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Property tax: संपत्ति कर के मुद्दे पर सियासत कर रहे लोगों को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की चेतावनी

Property tax उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि जम्मू कश्मीर के आम शहरियों किसानों व्यापारियों वैज्ञानिकों के लिए राजभवन के दरवाजे 24 घंटे खुले हैं। अगर उनकी कोई तर्कसंगत समस्या है तो उसके समाधान के लिए प्रशासन हर समय तैयार ।

By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Sat, 04 Mar 2023 08:26 AM (IST)
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संपत्ति कर के मुद्दे पर सियासत कर रहे लोगों को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की चेतावनी
जम्मू, जागरण संवाददाता। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने संपत्ति कर के मुद्दे पर सियासत कर रहे तत्वों को कठोर चेतावनी देते हुए कहा कि इसे सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि व्यावसायिक संपत्तियों पर भी कर बहुत कम है।

विभिन्न नगर पालिकाओं में रहने वाली 40 प्रतिशत आबादी कर के दायरे से बाहर हैं और शेष आबादी को मामूली कर देना है। उन्होंने कहा कि व्यावसायिक संपत्ति के मालिक लाखों रुपये बतौर किराया कमाएंगे और नगर निगम को पांच हजार रुपये भी टैक्स नहीं देंगे तो संबंधित प्रशासन कैसे काम करेगा?

उपराज्यपाल की दो टूक

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि जम्मू कश्मीर के आम शहरियों, किसानों, व्यापारियों, वैज्ञानिकों के लिए राजभवन के दरवाजे 24 घंटे खुले हैं। अगर उनकी कोई तर्कसंगत समस्या है तो उसके समाधान के लिए प्रशासन हर समय तैयार है, उनका पक्ष सुना जाएगा। लेकिन कुछ रसूखदार लोग अपने फायदे के लिए आम लोगों में संपत्ति कर के मुद्दे पर भ्रम पैदा कर रहे हैं, जिन्हें प्रशासन कभी सहन नहीं करेगा।

जनता की भलाई के लिए का करेगा प्रशासन

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि अपने पद और कानून का दुरुपयोग कर कुछ लोगों ने बड़े पैमाने पर अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत संपदा जमा की है, लेकिन अब इनका समय बीत चुका है। अब जम्मू कश्मीर का प्रशासन कुछ खास एक-दो हजार विशेष लोगों के लिए नहीं बल्कि इस प्रदेश की 1.30 करोड़ जनता की भलाई के लिए काम करेगा।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बताया कि जम्मू कश्मीर के सभी छोटे बड़े शहरों में कुल 5.20 लाख मकानों में से 2.06 लाख संपत्ति कर के दायरे में नहीं आते। इनके अलावा 2.03 लाख मकान एक हजार से डेढ़ हजार वर्ग फुट में हैं और इनका कर भी एक हजार के आसपास ही है।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में संपत्ति कर को लेकर लगातार विरोध जारी है। आम जनता के साथ-साथ घाटी के बड़े राजनीतिक चेहरे इस टैक्स का विरोध कर रहे हैं और इसे घाटी के लोगों पर जबरन लादा जाने वाला एक बोझ बता रहे हैं। 

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