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उमर अब्दुल्ला के नए फैसले से बदली सियासी तस्वीर, नेकां और बीजेपी के बीच दिख रहे दोस्ती के आसार?

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस को 42 सीटें मिली थीं जबकि कांग्रेस को 6 क्योंकि दोनों पार्टियों ने मिलकर चुनाव लड़ा था। ऐसे में यहां गठबंधन की सरकार है। वहीं बीजेपी को इस चुनाव में 29 सीटें हासिल की थीं। उमर अब्दुल्ला नए मुख्यमंत्री बने हैं। अब नेकां ने बीजेपी को डिप्टी स्पीकर का पद देने का एलान किया है।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Tue, 22 Oct 2024 05:07 PM (IST)
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नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता औ सीएम उमर अब्दुल्ला (फाइल फोटो)

जेएनएन, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में इंडी गठबंधन के नेतृत्व में उमर अब्दुल्ला सरकार बन गई है। इसी क्रम में अब जम्मू-कश्मीर की सियासत में एक नया मोड़ आया है। एक ऐसा मोड़ जो भाजपा और नेकां की नजदीकियों की ओर इशारा कर रहा है।

दरअसल, नेकां ने विधानसभा में डिप्टी स्पीकर का पद भाजपा के लिए छोड़ने का फैसला किया है। विधानसभा में भाजपा प्रमुख विपक्षी दल है और उसके 90 सदस्य हैं। हालांकि, भाजपा के संगठन महामंत्री अशोक कौल ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि इसमें कुछ भी नया नहीं है। यह तो एक परम्परा है। डिप्टी स्पीकर सदन में प्रमुख विपक्षी दल के सदस्य को बनाया जाता है।

जम्मू-कश्मीर में जब भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार थी तो उस समय डिप्टी स्पीकर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नजीर अहमद खान उर्फ नजीर गुरेजी को बनाया गया था।

विधानसभा चुनाव में किसको कितनी सीटें

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस को 42 सीटें हासिल हुईं तो कांग्रेस को छह सीटें मिलीं। दोनों पार्टियों ने गठबंधन किया तो जिसके स्वरूप केंद्रशासित प्रदेश में नेकां-कांग्रेस की सरकार बनी हैं। वहीं सीपीएम को भी एक सीट हासिल हुई। वहीं, बीजेपी को 29 सीटें मिली थीं। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस को एक सीट हासिल हुई तो पीडीपी को 3 सीटें मिलीं।

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55 विधायकों के समर्थकों साथ उमर अब्दुल्ला सरकार

मौजूदा समय में उमर अब्दुल्ला सरकार को 55 विधायकों का समर्थन मिला हुआ है। केंद्रशासित प्रदेश में नेशनल कॉन्फ्रेंस के 42 विधायक हैं और उसे कांग्रेस के 6, पांच निर्दलियों के अलावा माकपा के एक और आम आदमी पार्टी के एक एमएलए का समर्थ मिला हुआ है। विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के 29 सदस्य है। इस तरह अब बीजेपी मुख्य विपक्षी दल के रूप में है।

उमर को केंद्र के साथ तालमेल रखना जरूरी

आर्टिकल 370 हटने के बाद से उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री हैं। अब जम्मू-कश्मीर राज्य नहीं बल्कि केंद्रशासित प्रदेश हैं। इसमें केंद्र की भी सहभागिता  है। ऐसे में उमर अब्दुल्ला के लिए केंद्र के साथ सामंजस्य रखना आवश्यक है। उमर अब्दुल्ला इस प्रयास में हैं भी।

हाल ही में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कैबिनेट द्वारा पारित प्रस्ताव को मंजूरी दी। इस प्रस्ताव में केंद्र से जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने का आग्रह किया गया था। ऐसे में अब जल्द ही उमर पीएम मोदी सहित केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात करेंगे।

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