेगा। इस समय भारी बर्फबारी का सामना करने वाले जोजिला से गुजरने में लगभग चार घंटे का समय लगता है। जोजिला सर्दियों के महीनों में भारी बर्फबारी के कारण बंद हो जाता है। जोजिला टनल निमार्ण में जुट कर्मचारियों को मौसम की कठिन चुनौतियों को सामना करना पड़ रहा है। यही कारण है कि इस बनाने के लिए तय समय अवधि को बढ़ाना पड़ रहा है।
दिसंबर 2030 में बनकर तैयार होगी टनल
पहले टनल निमार्ण को पूरा करने के लिए दिसंबर 2026 का लक्ष्य तय किया गया था। अब पेश आ रही चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए टनल पूरा करने की समय सीमा को बढ़ाकर दिसंबर 2030 कर दिया गया है। यह जानकारी सीमा सड़क संगठन के कैप्टन आईके सिंह ने दी है। उनका कहना है कि टनल बनने के बाद हर मौसम में लद्दाख के लिए सड़क संपर्क बहाल रहेगा।बालटाल से द्रास तक बन रही अप्रोच रोड
मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के निर्माण प्रबंधक इम्तियाज अहमद ने बताया कि कश्मीर के गांदरबल जिले के बालटाल से लद्दाख के कारगिल जिले के द्रास के मिनीमर्ग तक बन रही 13 किलमीटर की इस टनल तक पहुंचने के लिए 18 किलोमीटर लंबी अप्रोच रोड भी बन रही है। ऐसे में सोनमर्ग से मिनीमार्ग तक परियोजना की कुल लंबाई 31 किलोमीटर है। दोनों परियोजनाओं पर इस समय काम तेजी से चल रहा है।
उन्होंने बताया कि टनल निमार्ण के लिए इस समय ऑस्ट्रेलिया की टनलिंग पद्धति का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे टनल बनाते समय होने वाली दुर्घटनाओं की संभावना कम हो जाती है। इसके साथ टनल बनाने के काम को भी तेजी मिलती है। यूरोप और उत्तरी अमेरिका में टनल बनाने में इसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।
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