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Militancy In Kashmir : काबुल जेल से कश्मीर में ISJK का सूत्रधार आतंकवादी अहंगर गायब, सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट

IS Commander Ejaz Ahmed Ahangar पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ अहंगर का इस्तेमाल अफगानिस्तान में तालिबान व आइएसकेपी के बीच आने वाले समय में समझौते के लिए करने के अलावा अपने मुल्क में आइएसकेपी की गतिविधियों पर अंकुश लगाने में भी करेगी।

By Rahul SharmaEdited By: Updated: Sun, 29 Aug 2021 12:28 PM (IST)
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अहंगर को कश्मीर में आइएसजेके (इस्लामिक स्टेट आफ जम्मू कश्मीर) का सूत्रधार माना जाता है।
श्रीनगर, नवीन नवाज : अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद काबुल जेल से आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएस) का नामी कमांडर एजाज अहमद अहंगर उर्फ उसामा कश्मीरी गायब हो गया है। इससे भारत की सभी खुफिया और सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। आशंका जताई जा रही है कि अहंगर को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ गुलाम कश्मीर में पनाह दे सकती है। अहंगर का इस्तेमाल भारत के खिलाफ हिंसा फैलाने व जम्मू कश्मीर में दम तोड़ रहे आतंकवाद को फिर सुलगाने के लिए किया जा सकता है।

अलगाववादियों व आतंकियों का गढ़ रहे श्रीनगर के डाउन-टाउन के नवाकदल के रहनेे वाले अहंगर के जम्मू कश्मीर में सभी संपर्क सूत्रों को सुरक्षा एजेंसियां खंगाल रही हैं। कारण यह है कि अहंगर ने आइएसकेपी (इस्लामिक स्टेट आफ खुरासान प्राविंस) व उससे पहले अल-कायदा में रहते हुए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के इशारों पर ही काम किया है। अहंगर को कश्मीर में आइएसजेके (इस्लामिक स्टेट आफ जम्मू कश्मीर) का सूत्रधार माना जाता है। उसका एक बेटा और दामाद भी अफगानिस्तान में अमेरिकी फौज के ड्रोन हमले में मारे जा चुके हैं।

काबुल के शोर बाजार स्थित 400 साल पुराने गुरुद्वारे पर बीते साल हुए आतंकी हमले की साजिश में भी अहंगर शामिल था। इसी हमले के बाद अफगानिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों ने उसे अप्रैल 2020 की शुरुआत में आइएसकेपी के तत्कालीन चीफ कमांडर असलम फारूकी संग पकड़ा था। बताया जाता है कि अफगानिस्तान की फौज द्वारा घेरे जाने पर अहंगर व फारूकी समेत आइएसकेपी के कई आतंकियों ने अपनी जान बचाने के लिए परिजनों संग आत्मसमर्पण किया था। उसके बाद से अहंगर को काबुल जेल में रखा गया था।

भारत में आतंकी हिंसा के लिए अहंगर का हो सकतर है इस्तेमाल : पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ अहंगर का इस्तेमाल अफगानिस्तान में तालिबान व आइएसकेपी के बीच आने वाले समय में समझौते के लिए करने के अलावा अपने मुल्क में आइएसकेपी की गतिविधियों पर अंकुश लगाने में भी करेगी। इसके अलावा वह उसका इस्तेमाल जम्मू कश्मीर में मरनासन्न आतंकवाद को हवा देने, जम्मू कश्मीर में सक्रिय आइएसजेके के नेटवर्क पर अपना असर बढ़ाने व उसकी गतिविधियों को बढ़ाने में भी कर सकती है।

अफगानिस्तान में काम कर चुके केंद्रीय खुफिया एजेंसी के एक अधिकारी के मुताबिक, 2017 में आइएसकेपी में विभाजन का कारण अहंगर व असलम फारूकी की पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के साथ नजदीकियां थी। आइएसआइ ने अहंगर व फारूकी के गुट को अमेरिकी ड्रोन हमलों से बचाने में भी मदद की। यही कारण है कि जब पिछले साल वह पकड़े गए तो पाकिस्तान ने अफगानिस्तान सरकार पर पूरा दबाव डाला कि वह दोनों को उसके हवाले कर दे। इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि अहंगर को अगर तालिबान ने कत्ल न किया हो तो वह आइएसआइ के संरक्षण में आइएसकेपी के किसी ठिकाने में या फिर खुद आइएसआइ के सेफ हाउस में होगा। इसलिए उसका लापता होना, चिंता का विषय कहा जा सकता है।

केरल से कश्मीर तक है अहंगर का नेटवर्क: सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, जम्मू कश्मीर में इस्लामिक स्टेट के आतंकियों की आमद और नेटवर्क के पीछे अहंगर का ही हाथ है। वही अफगानिस्तान में बैठकर पाकिस्तान और गुलाम कश्मीर स्थित अपने संपर्क सूत्रों के जरिए कश्मीर में नए लड़कों को आइएस के लिए भर्ती करता था। वह अल-कायदा और जैश-ए-मोहम्मद के अलावा तहरीक उल मुजाहिदीन व हरकत उल अंसार के पुराने आतंकी कमांडरों को भी अच्छी तरह जानता है। बीते माह राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने कर्नाटक, केरल और कश्मीर में फैले आइएसआइएस के जिस नेटवर्क का पर्दाफाश किया था, उसका केरल का कैडर भी अहंगर के जरिए ही तैयार हुआ था। काबुल में गुरुद्वारा पर हमले में शामिल आत्मघाती आतंकी भी केरल का था,जिसे अहंगर ने तैयार किया था।

जम्मू कश्मीर के सबसे पुराने आतंकियों में एक हैं अहंगर : अहंगर जम्मू कश्मीर के सबसे पुराने आतंकियों में गिना जाता रहा है। वह वर्ष 1990 में आतंकी बनने के लिए पाकिस्तान गया था। कुछ समय तक वह पाकिस्तान में रहा और फिर अफगानिस्तान चला गया था। उसने तीन शादियां की हैं। उसके दो बेटे आइएसआइएस का हिस्सा हैं। उसका बेटा अबु उमैस 20 जुलाई 2017 में नांगरहार इलाके में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया था। एजाज अहंगर का छोटा बेटा मुहम्मद इबने एजाज इस समय अफगानिस्तान में ही है। 

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