एक्टिव मोड में उमर अब्दुल्ला, किश्तवाड़ में आग प्रभावित लोगों से मिले सीएम, हरसंभव मददा का दिया आश्वासन
जम्मू-कश्मीर के नए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पदभार संभालने के बाद से ही सक्रियता दिखानी शुरू कर दी है। उन्होंने लोगों को आश्वासन दिया है कि सभी क्षेत्रों का समान विकास होगा और किसी की भी उपेक्षा नहीं की जाएगी। उमर अब्दुल्ला ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में भी विकास और ढांचागत सुविधाओं के विस्तार को प्राथमिकता देने की मंशा जताई है।
जागरण संवाददाता, श्रीनगर। मुख्यमंत्री का पदभार संभालने के बाद जिस प्रकार से उमर अब्दुल्ला सक्रिय हुए हैं, उससे यह उम्मीद लगाई जा सकती है कि वह जम्मू-कश्मीर के समक्ष पेश चुनौतियों अरैर लोगों से उनकी अपेक्षाओं को भलीभांति समझते हैं।
एक दशक बाद बनी सरकार से जम्मू-कश्मीर के एक करोड़ चालीस लाख लोगों को बहुत अपेक्षाएं है। यही कारण है कि उमर ने भी बीते दिवस शपथ ग्रहण के मात्र तीन घंटों बाद ही नागरिक सचिवालय में प्रशासनिक सचिवों के साथ पहली बैठक भी ली।
यही नहीं तीन दिन पूर्व जम्मू संभाग के किश्तवाड़ जिले के सुदूर गांव मढवा में भी आग लगने की घटना से प्रभावित हुए लोगों की सुध लेने के लिए पहुंच रहे हैं। उन पर कश्मीर के साथ-साथ जम्मू के लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का दबाव भी है।
जन प्रतिनिधियों को हर कोई अपने बीच देखना चाहता
इस बार चुनाव परिणामों के बाद से ही उन्होंने यह स्वीकार भी किया है और अच्छी बात यह है कि उन्होंने लोगों को आश्वासन भी दिया है कि सभी क्षेत्रों का एक समान विकास होगा और किसी की भी उपेक्षा नहीं की जाएगी। सबसे अच्छा उनका सक्रिय होना है।
अपने जन प्रतिनिधियों को हर कोई अपने बीच देखना चाहता है। लोकतांत्रिक सरकार और उपराज्यपाल प्रशासन के बीच यही सबसे बड़ा अंतर है।
सरकार के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं लोग
इसमें कोई दोराय नहीं है कि उपराज्यपाल प्रशासन में भी जम्मू-कश्मीर में अमूलचूल परिवर्तन आया है। जम्मू-कश्मीर शांति, खुशहाली और प्रगति के पथ पर तेजी के साथ चला है लेकिन एक चुनी हुई सरकार के साथ लोग भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं और अपने काम न होने पर विधायकों को कठघरे में खड़ा भी करते हैं। इसका अहसास मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों और विधायकों हर किसी को हाेता है।
विकास की नई ऊंचाइयों को छू सकता जम्मू-कश्मीर
यही कारण है कि पदभार संभालने के बाद से ही वह सक्रिय नजर आ रहे हैं। पहली कैबिनेट बैठक में भी उन्होंने जम्मू-कश्मीर में विकास और ढांचागत सुविधाआओं में विस्तार को प्राथमिकता देने की मंशा जता दी।
अगर इसी तरह से मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के सदस्य सक्रिय रहे और जनअपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए काम करेंगे तो आने वाले पांच वर्ष में जम्मू-कश्मीर विकास की नई ऊंचाइयों को छू सकता है।