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Geelani Force In Kashmir : अब गिलानी फोर्स के नाम पर कश्मीरी युवाओं को आतंकी बना रहा पाकिस्तान

Geelani Force In Kashmir पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने हुर्रियत के जम्मू-कश्मीर और गुलाम कश्मीर में बैठे उन सभी नेताओं को पूरी तरह दरकिनार कर दिया है जो कट्टरपंथी गिलानी के समर्थक थे। गिलानी की मृत्यु 2 सितंबर को हुई थी।

By Rahul SharmaEdited By: Updated: Fri, 01 Oct 2021 01:27 PM (IST)
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पाकिस्तान कश्मीर में हालात बिगाड़ने और स्थानीय युवाओं को मौत के रास्ते पर धकेलने का कोई अवसर नहीं छोड़ना चाहता।
श्रीनगर, नवीन नवाज : पाकिस्तान ने जिस कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी काे अपना एजेंडे के लिए इस्तेमाल करने के बाद जीते जी किनारे लगा दिया था, अब उसके सहारे ही वह कश्मीर में मरनासन्न आतंकवाद को जिंदा रखने का प्रयास कर रहा है। उसने गिलानी के नाम को भुनाने के लिए गिलानी फोर्स नामक एक नया आतंकी संगठन तैयार किया है। बीते 30 सालों मेें कश्मीर में किसी अलगाववादी नेता के नाम पर यह पहला आतंकी संगठन बताया जा रहा है।

अलबत्ता, जैश-ए-मोहम्मद ने संसद हमले के साजिशकर्ता अफजल गुरु को फांसी दिए जाने बाद अफजल गुरु ब्रिगेड और अफजल गुरु स्क्वाड नामक दो आत्मघाती दस्ते भी जरुर तैयार किए हैं। हालांकि किसी भी सुरक्षा एजेंसी ने गिलानी के नाम पर बने संगठन की अधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की है, लेकिन इंटरनेट मीडिया पर इसका एलान हो चुका है।

गिलानी फोर्स में आतंकियों की भर्ती भी शुरू हो चुकी है। इंटरनेट मीडिया पर एक नकाबपोश आतंकी की तस्वीर वायरल हुई है। तस्वीर में दिखाए गए आतंकी का नाम बिलाल बताया गया है, लेकिन वह कश्मीर में किस शहर या गांव का है, इसका कोई उल्लेख नहीं है। यह जरूर बताया गया है कि वह 25 सितंबर को आतंकी बना।

कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी कश्मीर में पाकिस्तान के कट्टर समर्थकों की जमात में सबसे आगे खड़े नजर आते थे। वह हमेशा ही कश्मीर बनेगा पाकिस्तान की रट लगाते थे, लेकिन जब वह बीमार हुए और पाकिस्तानी एजेंडे को आगे ले जाने में असमर्थ हुए तो पाकिस्तान ने उन्हेें ठेंगा दिखा दिया। उन्हें हुर्रियत कांफ्रेेंस में इतना बेइज्जत किया गया कि उन्होंने तंग आकर हुर्रियत कांफ्रेंस के चेयरमैन पद के साथ ही अलगाववादी सियासत से भी किनारा कर लिया था। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने हुर्रियत के जम्मू-कश्मीर और गुलाम कश्मीर में बैठे उन सभी नेताओं को पूरी तरह दरकिनार कर दिया है जो कट्टरपंथी गिलानी के समर्थक थे। गिलानी की मृत्यु 2 सितंबर को हुई थी।

इस बीच, कश्मीर मामलों के जानकार और पत्रकार बिलाल बशीर ने कहा कि मुझे नहीं मालूम कि यह आतंकी संगठन कब बना है, लेकिन इससे एक बात साबित हो गई है कि पाकिस्तान कश्मीर में हालात बिगाड़ने और स्थानीय युवाओं को मौत के रास्ते पर धकेलने का कोई अवसर नहीं छोड़ना चाहता। आतंकी हिंसा को स्थानीय कलेवर देने के लिए, स्थानीय लोगों की भावनाओं का शोषण करने के लिए यह संगठन बनाया गया होगा। यह किसी दिवंगत की लाश पर सियासत करने और मौत का खेल खेलने की अत्यंत घिनौनी साजिश है। 

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