साल के आखिर में आतंकवाद पर सरकार का बड़ा एक्शन, मसरत आलम की मुस्लिम लीग पर लगा UAPA; अमित शाह ने किया एक्स पर पोस्ट
जम्मू-कश्मीर में मुस्लिम लीग जम्मू-कश्मीर (मसरत आलम गुट) अलगाववादी संगठन पर केंद्र सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है। मसर्रल आलम के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग को गैरकानूनी घोषित किया गया है। इसकी जानकारी गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर दी। संगठन पर यूएपीए के तहत कार्रवाई की गई है जिसमें गृहमंत्री शाह ने कहा कि ये आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करते हैं।
डिजिटल डेस्क, जम्मू। जम्मू कश्मीर में मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) को गैरकानूनी संघ घोषित कर दिया गया है। इसकी घोषणा देश के गृहमंत्री अमित शाह ने एक्स अकाउंट पर पोस्ट करके की। साथ ही उन्होंने इस संघ को लेकर कहा कि ये आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करते हैं और लोगों को भड़काते हैं।
The ‘Muslim League Jammu Kashmir (Masarat Alam faction)’/MLJK-MA is declared as an 'Unlawful Association' under UAPA.
This organization and its members are involved in anti-national and secessionist activities in J&K supporting terrorist activities and inciting people to…
गृहमंत्री शाह ने एक्स अकाउंट पर दी जानकारी
गृहमंत्री अमित शाह ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट)/एमएलजेके-एमए को यूएपीए के तहत एक 'गैरकानूनी संघ' घोषित किया गया है। यह संगठन और इसके सदस्य जम्मू-कश्मीर में राष्ट्र विरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल हैं, साथ ही जम्मू-कश्मीर में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करते हैं और लोगों को भड़काते हैं।
उन्होंने आगे लिखा कि पीएम नरेंद्र मोदी सरकार का संदेश जोरदार और स्पष्ट है कि राष्ट्र के खिलाफ काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर को भारत से आजादी दिलाना, उसका पाकिस्तान में विलय करना और इस्लामी शासन स्थापित करना है। संगठन के सदस्य अलगाववादी गतिविधियों में शामिल रहे हैं, आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने और जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों पर पथराव को बनाए रखने के लिए पाकिस्तान और उसके प्रॉक्सी संगठनों सहित विभिन्न स्रोतों के माध्यम से धन जुटाते रहे हैं।
गृह मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) और उसके सदस्य देश की संवैधानिक सत्ता और व्यवस्था के प्रति अनादर दिखाते हैं। उनकी गैरकानूनी गतिविधियां भारत की अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा और सांप्रदायिक सद्भाव को कमजोर करती हैं। इसके अतिरिक्त, मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) के प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों से संबंध होने के भी संकेत मिले हैं।
देश की सुरक्षा, संप्रभुता के लिए खतरा
संगठन और उसके सदस्य देश में आतंक पैदा करने के इरादे से आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन कर रहे हैं, जिससे इसकी सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था खतरे में पड़ रही है। मंत्रालय ने कहा कि उनकी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियां भारत की संवैधानिक सत्ता और संप्रभुता के प्रति उपेक्षा और अनादर को दर्शाती हैं।
केंद्र सरकार का मानना है कि मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) की गैरकानूनी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए उसके खिलाफ तत्काल कार्रवाई आवश्यक है, जो देश की क्षेत्रीय अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा पैदा करती है। यह संगठन जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करने की वकालत करना, झूठी कहानियों को बढ़ावा देना और क्षेत्र के लोगों के बीच राष्ट्र-विरोधी भावनाओं को भड़काना जारी रख सकता है, जिससे सार्वजनिक सुरक्षा बाधित हो सकती है।
मंत्रालय ने कहा कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार ने मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) को तत्काल प्रभाव से एक गैरकानूनी संघ घोषित कर दिया है। जब तक अन्यथा आदेश न दिया जाए, प्रतिबंध आधिकारिक गजट में प्रकाशन की तारीख से पांच साल की अवधि तक प्रभावी रहेगा। 2015 में उनकी रिहाई पीडीपी-भाजपा गठबंधन में पहली बाधा बनी जब तत्कालीन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने शपथ लेने के तुरंत बाद उन्हें रिहा कर दिया।
चार संगठनों पर लगाया गया प्रतिबंध
अपनी सहयोगी भाजपा के दबाव में, तत्कालीन राज्य सरकार को एक रैली में कथित तौर पर पाकिस्तान समर्थक नारे लगाने के बाद राजद्रोह और राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में उन्हें फिर से गिरफ्तार करना पड़ा।
भट पर 2010 में कश्मीर में हिंसक विरोध प्रदर्शन आयोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आरोप लगाया गया था, जिसके परिणामस्वरूप 100 से अधिक युवाओं की मौत हो गई थी। मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ शून्य-सहिष्णुता की नीति बनाए रखी है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक अकेले इस साल आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत चार संगठनों पर प्रतिबंध लगाया गया है और छह व्यक्तियों को आतंकवादी घोषित किया गया है।
कौन हैं मसरत आलम?
मसरत आलम भट्ट बीते चार साल से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है। कश्मीरी कट्टरपंथी अलगाववादी समूह ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मसरत आलम पर एनआईए ने आतंकी फंडिंग को लेकर भी मामला दर्ज किया हुआ है। इसके साथ ही साल 2008 और 2010 में कश्मीर घाटी में कथित भूमिका को लेकर गिरफ्तार किया गया था। आलम पर स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 27 मामले दर्ज हैं।
संगठन का अंतरिम चेयरमैन मसरत आलम जेल में है बंद
मसरत आलम साल 2015 से जेल में हैं पहले कुछ समय तक वह कोट भलवाल जेल में बंद रहा और बीते चार वर्ष से वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में में बंद हैं। साल 2008 और 2010 में कश्मीर में हुए हिंसक प्रदर्शनों का वह मुख्य सूत्रधार रहा है। कट्टरपंथी सैयद अली शाह के निधन के बाद उसे कट्टरपंथी हुर्रियत का अंतरिम चेयरमैन बनाया गया।