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Article 370: सियासत से आतंकियों तक...निवेश से कारोबार तक, चार सालों में कितना बदला जम्मू-कश्मीर?

Article 370 in Jammu Kashmir जम्मू-कश्मीर में आज से चार साल पहले 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने अहम फैसला लेते हुए अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया था। बीते चार सालों में जम्मू-कश्मीर में बहुत से बदलाव देखे गए हैं। वहां अब आतंकी घटनाओं और भड़काऊ नारेबाजी पत्थराव जैसी घटनाएं कम हो गई है। बीते चार सालों में प्रदेश ने विकास की ओर उड़ान भरी है।

By Preeti GuptaEdited By: Preeti GuptaUpdated: Fri, 04 Aug 2023 10:00 AM (IST)
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Jammu Kashmir Before After Article 370 Abolishment: चार सालों में कितना बदला जम्मू और कश्मीर?

नई दिल्ली, प्रीति गुप्ता।  4 Years of Article 370 Abolishment: देश में आज ही के दिन एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया था। केंद्र सरकार ने आज से 4 साल पहले 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को खास दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था। केंद्र सरकार की इस ऐतिहासिक फैसले से बीते 4 सालों में जम्मू-कश्मीर में काफी बड़े बदलाव आए हैं।

वह चाहे राजनीतिक हो, आर्थिक हो या फिर विकासात्मक हो। केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को खत्म कर जम्मू कश्मीर से 70 साल की टीस को खत्म किया है। प्रदेश को मुख्यधारा से जोड़कर देश के अन्य राज्यों के बराबर लाकर खड़ा कर दिया है। अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद अब जम्मू-कश्मीर भी देश के बाकी राज्यों जैसा ही हो गया है।

प्रदेश में लागू होते हैं केंद्र के कानून

पहले यहां केंद्र सरकार का कोई भी कानून लागू नहीं होता था, लेकिन अब केंद्र के सभी कानून यहां लागू किए जाते हैं। बंद और पथराव अब किसी को याद नहीं है। शिक्षण संस्थानों पर अब ताला नजर नहीं आता। किसी क्षेत्र में शिक्षण संस्थानों को जलाए जाने की वारदात भी अब बंद हो चुकी है। अनुच्छेद 370 के 4 साल पूरे होने पर यह जानना भी आवश्यक है कि इन 4 सालों में जम्मू कश्मीर में क्या बड़े बदलाव देखे गए हैं। वहां  निवेश से लेकर कारोबार को कितना बढ़ावा दिया गया और सब से अहम आतंकी घटनाओं में कितनी कमी आई है।

 कितना हुआ राजनीतिक बदलाव? 

जम्मू कश्मीर से धारा 370 खत्म होने के बाद यह विकास की राह पर चल पड़ा। बीते 4 सालों में जम्मू कश्मीर का भौगोलिक नक्शा तो बदला ही है। साथ ही निर्वाचन क्षेत्र की तस्वीर भी बदल गई है। जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के तहत जम्मू कश्मीर राज्य का बंटवारा कर दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख बनाया गया। जम्मू कश्मीर का अपना झंडा और अपना संविधान की व्यवस्था खत्म हो गई।

5 साल किया गया विधानसभा का कार्यकाल

जम्मू-कश्मीर से दोहरी नागरिकता को भी समाप्त कर दिया गया। जहां पहले जम्मू कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का होता था वहीं अब उसे 5 साल कर दिया गया है। प्रदेश से विधान परिषद को भी समाप्त कर दिया गया है। जम्मू कश्मीर में 7 विधानसभा सीटों को बढ़ाया गया है, जिसमें से 6 सीटें जम्मू और एक सीट कश्मीर में बढ़ाई गई है। जम्मू और कश्मीर विधानसभा में कुल 90 सीटें हो गई है। यह सीटें पाक अधिकृत कश्मीर को हटाकर हैं।  पीओके के लिए 24 सीट पहले से तय है, जिस पर चुनाव नहीं होते हैं।

अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित की गई सीटें

इस बदलाव के तहत जम्मू क्षेत्र में 43 और कश्मीर घाटी में 47 सीटें हो गए हैं। वही इससे पहले कश्मीर घाटी में 46 और जम्मू क्षेत्र में 37 सीटें होती थी। पहली बार जम्मू कश्मीर विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीट आरक्षित की गई है। एसटी के लिए 9 सीट आरक्षित की गई है। इनमें से छह जम्मू क्षेत्र में और 3 सीट कश्मीर घाटी में आरक्षित की गई है। वहीं अनुसूचित जनजाति  के लिए पहले से आरक्षित 7 सीटों को बरकरार रखा गया है।

 पहाड़ी समुदाय को मिला अनुसूचित जनजाति का दर्जा

जम्मू कश्मीर के लिए 26 जुलाई का दिन भी बेहद ही खास रहा। लोकसभा में जम्मू-कश्मीर अनुसूचित जनजाति आदेश संशोधन विधेयक 2030 को पारित कर दिया गया। इसके तहत पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिल गया। इस बिल के तहत अब जम्मू कश्मीर की पहाड़ी, गद्दा, ब्राह्मण कोल और वाल्मीकि वर्ग को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया।

वहीं, जम्मू-कश्मीर में आगामी साल में विधानसभा चुनाव का आयोजन कराया जा सकता है। साल 2014 में ही आखरी बार जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव आयोजित किए गए थे। यदि आगामी साल में विधानसभा चुनाव का आयोजन होता है तो धारा 370 हटाने के बाद जम्मू कश्मीर में यह पहला विधानसभा चुनाव होगा।

आतंकी घटनाओं में आई कमी

जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद आतंकी घटनाओं में भी कमी देखने को मिली है। वहां से अलगाववादियों का जनाधार खत्म होता जा रहा है। पिछले साल के आंकड़ों के मुताबिक,  5 अगस्त 2016 से 4 अगस्त 2019 के बीच 900 आतंकी घटनाएं हुई थीं। जिसमें 290 जवान शहीद हुए थे और 191 आम लोग मारे गए थे। 

आतंकी ठिकानों पर बढ़ी कार्रवाई

5 अगस्त 2019 से 4 अगस्त 2022 के बीच 617 आतंकी घटनाओं में 174 जवान शहीद हुए और 110 नागरिकों की मौत हुई। इन आंकड़ों से साफ पता चलता है कि जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाओं में कमी देखने को मिली है। NIA भी लगातार आतंकी ठिकानों पर छापेमारी कर उनके नेटवर्क को ध्वस्त करने में लगी हुई है। साल 2018 में 58, साल 2019 में 70 और साल 2020 में 6 हुर्रियत नेता हिरासत में लिए गए। 18 हुर्रियत नेताओं से सरकारी खर्च पर मिलने वाली सुरक्षा वापस ली गई। अलगाववादियों के 82 बैंक खातों में लेनदेन पर रोक लगा दी गई।

कितने लोगों को मिला रोजगार?

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार यानी 26 जुलाई को राज्यसभा में एक रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट में बताया गया कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से लगभग 30,000 युवाओं को नौकरियां दी गई है। जम्मू-कश्मीर सरकार ने 29,295 रिक्तियां भरी है। भर्ती एजेंसियों ने 7,924 रिक्तियों का विज्ञापन दिया है और 2,504 व्यक्तियों के संबंध में परीक्षाएं आयोजित की गई है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में कई योजनाएं भी शुरू की है। अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वालों के लिए सेवाओं और शैक्षणिक संस्थानों में 3% आरक्षण का प्रावधान किया गया है।

निवेश और कारोबार में भी हुई बढ़ोतरी

जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने से पहले बाहरी लोगों को जमीन खरीदने का अधिकार नहीं था, लेकिन अनुच्छेद 370 हटाने के बाद अब बाहरी लोग भी जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदते हैं। अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से जम्मू कश्मीर में 188 भारी निवेशकों ने जमीन ली है। वहीं, इसी साल मार्च में जम्मू कश्मीर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का पहला प्रोजेक्ट मिला है। यह प्रोजेक्ट 500 करोड़ रुपये का है। इस प्रोजेक्ट के पूरे होते ही कश्मीर में 10,000 नौकरियां मिल सकेंगी। जानकारी के मुताबिक ये प्रोजेक्ट संयुक्त अरब अमीरात के 'एमआर' ग्रुप का है।

