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कश्मीर के सेबों की गुलामी से आजाद हुए लद्दाखी सेब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के बाजारों में फैला रहे हैं महक-स्वाद का जादू

लद्दाख से उड़कर अन्य राज्यों में पहुंच रहे सेब इस समय करीब 200 रुपये किलो के भाव में दिल्ली आंध्र प्रदेश कर्नाटक केरल उत्तर प्रदेश में बिक रहे हैं।दो हजार किलो लद्दाखी सेबों की खेप लेह से स्पाइसजेट के एयर कारगो में 10 राज्यों में भेज दी गई।

By Vikas AbrolEdited By: Updated: Sun, 12 Dec 2021 07:22 AM (IST)
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पहले लद्दाख के गांवों में होने वाले सेबों के लिए खरीदार नहीं मिलते थे।
जम्मू, विवेक सिंह : लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश क्या बना, क्षेत्र के करचीछू सेबों को भी कश्मीर के सेबों की गुलामी के बंधन से आजादी मिल गई। कश्मीर केंद्रित सरकारों के कार्यकाल में न सिर्फ लद्दाख के लोगों के साथ बल्कि क्षेत्र के सेबों के साथ भी भेदभाव हुआ।

अब लद्दाख की आजाद फिजा से पहली बार लद्दाखी सेब देश के विभिन्न बाजारों में अपनी महक व स्वाद का जादू फैलाने के लिए पहुंच गए हैं। लद्दाख से उड़कर अन्य राज्यों में पहुंच रहे सेब इस समय करीब 200 रुपये किलो के भाव में दिल्ली, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, उत्तर प्रदेश में बिक रहे हैं। देश के अन्य राज्यों में अपनी विभिष्ट पहचान बनाने के लिए गत शुक्रवार को करीब दो हजार किलो लद्दाखी सेबों की खेप लेह से स्पाइसजेट के एयर कारगो में देश के 10 राज्यों में भेज दी गई। इन सेबों को देश के बाजारों तक पहुंचाने के लिए हिमालयन लद्दाख एग्रो प्रोडक्टस सहयोग दे रहा है।

लद्दाख के सेब विश्व के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन के करीब स्थित सुमूर गांव के साथ नोबरा, नीमा व आसपास के गांवों से आते हैं। ये सेब लद्दाख के कारगिल जिले के शिलिकचे व करकीछू इलाकों में उगाए जाते हैं।

स्वाद व रंगत में कश्मीर के सेबों से कहीं अधिक बेहतर :

लद्दाख की आवो हवा सेबों की पैदावार के लिए उपयुक्त है। सेब को अधिक रोशनी के साथ अधिक ठंड व कम नमी की जरूरत होती है। यह सब लद्दाख में है। इसलिए यहां के सेब स्वाद व रंगत में कश्मीर के सेबों से कहीं अधिक बेहतर हैं। यहां का सेब अधिक लाल व मीठा है। इससे साथ ये काफी समय तक ताजा भी रहते हैं।

किसानों को अच्छे दाम मिल रहे :

पहले लद्दाख के गांवों में होने वाले सेबों के लिए खरीदार नहीं मिलते थे। सेना के जवान ही गांव वासियों से 30-32 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदते थे। अब इससे दोगुने से भी अधिक दाम मिल रहे हैं। ऐसे में सेब की खेती से जुड़े लद्दाख के किसानों के लिए अच्छे दिन आ गए हैं।

पूरी तरह आर्गेनिक हैं लद्दाख के सेब :

लद्दाख बागवानी विभाग के सचिव रविंद्र कुमार ने कहा कि हमारी पूरी कोशिश रहेगी कि अगले सीजन में यहां के सेब को देश के हर कौने तक पहुंचाया जाए। ये सेब पूरी तरह से आर्गेनिक हैं। उन्होंने बताया कि लद्दाख में सेबों की पैदावार चार हजार टन है। पहले लद्दाख के सेब बाहर नहीं भेजे जाते थे। इस बार लद्दाख के सेबों को देश के बाजारों में भेजने से किसान उत्साहित हैं। हमारी पूरी कोशिश है कि लद्दाख में बागवानी को बढ़ावा मिले। लद्दाख की खुबानी को इस बार दुबई तक भेजा गया है। क्षेत्र में करीब 15 हजार टन खुबानी पैदा होती है, जो देश में पैदा होने वाली खुबानी का साठ प्रतिशत है।

लद्दाख के सेब पर था कश्मीर का अघोषित प्रतिबंध : महावीर

सेब को देश के विभिन्न हिस्सों में भेजने वाली हिमालयन लद्दाख एग्रो प्रोडक्टस के सदस्य महावीर का कहना है कि लद्दाखी सेबों पर पहले कश्मीर का अघोषित प्रतिबंध था। लद्दाख के सेब देश के बाजारों में कश्मीर के सेबों को टक्कर न दें, इसलिए उन्हें बाहर नहीं भेजा जाता था। अब बदले हालात में लद्दाख का सेब बाजार में साबित करेगा कि वह कश्मीर के सेबों से कहीं बेहतर है। उन्होंने बताया कि लद्दाख में करकीचू सेब समेत सेबों की 15 किस्में हैं। यह सेब कश्मीर के सेब से कहीं अच्छा है।

तिब्बत के ब्लैक डायमंड सेब की तरह है लद्दाखी सेब

लद्दाख के सियाचिन के सुमूर गांव में उगाए जाने वाले सेब विश्व के बाजारों में बहुत महंगे बिकने वाले तिब्बत के ब्लैक डायमंड सेब से मिलते हैं। कहा जाता है कि सिल्क रूट से तिब्बत से लद्दाख आने वाले कुछ व्यापारी अपने साथ ब्लैक डायमंड सेब के पेड़ की टहनियां लाए थे। उन्होंने सुमूर में इन सेबों की ग्राफ्टिंग की थी। ऐसे में सुमूर में उगने वाले सेब ब्लैक डायमंड सेब की तरह दिखते हैं। 

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