Kashmir: अंतिम सांस तक लड़ वीरता की मिसाल बन गए मेजर सोमनाथ, कहा था- दुश्मन को एक इंच आगे न बढ़ने दूंगा
सेना के वरिष्ठ अधिकारियों और जवानों ने कश्मीर के बड़गाम में शहीद मेजर सोमनाथ शर्मा के शहीदी स्मारक पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके साथ सेना की उत्तरी कमान के अन्य सैन्य प्रतिष्ठानों में भी मेजर सोमनाथ को श्रद्धसुमन अर्पित किए गए।
By Rahul SharmaEdited By: Updated: Tue, 03 Nov 2020 11:57 AM (IST)
जम्मू, राज्य ब्यूरो: कश्मीर पर कब्जा करने की पाकिस्तान की साजिश को नाकाम बनाते शहीद हुए देश के पहले पमरवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ ने वीरता की नई मिसाल कायम थे। दुश्मन को एक इंच आगे न बढ़ने देने के अपने प्रण को उन्होंने प्राणों की आहूति देकर निभाया।
ऐसे में मंगलवार काे उनके 73वें शहीदी दिवस पर सेना की उत्तरी कमान ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित कर जम्मू कश्मीर व लद्दाख में चीन व पाकिस्तान से लगती देश की एक एक इंच की जमीन की रक्षा करने के अपने प्रण को दोहराया।आपरेशन बडगाम के हीरो मेजर सोमनाथ शर्मा सेना की 4 कुमाउं रेजीमेंट के अधिकारी थे। दुश्मन हमसे पचास गज की दूरी पर है, वह हमसे संख्या में कहीं अधिक है, लेकिन हम एक भी इंच पीछे न हटते हुए अंतिम व्यक्ति , अंतिम गोली तक लड़ेंगे। ये 3 नवंबर 1947 को दुश्मन पर टूट पड़े मेजर सोमनाथ के अंतिम शब्द थे। मेजर सोमनाथ ने दुश्मन के मंसूबों को नाकाम बनाने के लिए बडगाम में शहादत दी थी। उन्हें असाधारण बहादुरी के लिए देश का पहला परमवीर चक्र मिला। वह आज देश की सीमाओं की रक्षा के लिए तैयार खड़े सैनिकों के प्रेरणास्त्रोत हैं।
मंगलवार को सेना के वरिष्ठ अधिकारियों और जवानों ने कश्मीर के बड़गाम में शहीद मेजर सोमनाथ शर्मा के शहीदी स्मारक पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके साथ सेना की उत्तरी कमान के अन्य सैन्य प्रतिष्ठानों में भी मेजर सोमनाथ को श्रद्धसुमन अर्पित किए गए।
कश्मीर पर कब्जा करने के लिए पाकिस्तान ने 22 अक्टूबर 1947 को कश्मीर पर हमला बाेल दिया था। महाराजा की फौज के कमांडर ने 26 अक्टूबर तक दुश्मन को उड़ी में रोक सुनिश्चित किया कि लोहा लेने को भारतीय सेना पहुंच जाए। ऐसे में 27 अक्टूबर को कश्मीर को बचाने के लिए पहुंची सेना के साथ मेजर सोमनाथ भी पहुंचे थे। कबायलियों के साथ पाकिस्तान की सेना के जवान भी थे। दुश्मन श्रीनगर के एयरपोर्ट पर कब्जा करने के लिए आगे बढ़ रहा था। ऐसे में मेजर सोमनाथ ने दुश्मन को बड़गाम में रोक लिया। इधर बड़गाम में लड़ाई जारी थी, उधर भारतीय सेना के पहुंचने का सिलसिला जारी था। ऐसे में अंतिम तक सांसद तक लड़ते हुए मेजर सोमनाथ ने भारतीय सेना की ओर बटालियनों के आने तक दुश्मन को राेका कर रखा।
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