उद्योगों को मिला बढ़ावा

 बीते साल के आंकड़ों के मुताबिक प्रधानमंत्री डेवलपमेंट पैकेज के तहत 58,477 करोड़ रुपए की लागत के 53 प्रोजेक्ट शुरू किए गए थे। यह प्रोजेक्ट्स रोड, पावर, हेल्थ, एजुकेशन, टूरिज्म, खेती और स्किल डेवलपमेंट जैसे सेक्टर में शुरू हुए थे। जम्मू कश्मीर के औद्योगिक विकास के लिए नई केंद्रीय योजना के तहत 2037 तक 28,400 करोड़ की राशि खर्च होगी। इसके तहत उद्योगों को प्रोत्साहन दिया जाएगा और औद्योगीकरण का नया अध्याय प्रारंभ होगा। यह योजना रोजगार सृजन कौशल विकास और सतत विकास पर केंद्रित होगी।

जम्मू-कश्मीर में भी खुलेगा एम्स

जम्मू कश्मीर में 2 एम्स खोलने की मंजूरी दी गई है। इनमें से एक एम्स जम्मू में होगा और दूसरा कश्मीर में। लगभग 80, 000 करोड़ रुपये वाले प्रधानमंत्री विकास पैकेज 2015 के तहत विकास की 20 से अधिक परियोजनाओं को पूरा किया जा चुका है। वहीं, बाकी परियोजनाओं का काम भी चल रहा है।

पर्यटन क्षेत्र में भी लगे विकास के पंख

जम्मू कश्मीर में धारा 370 को निरस्त किए गए आज 4 साल पूरे हो गए हैं। बीते 4 सालों में जम्मू कश्मीर में विकास की ओर उड़ान भरी है। इसी के चलते प्रदेश में पर्यटन को भी बढ़ावा मिला है। प्रदेश में पर्यटकों की अच्छी खासी भीड़ देखने को मिलती है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2022 में 1.88 करोड़ पर्यटकों ने जम्मू कश्मीर की खूबसूरती का लुत्फ उठाया।

अमरनाथ श्रद्धालुओं की संख्या में रिकॉर्ड तोड़ इजाफा

साल 2021, 2022 और 2023 में बड़ी तादाद में पर्यटक कश्मीर आए हैं। साथ ही कश्मीर के बागबानी सेक्टर में सब का कारोबार शामिल है। इन दोनों को मिलाकर करीब 20,000 करोड़ रुपये सालाना की आमदनी होती है। वहीं, इसी साल शुरू की गई अमरनाथ यात्रा में भी श्रद्धालुओं की संख्या में बीते सालों के मुकाबले रिकॉर्ड तोड़ इजाफा हुआ है। इस साल अमरनाथ यात्रा में 4 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं।

अब स्कूलों में नहीं लगता ताला और नहीं लगते भड़काऊ नारे

अनुच्छेद 370 और 35ए की बेड़ियों से आजादी के बाद जम्मू कश्मीर में आए सुखद बदलाव को स्पष्ट रूप से महसूस किया जा सकता है। वहां, अब शिक्षा का स्तर दिन पर दिन बेहतर होता जा रहा है। शिक्षण संस्थानों पर अब ताला नजर नहीं आता। किसी क्षेत्र में शिक्षण संस्थानों को जलाए जाने की वारदात भी अब बंद हो चुकी है। स्कूल-कालेजों में छात्रों की उपस्थिति बढ़ चुकी है। अकादमिक सत्र भी नियमित हो चुका है, परीक्षाएं निर्धारित समय पर हो रही हैं।  छात्र अब पथराव करते हुए नजर नहीं आते, वह अपनी कक्षाओं में या फिर खेल के मैदान में नजर आते हैं।

34 साल बाद मिली मुहर्रम के जुलूस निकलने की आजादी

अनुच्छेद 370 के हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर विकास की ओर उड़ान भर चुका है। धीरे-धीरे जिंदगी पटरी पर लौट रही है। वहीं, 27 जुलाई को तीन दशकों के प्रतिबंध के बाद पैगम्बर मुहम्मद के पोते हज़रत इमाम हुसैन की जय-जयकार के बीच, सीना ठोककर और हज़रत इमाम हुसैन को याद करते हुए मुहर्रम का जुलूस निकाला गया। जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को 34 साल बाद मुहर्रम के जुलूस को निकालने की आजादी मिली है।