अब आतंकवादी गतिविधियों में शामिल कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर सियासत, महबूबा मुफ्ती ने उठाए सवाल
जम्मू-कश्मीर में सरकारी कर्मचारियों को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने पर बर्खास्त करने के फैसले के खिलाफ आवाज उठने लगी है। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को पत्र लिखकर इस नीति की समीक्षा करने और समिति बनाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि प्रभावित व्यक्तियों या उनके परिवारों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाए और उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान की जाए।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। विधानसभा में जम्मू-कश्मीर को राज्य दर्जे के प्रस्ताव पर सियासी दंगल के बाद अब राष्ट्रविरोधी और आतंकी गतिविधियों में संलिप्त सरकारी अधिकारियों व कर्मियों को सेवामुक्त किए जाने के खिलाफ आवाज मुखर होने लगी है।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को इस विषय में पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि वह आतंकियों और अलगाववादी गतिविधियों में संलिप्त सरकारी अधिकारियों को सेवामुक्त किए जाने की नीति की समीक्षा करें और इसके लिए समिति बनाएं।
महबूबा मुफ्ती ने की ये मांग
पीडीपी प्रमुख ने कहा कि समीक्षा समिति उन सभी लोगों के मामलों की पुनर्मूल्यांकन करे जिन्हें बीते चार वर्ष में आतंकियों और अलगाववादियों के साथ तथाकथित संबंधों के आरोप में बर्खास्त किया गया है। समिति प्रभावित व्यक्तियों या उनके परिवारों को अपना पक्ष रखने का मौका दे।इसके अलावा वह ऐसे मामलों में पीड़ित परिवारों को तत्काल वित्तीय सहायता प्रदान और उनके अधिकारों की बहाली प्रक्रिया सुनिश्चित करे। समिति भविष्य में इसी तरह की कार्रवाई रोकने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश विकसित करें।
LG ने इतने अधिकारियों का सेवा किया है समाप्त
बता दें कि पांच अगस्त 2019 के बाद प्रदेश प्रशासन ने सरकारी तंत्र में छिपे बैठे आतंकियों और अलगाववादियों के मददगारों के खिलाफ एक अभियान चलाया। इस अभियान के तहत संविधान की धारा 311 (2) (सी) के तहत उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने अब तक 74 सरकारी अधिकारियों व कर्मियों को सेवाएं समाप्त कर उन्हें घर भेजा है। इनमें प्रोफेसर, डॉक्टर, पुलिस अधिकारी, पुलिस कर्मी और एसडीएम रैंक तक के अधिकारी शामिल हैं।
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-एडवोकेट अंकुर शर्मा, विधि मामलों के विशेषज्ञ