Pulwama Terror Attack : 10 माह में 17 बार इंशा जान के घर ठहरा था उमर फारूक, दोनों में थे करीबी संबंध
एनआइए के आरोपपत्र ने पुलवामा हमले में शामिल सभी साजिशकर्ताओं के चेहरे से पर्दा हटा दिया है। इसमें सबसे दिलचस्प किरदार है जैश का पाकिस्तानी कमांडर उमर फारूक की करीबी इंशा जान।
By Rahul SharmaEdited By: Updated: Thu, 27 Aug 2020 05:59 PM (IST)
श्रीनगर, राज्य ब्यूराे : एनआइए के आरोपपत्र ने पुलवामा हमले में शामिल सभी साजिशकर्ताओं के चेहरे से पर्दा हटा दिया है। इसमें सबसे दिलचस्प किरदार है, जैश का पाकिस्तानी कमांडर उमर फारूक की करीबी इंशा जान। 23 वर्षीय यह युवती और उसका पिता तारिक अहमद शाह उर्फ तारिक पीर को पहले से ही न केवल साजिश की पूरी जानकारी थी, बल्कि इस साजिश में तह तक शामिल थे। इंशा के उमर फारूक से काफी करीबी संबंध थे और यही वजह है उमर बार-बार ईंशा के घर पर ही ठहरता था। कश्मीर में सक्रियता के 10 माह में करीब 17 बार इंशा के घर पर ही ठहरा। कई बार वह सिर्फ दो से चार दिन तो कई बार एक सप्ताह तक।
आतंकियों के लिए ठिकाना उपलब्ध करने के अलावा सुरक्षाबलों की मूवमेंट पर भी नजर रखती थी इंशासंबधित सूत्रों ने बताया कि उमर फारूक सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ मे मारे जाने से चंद घंटे पहले तक भी इंशा के साथ कथिततौर पर संर्पक में था। सुरक्षाबलों की मूवमेंट से लेकर हथियारों को यहां-वहां करने और आतंकी कमांडर उमर फारूक के साथ मिलकर रेकी भी करती रही। आत्मघाती आतंकी आदिल डार का वीडियो भी उसके घर में ही तैयार किया गया था। यह वीडियो हमले से करीब 10-15 दिन पहले तैयार किया गया था। इंशा और उसके पिता को एनआइए ने 3 मार्च को उसके घर से ही गिरफ्तार किया था।
पेशे से ट्रक चालक तारिक के परिवार में बेटी इंशा सबसे छोटी है। नौवीं में पढ़ाई छोड़ने के बाद इंशा जान आतंकियों के संपर्क में अपने पिता तारिक अहमद शाह के जरिए ही आई थी। तारिक आतंकियों के लिए बतौर ओवरग्राउंड वर्कर काम करता था। अप्रैल 2018 में कश्मीर पहुंचने के बाद उमर फारूक ने उसके घर में ही अपना विशेष ठिकाना बनाया था। इसी दाैरान उसकी इंशा से मुलाकात हुई जो बाद में नजदीकियों में बदल गई थी। कहा जाता है तारिक को अपनी बेटी के जिहादी कमांडर के साथ कथित प्रेम संबंधों की पूरी जानकारी थी। परिवार के अन्य सदस्य भी इससे वाकिफ थे। तारिक अहमद शाह अपने ट्रक आतंकियाें की आवाजाही के लिए अक्सर उपलब्ध कराता है। सूत्रों के अनुसार, इंशा के घर में करीब 15-20 दिनों तक आतंकी आइईडी बनाने में व्यस्त रहे। इंशा खुद इस प्रक्रिया का हिस्सा रही है।
साथ घूमने गए थे श्रीनगर
एनआइए से जुड़े सूत्रों की मानें तो इंशा और उमर फारूक कई बार पुलवामा व श्रीनगर घूमने भी गए। रास्ते में सुरक्षाबलों के नाके पर कभी मियां-बीवी तो भाई-बहन बनकर बच निकलते थे। उमर फारूक कश्मीर में अपने ठिकाने पर रहने के दौरान भी इंशा के साथ लगातार संपर्क में रहता था। इसका खुलासा मोहम्मद उमर फारूक के फोन से रिकवर किए गए डाटा व इंशा जान के फोन की कॉल डिटेल से भी होता है। इंशा जान वाट्सएप व सोशल मीडिया के अन्य ऐप्स के जरिए भी उमर फारूक व उसके साथियों के साथ निरंतर संपर्क में रहती थी। वह आतंकियों के हथियारों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के अलावा आतंकियों को सुरक्षाबलों की नजर से बचाते हुए सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाने में भी मदद करती थी। वह सुरक्षाबलों की गतिविधियों की भी खबर जैश कमांडर तक पहुंचाती थी।
बैंक लेन-देन और चैट साबित करते हैं संपर्कसंबधित अधिकारियों ने बताया कि तारिक व इंशा के बैंक खातों में लेन-देन भी उनके आतंकी कनेक्शन की पुष्टि करता है। पकड़े जाने पर बाप-बेटी ने पहले तो खुद को निर्दोष बताया था, लेकिन जब इंशा के माेबाइल की कॉल डिटेल्स, उसकी वॉट्सऐप चैट व टेलीग्राम चैनल पर आतंकियों को भेजे संदेशों का पूरा ब्यौरा बाप-बेटी के सामने रखा गया तो दोनों के पास काई जवाब नहीं था। रही-सही कसर उमर फारूक के फोन से मिली तस्वीरों ने पूरी कर दी। कई तस्वीरें काफी अंतरंग बताई जाती हैं। उमर के अलावा उनके घर आदिल डार, पुलवामा हमले में शामिल सभी प्रमुख आतंकी मुदस्सर,सज्जाद,कामरान, इस्माइल व समीर अक्सर ठहरते थे।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।