Kashmir: आतंकवाद के खिलाफ प्रशिक्षित इश्फाक पुलिस की नौकरी छोड़ बन गया था A++ श्रेणी का आतंकी
घाटी में आतंकवाद से लड़ने के लिए उसे जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा उच्च प्रशिक्षण भी दिया गया था। पुलिस अधिकारियों को क्या पता था कि वे शोपियां के हफ श्रीमल के रहने वाले डार को प्रशिक्षित कर रहे हैं वह इसका इस्तेमाल आतंकवादियों के खिलाफ नहीं बल्कि सुरक्षाबलों के खिलाफ करेगा।
By Rahul SharmaEdited By: Updated: Mon, 19 Jul 2021 12:21 PM (IST)
श्रीनगर, राहुल शर्मा: दक्षिण कश्मीर के जिला शोपियां के चक सादिक खान इलाके में सुरक्षाबलों द्वारा आज तड़के मारा गया लश्कर-ए-तैयबा का टॉप कमांडर इश्फाक अहमद डार आतंकी बनने से पहले पुलिस में था। इश्फाक वर्ष 2012 में पुलिस फोर्स में शामिल हुआ। कठुआ ट्रेनिंग कैंप से वापस घर लाैटते हुए वह अचानक लापता हो गया और उसके कुछ दिन बाद पता चला कि वह लश्कर-ए-तैयबा मेंं शामिल हो चुका है।
आतंकवाद में वर्ष 2017 से सक्रिय इश्फाक पिछले पांच सालों के भीतर कई आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दे चुका है। यही वजह है कि पुलिस ने उसे आतंकवादियों की टॉप लिस्ट में A++ श्रेणी में रखा था। जम्मू-कश्मीर पुलिस में बतौर कॉन्स्टेबल नियुक्त इश्फाक विशेष अभियान समूह का हिस्सा हुआ करता था। कश्मीर घाटी में आतंकवाद से लड़ने के लिए उसे जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा उच्च प्रशिक्षण दिया गया था। पुलिस अधिकारियों को क्या पता था कि वे शोपियां के हफ श्रीमल के रहने वाले डार को प्रशिक्षित कर रहे हैं, वह इसका इस्तेमाल आतंकवादियों के खिलाफ नहीं, बल्कि सुरक्षाबलों के खिलाफ करेगा।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि नौकरी के दौरान वह काफी चुस्त-दुरुस्त था। उनकी कार्य प्रणाली से प्रभावित होकर पुलिस विभाग ने उसे कठुआ ट्रेनिंग कैंप में भेजा। 14 अक्टूबर 2017 में जब डार ट्रेनिंग कैंप से छुट्टी लेकर घर वापस लौट रहा था, तभी वह अचानक लापता हो गया।
परिजनों ने उसकी काफी तलाश की। जब कई दिनों तक उसका कोई अता-पता नहीं चला तो उन्होंने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट संबंधित पुलिस थाने में भी दर्ज करवाई। 24 अक्टूबर को डार को ट्रेनिंग कैंप में वापस रिपोर्ट करना था परंतु उसने ऐसा नहीं किया। उसी दौरान एक फोटो वायरल हुई। तस्वीर में इश्फाक काले रंग की टोपी पहने एके-47 राइफल पकड़े हुए था। तस्वीर में लिखा था कि इश्फाक उर्फ अबू अकरम लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हो गया है।
डीजीपी दिलबाग सिंह ने आज इश्फाक के मारे जाने की पुष्टि करते हुए कहा कि पुलिस उसकी कई आतंकी हमलों में तलाश कर रही थी। यह तलाश उस समय तेज हो गई, जब उन्हें यह पता चला कि श्रीनगर पुलिस इंस्पेक्टर, मोबाइल मालिक की हत्या के अलावा ग्रेनेड हमले में मारे गए तीन नागरिकों की मौत में भी उसी का हाथ था।
आपको जानकारी हो कि यह पहली बार नहीं है, जब कोई पुलिसकर्मी राज्य में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हुआ है। अतीत में ऐसे कई मामले हैं, जब पुलिसकर्मी पुलिस बल छोड़ आतंकवादी संगठनों में शामिल हो गए। सूत्रों का कहना है कि जिस साल डार आतंकी संगठन में शामिल हुआ उसी साल 2017 मई में शोपियां का एक पुलिस कांस्टेबल सैयद नवीद मुश्ताक और जुलाई में सेना का सिपाही जहूर अहमद ठोकर भी आतंकवादी संगठन में शामिल हो गया।
नवीद मुश्ताक मध्य कश्मीर के बडगाम जिले में भारतीय खाद्य निगम (FCI) गोदाम के गार्ड पोस्ट से चार राइफल लेकर भाग गया और हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया था। इसी तरह पुलवामा का एक सेना का सिपाही जहूर अहमद ठोकर उत्तरी कश्मीर के बारामूला के गंतमुल्ला में अपनी एके 47 और तीन मैगजीन के साथ फरार होकर आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद में शामिल हो गया था। यही नहीं, उसी दौरान पुलिस ने आतंकवादियों को हथियार व गोलाबारूद पहुंचाने के लिए दो पुलिसकर्मियों को भी गिरफ्तार किया था।
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