Jammu Kashmir: हिन्दी साहित्य मंडल की नई कार्यसमिति गठित, राज कुमार अध्यक्ष, पवन महासचिव नियुक्त
नए महासचिव डा. पवन खजूरिया व्यंग्य व नाटक लेखन साथ ही अभिनय में भी प्रवृत रहे हैं। लम्बे समय से मंडल के सदस्य और पदाधिकारी बने रहे हैं। मंडल की कार्यसमिति द्वारा तुरंत प्रभाव से कार्यभार संभाल लिया गया है।
By Vikas AbrolEdited By: Updated: Tue, 24 Aug 2021 06:34 PM (IST)
जम्मू, जागरण संवाददाता। हिंदी साहित्य मंडल की नई कार्यसमिति का गठन किया गया है। जिसमें प्रो. राज कुमार सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुने गए हैं। उनके साथ मंडल के बहुत पुराने सदस्य और अब तक साहित्य सचिव रहे लेखक डा. पवन खजूरिया को महासचिव पद का कार्यभार दिया गया है।
मंडल की नई कार्यसमिति में डा. निर्मल विनोद, प्रो. किरण बक्शी, डाक्टर चंचल डोगरा, तीनों पूर्व अध्यक्ष परामर्श दाता होंगे। शमिंदर कुमार और संजीव भसीन उपाध्यक्ष होंगे। प्रो. गोपाल शर्मा एवं मंटो दत्ता शर्मा उप महासचिव होंगे। राकेश अबरोल को कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उमा शर्मा साहित्य सचिव, अरुणा शर्मा प्रतियोगिता सचिव, जंगएस वर्मन को प्रचार सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई है।कार्यसमिति सदस्यों में श्याम जुनेजा,विजय सर्राफ़, मनजीत कामरा, बृज मोहन, सुभाष शर्मा, बलनील देवम, इंदरजीत सिंह पुजारी, अनिल आजाद, प्रो रजनी बाला, सुमन पाल शामिल हैं। कार्यसमिति की कार्य अवधि दो वर्ष की होगी।
नवनियुक्त अध्यक्ष प्रो. राज कुमार जम्मू विश्व विद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष के पद सेवानिवृत्त हुए हैं।विभागाध्यक्ष प्रो. राजकुमार ने कहानी, कविता और आलोचना क्षेत्र में लेखन करते हुए बहुत सी पुस्तकों का प्रकाशन किया है और वह हिंदी साहित्य मंडल से लम्बे अरसे से जुड़े हुए हैं।नए महासचिव डा. पवन खजूरिया व्यंग्य व नाटक लेखन साथ ही अभिनय में भी प्रवृत रहे हैं। लम्बे समय से मंडल के सदस्य और पदाधिकारी बने रहे हैं। मंडल की कार्यसमिति द्वारा तुरंत प्रभाव से कार्यभार संभाल लिया गया है।निवर्तमान अध्यक्ष डा. चंचल डोगरा ने नई कार्य सम्मति को शुभ कामना देते हुए साहित्य के लिए बेहतर से बेहतर कार्य करने के लिए प्रेरित किया।
नवनियुक्त अध्यक्ष प्रो. राज कुमार ने कहा कि हिन्दी साहित्य मंडल शुरू से ही साहित्य के प्रचार प्रसार के लिए नियमित कार्यक्रमों का आयोजन करता रहा है। कोरोना के चलते कार्यक्रम प्रभावित जरूर हुए हैं लेकिन काम चलता रहा है। आगे भी नियमित कार्यक्रमों का आयोजन होता रहेगा। इस बात का विशेष प्रयास रहेगा कि युवा साहित्यकारों को अधिक से अधिक मौके मिलें। स्कूलों, कालेजों से प्रतिभा का निखार शुरू हो जाए।
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