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Jammu News: पाकिस्तान आतंकी मनसूबों के लिए अपना रहे नए हथकंडे, LOC-अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पहुंचा रहे हथियार

Terrorism in Jammu and Kashmir आतंकी हैंडलरों ने जम्मू कश्मीर में सक्रिय अपने कैडर के लिए हथियार व अन्य साजो सामान की आपूर्ति का तरीका बदला है। वह अब नए-नए तरीकों को अपनाकर घाटी में हथियारों की सप्लाई कर रहे हैं। आतंकियों के ओवरग्राउंड वर्कर और नार्कोटेरेरिज्म मॉड्यूल के सदस्य पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर से भेजे जा रहे हथियारों की सप्लाई आतंकियों तक कर रहे हैं।

By Jagran NewsEdited By: Preeti GuptaUpdated: Thu, 07 Sep 2023 02:52 PM (IST)
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नए-नए तरीकों से LOC-अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पहुंचा रहे हथियार (फाइल फोटो)
श्रीनगर, नवीन नवाज। Terrorism in Jammu and Kashmir: आतंकी हैंडलरों (Terrorist Handlers) ने जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) में सक्रिय अपने कैडर के लिए हथियार व अन्य साजो सामान की आपूर्ति का तरीका बदला है। अब वह सीधे वादी के भीतरी हिसें में हथियार (Weapons) पहुंचाने या घुसपैठ करने वाले आतंकियों को हथियारों की बड़ी खेप (large consignment of weapons) सौंपने के बजाय हथियार व अन्य साजो सामान एलओसी (LOC) या फिर अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ सटे भारतीय इलाके में पहुंचा रहे हैं।

पीओके और पाकिस्तान से भेजे जा रहे हथियारों की हो रही सप्लाई

आतंकियों के ओवरग्राउंड वर्कर (Terrorist overground worker) और नार्कोटेरेरिज्म मॉड्यूल (Narcoterrorism Module) के सदस्य गुलाम जम्मू कश्मीर (POK) और पाकिस्तान (Paksitan) से भेजी गई हथियारों की खेप को प्राप्त कर घाटी के भीतरी इलाकों में सक्रिय आतंकियों तक पहुंचा रहे हैं। इस पूरी प्रक्रिया में हथियार उपलब्ध कराने वाले और हथियार प्राप्त करने वाले में कोई सीधा संपर्क नहीं होता बल्कि चिह्नित स्थान पर हथियार पहुंचाया और लिया जाता है।

इस साल भारी मात्रा में बरामद किए गए हथियार

सुरक्षाबलों ने इस वर्ष एलओसी पर अब तक अपने 13 तलाशी अभियानों में सात एसाल्ट राइफलें, 23 पिस्तौल, 15 ग्रेनेड और 12 किलो नशीला पदार्थ व 50 लाख रूपये की नकदी बरामद की है। बीते सप्ताह ही उत्तरी कश्मीर के मच्छल सेक्टर में सुरक्षाबलों ने एक अभियान में पांच एसाल्ट राइफलें, सात पिस्तौल और चार ग्रेनेड बरामद किए हैं।

संपर्क सूत्र या सेफ हाउस में पहुंचाते हैं हथियार

संबधित सुरक्षाधिकारियों ने बताया कि एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर घुसपैठरोधी तंत्र अब पहले की तुलना में कहीं ज्यादा मजबूत है। इसमें सेंध लगाना आसान नहीं रहा है।अब आतंकियों के गाइड और तस्कर आसानी से एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पार नहीं कर पाते, क्योंकि ऐसा करते ही वह नजर में आ जाते है और मारे जाते हैं। इसके अलावा आतंकी भी घ़ुसपैठ करते हुए प्रयास करते हैं कि वह जल्द से जल्द भारतीय इलाके में अपने किसी संपर्क सूत्र या सेफ हाउस तक पहुंचे और ऐसे में उनके लिए अपने साथ ज्यादा साजो सामान लेकर चलना मुश्किल हो जाता है।

इस तरह आतंकियों तक पहुंचते हैं हथियार

बिना हथियार घुसपैठिए आम लोगों की तरह ही नजर आएंगे और उन्हें उनके गाइड व ओवरग्राउंड वर्कर आसानी से अपने साथ लेकर जा सकते हैं। इसलिए आतंकी हैंडलर एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर हथियार व अन्य साजो सामान पहुंचाते हैं, इसके बाद वह उक्त जगह की जानकारी गूगल मैप के जरिए आतंकी गाइडों, आतंकी ओवरग्राउंड वर्करों और नार्को टेरेरिज्म मॉड्यूल के सदस्यों तक पहुंचाते हैं। इसके बाद उक्त साजो सामान को ओवरग्राउंड वर्कर या आतंकियों के गाइड उचित समय पर उठा, विभिन्न तरीकों से वादी में सक्रिय आतंकियों तक पहुंचाते हैं।

पूरी प्लानिंग के साथ होती है हथियार की सप्लाई

अधिकारी ने बताया कि वादी के भीतरी इलाकों में भी जो हथियार लेकर जाता है, वह सीधे किसी आतंकी को नहीं सौंपता बल्कि अपने हैंडलर द्वारा बताए गए स्थान पर रखता है। वहां से फिर कोई दूसरा जो आतंकी हो या आतंकियों का कोई अन्य ओवरग्राउंड वर्कर या साथी, उठाएगा। उन्होंने बताया कि इस पूरी प्रक्रिया में हथियार लाने वाले और हथियार प्राप्त करने वाले के बीच कोई संपर्क नहीं होता।

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डेढ़ दर्जन घुसपैठिए मारे गए

अधिकारी ने बताया कि उड़ी और करनाह कुपवाड़ा में बीते दिनों सुरक्षाबलों ने हथियारों संग पकड़े गए आतंकियों के ओवरग्राउंड वर्करों ने भी इसकी पुष्टि की है। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि इस वर्ष उत्तरी कश्मीर में एलओसी पर आंतकियों द्वारा घुसपैठ किए जाने की कोशिशों के संदभ्र में लगभग साढ़े तीन सौ इनपुट प्राप्त हुए हैं। इनका यह मतलब नहीं कि 350 बार घुसपैठ हुई है। घुसपैठ के जो भी थोड़े बहुत प्रयास हुए हैं, सभी को नाकाम बनाया गया है। लगभग डेढ़ दर्जन घुसपैठिए मारे गए हैं।

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