Jammu Kashmir Election: 'मैं लड़ना नहीं चाहता, लेकिन दबाव बहुत है', चुनाव से पहले असमंजस में उमर अब्दुल्ला
जम्मू कश्मीर में 90 विधानसभा सीटों के लिए तीन चरणों में चुनाव होगा। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस बार का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का एलान किया था। पार्टी ने उमर से चुनाव न लड़ने के अपने फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह किया है। वहीं संसदीय बोर्ड की बैठक में नेकां के सीएम फेस तय होगा।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। विधानसभा चुनाव न लड़ने का एलान कर चुके उमर अब्दुल्ला का असमंजस बढ़ता जा रहा है। पार्टी में दबाव बढ़ रहा है कि वह चुनाव मैदान में उतरें। पार्टी ने अभी मुख्यमंत्री के चेहरे पर फैसला सोमवार तक लंबित रखा है।
पार्टी के सूत्र बताते हैं कि बढ़ता दबाव और फारूक अब्दुल्ला के गिरते स्वास्थ्य को देखते हुए उमर को अपने फैसले टिके रहना सरल नही है। इस वजह से नेकां में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। हालांकि फारूक स्वयं चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं।
संसदीय बोर्ड तय करेगा सीएम फेस
इस बीच, पार्टी के अतिरिक्त महासचिव अजय सडोत्रा ने कहा कि नेकां एक संगठन के रूप में अपने राजनीतिक एजेंडे के आधार पर चुनाव लड़ती और जीतती है। आगामी विधानसभा चुनाव में कौन हमारा मुख्यमंत्री पद का दावेदार होगा।यह पार्टी का संसदीय बोर्ड सोमवार को होने वाली बैठक में तय करेगा। इसी बैठक के बाद उमर भी चुनाव लड़ने या न लड़ने पर अपना अंतिम निर्णय सुना सकते हैं।
उमर अब्दुल्ला ने किया है चुनाव न लड़ने का एलान
बता दें कि उमर अब्दुल्ला ने कई बार कहा है कि वह जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने तक विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। मैं उस विधानसभा का सदस्य और नेता रहा हूं जिसके पास कानून बनाने का हर अधिकार था। मौजूदा परिस्थितियों में जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री को हर कार्य के लिए उपराज्यपाल के दरवाजे पर जाना है। यह मेरे लिए संभव नहीं है।फारूक के स्वास्थ्य को देखते हुए फिलहाल नेकां में कोई दूसरा ऐसा नेता नजर नहीं आ रहा है जो चुनाव के बाद किसी अन्य दल के साथ गठबंधन की स्थिति में नेकां के हितों को सुरक्षित बनाते हुए आगे बढ़ सरकार चला सके।
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