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Katra Banihal Rail Link: आजादी के पर्व पर जम्मू कश्मीर को स्वर्णिम उपलब्धि, दुनिया के सबसे ऊंचा रेलवे पुल बनकर हो जाएगा तैयार

जम्मू संभाग के रियासी जिले में चिनाब दरिया पर बन रहा यह आर्च ब्रिज एफिल टावर से भी 35 मीटर ऊंचा है। इसके आर्च की चिनाब नदी के जलस्तर से ऊंचाई 359 मीटर है और नदी की तलहटी से यह और भी अधिक हो जाएगी।

By Rahul SharmaEdited By: Updated: Sat, 06 Aug 2022 07:57 AM (IST)
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यह पुल 1.315 किलोमीटर लंबा है। यह पुल सलाल-ए और डुगा रेलवे स्टेशनों को आपस में जोड़ेगा।

जम्मू, राज्य ब्यूरो: जम्मू कश्मीर के लिए इस बार स्वतंत्रता दिवस खास रहेगा। विश्वपटल पर ऐतिहासिक उपलब्धि जम्मू कश्मीर के हिस्से में जुड़ जाएगी। देश की इंजीनियङ्क्षरग क्षमता का नायाब नमूना और दुनिया के सबसे ऊंचे आर्च ब्रिज का 'स्वर्णिम जुड़ाव' एक सप्ताह के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। यानी इस ब्रिज पर डेक बिछाने का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। इसके साथ ही पुल के दोनों किनारे आपस में जुड़ जाएंगे। इसके बाद रेल पटरी बिछाने का कार्य दिसंबर माह तक पूरा करने का लक्ष्य है। यह ब्रिज ऊधमपुर-बनिहाल रेल लिंक की अहम कड़ी है।

जम्मू संभाग के रियासी जिले में चिनाब दरिया पर बन रहा यह आर्च ब्रिज एफिल टावर से भी 35 मीटर ऊंचा है। इसके आर्च की चिनाब नदी के जलस्तर से ऊंचाई 359 मीटर है और नदी की तलहटी से यह और भी अधिक हो जाएगी। यह पुल 1.315 किलोमीटर लंबा है। यह पुल सलाल-ए और डुगा रेलवे स्टेशनों को आपस में जोड़ेगा।

ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामुलारेल ङ्क्षलक देश की महत्वाकांक्षी परियोजना में शामिल है। इसके निर्माण पर 28 हजार करोड़ रुपये का अनुमानित खर्च होना है। इसका डिजाइन ऐसा है कि भूकंप से भी इसे कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। जिस क्षेत्र में पुल बन रहा है वह सिसमिक जोन चार में आता है लेकिन इसे सबसे अधिक तीव्रता वाले जोन-5 के भूकंप को बर्दाश्त करने योग्य बनाया गया है।

एफकान इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी के उप प्रबंध निदेशक गिरिधर राजागोपालन ने मुंबई में बताया कि पुल में 93 डेक भाग हैं। इसमें से प्रत्येक का वजन 85 टन है। कटड़ा से काजीगुंड तक रेलखंड के पांच हिस्सों पर काम तेजी से जारी है। यह ऊधमपुर से बारामुला तक 272 किलोमीटर लंबे रेलवे प्रोजेक्ट का हिस्सा है। पुल में 30,350 टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है। इसमें 10,620 टन स्टील आर्च में ही लगा है। पुल के डेक के लिए 14,500 टन स्टील का इस्तेमाल किया गया।

उन्होंने बताया कि पुल को बनाने का कार्य काफी चुनौती वाला था। उत्तर रेलवे और कोंकण रेलवे कारपोरेशन ने पुल के डिजाइन में अहम भूमिका निभाई। अगर हवा की गति 90 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक होगी तो आटोमैटिक सिगनल सिस्टम ट्रेन को पुल क्रास करने से रोक देगा। इस अहम प्रोजेक्ट से स्थानीय युवाओं को रोजगार मिला।

119 किलोमीटर की 38 सुरंगें : राजागोपालन ने बताया कि ऊधमपुर से बारामुला तक 272 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन पर 38 सुरंगें होगी। इन सुरंगों की लंबाई 119 किलोमीटर बनती है। देश की सबसे लंबी सुरंग 12.75 किलोमीटर भी इसमें शामिल है। इस हिस्से में 927 बड़े व छोटे पुल होंगे। ऊधमपुर से कटड़ा तक 25 किलोमीटर तक ट्रैक पहले से सुचारू है। उधर, बनिहाल से बारामुला तक पहले से ही रेल यातायात चालू है। सिर्फ कटड़ा से बनिहाल के बीच ट्रैक बनना बाकी है। इसी पर काम चल रहा है। लक्ष्य है कि ट्रैक का निर्माण मार्च 2023 तक पूरा कर लिया जाए। जम्मू कश्मीर के विकास में इस रेलवे लाइन का अहम योगदान रहेगा। 

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