लद्दाख लोकसभा सीट से इकलौते निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरे हाजी हनीफा जान (Hazi Hanifa Jaan) ने जीत हासिल कर ली है। लद्दाख लोकसभा सीट (Ladkah Lok Sabha Election Result 2024) के लिए मतगणना के नतीजों ने क्षेत्र से हैट्रिक बनाने का भाजपा का सपना तोड़ दिया। वहीं कांग्रेस भी क्षेत्र में खोया जनाधार हासिल करने में फिर नाकाम साबित हुई।
विवेक सिंह, जम्मू। राज्य दर्जे, संवैधानिक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर कारगिल जिले से राजनीतिक, सामाजिक व धार्मिक संगठनों के संयुक्त उम्मीदवार हाजी हनीफा जान ने लद्दाख लोकसभा सीट से जीत हासिल कर ली है।
लद्दाख के कारगिल से चुनाव मैदान में उतरे इकलौते निर्दलीय उम्मीदवार हाजी हनीफा जान (Hazi Hanifa Jaan) ने जिले से शिया वोट को एकजुट कर भाजपा व कांग्रेस के उम्मीदवारों को करारी शिकस्त दी। त्रिकोणीय मुकाबले में लेह से बौद्ध वोट दो उम्मीदवारों में विभाजित होने से लद्दाख की राजनीति में कारगिल का पलड़ा भारी हो गया।
सोरिंग नामग्याल और ताशी ग्यालसन को दी मात
मंगलवार को लद्दाख लोकसभा सीट के लिए मतगणना के नतीजों ने क्षेत्र से हैट्रिक बनाने का भाजपा का सपना तोड़ दिया। वहीं कांग्रेस भी क्षेत्र में खोया जनाधार हासिल करने में फिर नाकाम साबित हुई।केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद लद्दाख में पहली बार हुए लोकसभा चुनाव में हाजी हनीफा जान ने कांग्रेस के सेरिंग नामग्याल व भाजपा के ताशी ग्यालसन को मात दी।
इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन की काउंटिंग के 26वें व अंतिम राउंड में आए नतीजों में हाजी हनीफा जान को 64443 वोट मिले। वहीं दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के सेरिंग नामग्याल को 35770 व तीसरे स्थान पर रहे भाजपा के ताशी ग्यालसन को 31505 वोट मिले।
लद्दाख के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने निर्दलीय हाजी हनीफा जान के जीतने के बाद उन्हें प्रमाणपत्र दिए जाने की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि मतगणना के आंकड़ों में पोस्टल बैलेट से मिले वोट जोड़ना अभी बाकी है।
कुल 1.84 लाख मतदाताओं ने दिया वोट
लद्दाख के कुल 1.84 लाख वोटाें में से 20 मई को मतदान में पड़े 1.34 लाख वोटों की गिनती लेह के सिंधु संस्कृति केंद्र व कारगिल के कुरबाथांग में कड़ी सुरक्षा के बीच हुई है। लेह में इवीएम की काउंटिंग व पोस्टल बैलेट की काउंटिंग के लिए 14-14 काउंटिंग टेबल स्थापित किए गए थे।वहीं कारगिल में वोटों की गिनती के लिए 12 काउंटिंग टेबल स्थापित किए गए थे। लगातार बढ़त हासिल करने वाले हाजी हनीफा ने सुबह साढ़े ग्यारह बजे तक हुई वोटों की गिनती में 28534 वोट हासिल कर 15535 वोटों की बढ़त बनाई थी।
उनके निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के सेरिंग नामग्याल को 12999 वोट मिले थे। वहीं भाजपा के ताशी ग्यालसन को 11335 वोट मिले थे। इसके बाद हाजी हनीफा जान से मतगणना में लगातार बढ़त बनाए रखी।
कारगिल ने अपना शिया वोट नहीं होने दिया विभाजित
एकजुटता से लद्दाख की राजनीति पर हावी होने के लिए इस बार कारगिल ने अपना शिया वोट विभाजित नही होने दिया। तय रणनीति के तहत जिले के धार्मिक, सामाजिक संगठनों ने हनीफा जान के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे सज्जाद कारगिली को नाम वापस लेने को राजी कर चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत की थी।
वहीं लेह से दो उम्मीदवार उतरने से बौद्ध वोट विभाजित होने से हाजी हनीफा जान की जीत तय हो गई। इस बार लद्दाख के कुल 1.84 लाख मतदाताओं में भी कारगिल का पलड़ा भारी था। शिया मुस्लिम बहुल कारगिल में 95,926 वोटर तो बौद्ध बहुल लेह जिले में 88,877 मतदाता थे।
लेह में इस बार 67.14 फीसदी हुआ मतदान
इसके साथ बीस मई को हुए लद्दाख में हुए 72 प्रतिशत मतदान में भी कारगिल हावी रहा। लेह में इस बार यहां 67.14 प्रतिशत मतदान हुआ तो वहीं कारगिल जिले में 76.15 प्रतिशत मतदान हुआ था।
इस चुनाव में कारगिल से एक उम्मीदवार उतार कर शिया वोट को एकजुट करने की रणनीति शिया धार्मिक संगठन इस्लामिया स्कूल ने बनाई थी। इस्लामिया स्कूल के प्रभाव में ही 2019 में भाजपा के जामयांग सेरिंग नामग्याल को टक्कर देने वाले कारगिल से निर्दलीय उम्मीद सज्जाद कारगिली, अपना नाम वापस लेने के लिए राजी हुए।वर्ष 2019 में शिया वोट विभाजन कारगिल की हार का कारण बना था। भाजपा के जामयांग सेरिंग नामग्याल को 42914 वोट लेकर जीते थे। इस बार नाम वापस लेने वाले निर्दलीय सज्जाद कारगिली 31,984 वोट लेकर दूसरे नंबर पर रहे थे।
वहीं कारगिल से निर्दलीय असगर करगलई को 29,365 वोट मिले। कारगिल से दो निर्दलीय उम्मीदवारों ने मिलकर जिले से 61 हजार से अधिक वोट लिए थे। वहीं कांग्रेस के रिगजिन स्पालबार 21,241 वोट लेकर चौथे स्थान पर रहे थे। इस बार कारगिल में पांच साल पहले की गलती न दोहराते हुए कामयाबी पाई।
कारगिले से अब तक 5 उम्मीदवारों ने जीती है लद्दाख सीट
कारगिल जिले से अब तक चुनाव में उतरे 5 उम्मीदवारों ने लद्दाख लोकसभा सीट जीती हैं। इनमें से 4 उम्मीदवार निर्दलीय रूप से चुनाव मैदान में उतरे थे। निर्दलीय हाजी हनीफा जान से पहले कारगिल से हसन खान वर्ष 2009 में निर्दलीय के रूप में जीते थे।
इससे पहले हसन खान वर्ष 1999 में नेशनल कांफ्रेंस की टिकट पर जीते थे। वहीं कारगिल से नेशनल कांफ्रेंस के सैयद हुसैन वर्ष 1998 उपचुनाव में जीते थे। जिले से मोहम्मद हसन कमांडर वर्ष 1989 निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीते थे।
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