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सरकार बनाने के बाद राज्यसभा चुनाव नेकां-कांग्रेस के लिए पहली परीक्षा, कभी भी जारी हो सकती है अधिसूचना

जम्मू-कश्मीर में सरकार बनने के बाद राज्यसभा चुनाव में नेकां-कांग्रेस गठबंधन की पहली परीक्षा होगी। विधानसभा में वर्तमान समीकरण के अनुसार नेकां-कांग्रेस गठबंधन के खाते में दो और भाजपा के खाते में एक सीट जाना तय है। चौथे सीट के लिए किसी भी पार्टी के पास पर्याप्त समर्थन नहीं होगा जिसके लिए खींचतान हो सकती है। बता दें कि किसी भी समय चुनाव के लिए अधिसूचना जारी हो सकती है।

By vivek singh Edited By: Rajiv Mishra Updated: Tue, 15 Oct 2024 07:49 AM (IST)
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राज्यसभा की चार सीटों के लिए चुनाव में नेकां-कांग्रेस की होगी पहली परीक्षा (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन के लिए तैयार नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन की पहली परीक्षा राज्यसभा चुनाव में होगी। जम्मू-कश्मीर की चारों सीटें फरवरी 2021 से खाली हैं और माना जा रहा है चुनाव आयोग विधानसभा के गठन के साथ ही इसकी अधिसूचना जारी कर सकता है।

विधानसभा में वर्तमान समीकरण के अनुसार नेकां-कांग्रेस गठबंधन के खाते में दो और भाजपा के खाते में एक सीट जाना तय है। ऐसे में चौथी सीट के लिए यहां खींचतान होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।

कभी भी जारी किया जा सकता है अधिसूचना

फिलहाल काफी समय से जम्मू-कश्मीर विधानसभा का चुनाव नहीं हुआ था, इस वजह से राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव नहीं हो पाया था। चुनाव आयोग जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन के बाद राज्यसभा के सदस्यों के चुनाव संबंधी अधिसूचना किसी भी समय जारी कर सकता है। ऐसे में नई सरकार बनने के साथ ही राजनीतिक दलों में राज्यसभा में अपने सदस्य भेजने के लिए राजनीतिक सरगर्मियां जोर पकड़ लेंगी।

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यह है राज्यसभा का गणित

प्रदेश में सरकार बनाने जा रही नेकां व कांग्रेस के पास निर्दलीयों और आप को मिलाकर कुल 55 विधायकों का समर्थन है। भाजपा के 29 विधायक हैं और तीन विधायक पीडीपी के हैं। यदि उपराज्यपाल पांच विधायकों को मनोनीत कर देते हैं तो भाजपा समर्थित विधायकों की संख्या बढ़कर 34 हो जाएंगी।

इस तरह सत्ताधारी गठबंधन दो और विपक्ष एक सीट आसानी से अपने नाम कर सकता है। इसके बावजूद चौथी सीट के लिए किसी के पास पर्याप्त समर्थन नहीं होगा। अब तत्कालीन समीकरण तय करेंगे कि चौथी सीट किसके खाते में जाएगी।

वर्ष 2015 में भी हुआ था ऐसा

वर्ष 2014 में हुए चुनाव में पीडीपी 28 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी थी और बाद में भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। भाजपा के पास एक निर्दलीय समेत 26 विधायकों का समर्थन हासिल था। उस दौरान चार सीटों के लिए फरवरी 2015 में तीन अधिसूचनाएं जारी हुई थी।

पहली दो अधिसूचना के आधार पर पीडीपी व भाजपा के एक-एक चुने गए थे। तीसरी अधिसूचना दो सीटों के लिए हुई थी। इसमें सत्ताधारी गठबंधन ने एक और कांग्रेस ने एक सीट जीती थी। नेशनल कान्फ्रेंस ने कांग्रेस प्रत्याशी गुलाम नबी आजाद को समर्थन दिया था।

भाजपा के राज्यसभा के सदस्य रहे शमशेर सिंह मन्हास का कहना है कि वर्तमान समीकरण के अनुसार जम्मू-कश्मीर में सत्ताधारी गठबंधन तीन व भाजपा राज्यसभा का एक सदस्य चुनकर भेज सकती है।

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