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Jammu Kashmir : पद्मश्री पंडित भजन सोपोरी ने संतूर से कश्मीर के संगीत को पूरे विश्व में दिलाई पहचान

भजन सोपोरी ने अंग्रेजी साहित्य में मास्टर्स डिग्री हासिल की थी। इसके उपरांत वाशिंगटन विश्वविद्यालय से पश्चिमी शास्त्रीय संगीत का अध्ययन भी किया। कुछ देर कालेज में पढ़ाने के बाद उन्होंने रेडियो में नौकरी की। वहां संगीत इंचार्ज रहे।

By Rahul SharmaEdited By: Updated: Fri, 03 Jun 2022 08:16 AM (IST)
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दादा और पिता से इन्हें गायन शैली व वादन शैली में शिक्षा मिली।
जम्मू, जागरण संवाददाता : ...कदम-कदम बढ़ाए जा, सरफरोशी की तमन्ना, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा और हम होंगे कामयाब जैसे प्रमुख देशभक्ति के गीतों की फिर से धुन तैयारी करने वाले जम्मू कश्मीर के विख्यात संतूर वादक पद्मश्री पंडित भजन सोपोरी ने संतूर से कश्मीर के संगीत को पूरे विश्व में अलग पहचान दिलाई।

उन्होंने तीन रागों, राग लालेश्वरी, राग पटवंती और राग निर्मल रंजनी की रचना भी की। पंडित भजन सोपोरी ने संस्कृत, अरबी, फारसी सहित देश की लगभग सभी भाषाओं में चार हजार से अधिक गीतों के लिए संगीत तैयार किया। जम्मू-कश्मीर में बोली जानी वाली लगभग सभी भाषाओं में उन्होंने संगीत दिया है। शास्त्रीय संगीत के प्रोत्साहन में उनकी छह पीढिय़ों का कश्मीर में विशेष योगदान रहा है। पंडित भजन सोपोरी के निधन से जम्मू कश्मीर में कला जगत में शोक की लहर है।

वर्ष 1948 में सोपोर के बटपोरा में जन्में पंडित भजन सोपोरी ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा अपने पिता पंडित शम्भू नाथ सोपोरी से ली। कश्मीर के इस सूफी घराने का कश्मीर के संगीत को बढ़ावा देने में विशेष योगदान रहा है। कश्मीर में लड़कियों को संगीत की शिक्षा देने की शुरुआत इन्हीं के घराने से हुई। इनके घराने ने सैकड़ों कलाकार तैयार किए। भजन सोपोरी को घर पर ही उनके दादा एससी सोपोरी और पिता शम्भू नाथ सोपोरी से संतूर की विद्या हासिल हुई। यानी संतूर वादन की शिक्षा उन्हें विरासत में मिली थी। दादा और पिता से इन्हें गायन शैली व वादन शैली में शिक्षा मिली।

भजन सोपोरी ने अंग्रेजी साहित्य में मास्टर्स डिग्री हासिल की थी। इसके उपरांत वाशिंगटन विश्वविद्यालय से पश्चिमी शास्त्रीय संगीत का अध्ययन भी किया। कुछ देर कालेज में पढ़ाने के बाद उन्होंने रेडियो में नौकरी की। वहां संगीत इंचार्ज रहे। कश्मीर से विस्थापन के पहले वह दिल्ली में प्रोग्राम एग्जिक्यूटिव पैक्स म्यूजिक रहे। अपना पूरा समय संगीत को देने को देने के उद्देश्य से उन्होंने प्रसार भारती से समय पूर्व सेवानिवृत्ति ले ली थी।

पंडित भजन सोपोरी ने एक एलबम नट योग आन संतूर भी बनाई। वह सा मा पा सोपोरी अकादमी फार म्यूजिक एंड परफार्मिंग आटर्स के संस्थापक भी हैं। इस अकादमी का मुख्य उद्देश्य शास्त्रीय संगीत को प्रोत्साहन देना है। भजन सोपोरी के घर पर धर्मपत्नी अर्पणा मदन सोपोरी, दो बेटे सोहराब सोपोरी और अभय सोपोरी के अलावा अन्य सदस्य हैं। सोपोरी घराने में अब छठी पीढ़ी में अभय सोपोरी संगीत को पहचान देने में लगे हैं।

कला जगत में शोक की लहर : -डोगरी संस्था के महासचिव राजेश्वर सिंह राजू ने कहा कि अभी लोग विख्यात संतूर वादक पंडित शिव कुमार के निधन के शोक से उभर भी नहीं पाए हैं और पंडित भजन सोपोरी भी हमारे बीच नहीं रहे।

  • -विख्यात गायिका कैलाश मेहरा साधु ने कहा कि भजन सोपोरी के निधन से न सिर्फ कश्मीरी को बल्कि जम्मू कश्मीर की सभी भाषाओं के संगीत को अपूर्णिय क्षति हुई है। उन्होंने शास्त्रीय संगीत उनके पिता शम्भू नाथ सोपोरी से सीखा था, लेकिन सुगम संगीत भजन सोपोरी से सीखा। उनके साथ काफी काम किया है। उनका यश शर्मा जी का लिखा गीत नी कुंजडीए तू जाना जाना देश प्राय...को उन्होंने ही संगीत दिया। वहीं, शमाीमा देव आजाद के गाए डोगरी गीत आऊं रस्ते जंदी भलाइयां तुंदै जम्मू एै... का संगीत भी उन्होंने ही दिया था।
  • नमीं डोगरी संस्था के अध्यक्ष हरीश कैला ने कहा कि भजन सोपोरी का संगीत में बहुत बड़ा योगदान है। कश्मीरी संगीत को उन्होंने अपने संतूर से दुनिया भर में पहुंचाया। संतूर वादन में उनको विशेष ख्याति प्राप्त थी।
  • संगीतकार बृजमोहन ने कहा कि भजन सोपोरी का जाना संगीत के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। जब उन्होंने शमीमा देव आजाद की एलबम बनाई तो डोगरी शब्दों के सुधार में उनका सहयोग किया था। संगीत की बहुत अच्छी जानकारी रखते थे।
पंडित भजन सोपोरी की उपलब्धियां :

  • -वर्ष 1993 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
  • -2004 में पद्मश्री सम्मान
  • -2009 में बाबा अलाउद्दीन खान पुरस्कार
  • -2011 में एमएन माथुर सम्मान
  • -2016 में जम्मू कश्मीर राज्य आजीवन उपलब्धि पुरस्कार। उन्होंने दुनिया भर में कई कंसर्ट में भाग लिया। 
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