Jammu Kashmir: अमरनाथ यात्रा से पहले अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तानी घुसपैठ की कोशिश नाकाम, घुसपैठिया ढेर
सीमावर्ती आरएसपुरा सेक्टर के बकारपुर सेक्टर में पाकिस्तानी सीमा पर संदिग्ध गतिविधियां देखी। इसके उपरांत बीएसएफ के जवानों पर संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी और जैसे ही पाकिस्तानी सीमा से घुसपैठिए ने भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया तो सतर्क जवानों ने उसे आत्मसमर्पण करने की चेतावनी दी।
By Vikas AbrolEdited By: Updated: Mon, 27 Jun 2022 12:20 PM (IST)
जम्मू, जेएनएन। भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सतर्क बीएसएफ के जवानों ने अमरनाथ यात्रा से पहले यात्रा में खलल डालने के पाकिस्तान के नापाक मंसूबों पर पानी फेर दिया है।
पाकिस्तान की ओर से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने पर एक पाकिस्तानी घुसपैठिए को ढेर कर दिया गया है। मारे गए घुसपैठिए की फिलहाल अभी तक पहचान नहीं हो पाई है।भारत-पाक सीमा के आसपास के इलाकों में बीएसएफ के जवानों ने एहतियात के तौर पर तलाशी अभियान भी छेड़ दिया है।
जानकारी के अनुसार, सोमवार तड़के 4 बजे बीएसएफ की 36वीं बटालियन ने सीमावर्ती आरएसपुरा सेक्टर के बकारपुर सेक्टर में पाकिस्तानी सीमा पर संदिग्ध गतिविधियां देखी।इसके उपरांत बीएसएफ के जवानों पर संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी और जैसे ही पाकिस्तानी सीमा से घुसपैठिए ने भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया तो सतर्क जवानों ने उसे आत्मसमर्पण करने की चेतावनी दी।
उसने जवानों की चेतावनी को अनसुना कर पाकिस्तानी सीमा की ओर लौटने का प्रयास किया लेकिन बीएसएफ के जवानों ने उसे वहीं ढेर कर दिया। सीमा पर तारबंदी के नजदीक पाकिस्तानी घुसपैठिया का शव अभी भी पड़ा हुआ है।
आरएसपुरा पुलिस भी घटनास्थल पर पहुंच गई है। मारा गए पाकिस्तानी घुसपैठिए ने काले रंग की सलवार कमीज पहनी हुई है। यहां यह बता दें कि इस बार अमरनाथ की यात्रा में रिकार्ड तोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। यही वजह है कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए सरकार की ओर से प्रदेश के प्रवेश द्वार लखनपुर से लेकर बालटाल और पहलगाम और फिर पवित्र गुफा तक सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं।
इस बार पहली बार ड्रोन और आरएफआइडी यानि रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस से श्रद्धालु सुरक्षा एजेंसियों की आंख से पल भर के लिए भी ओझल नहीं हो सकेंगे।इस बार कोरोना संक्रमण के कारण दो वर्ष के उपरांत बाबा अमरनाथ की यात्रा शुरू हो रही है। प्रदेश पुलिस के अलावा अर्धसैनिक बलों के 35 हजार जवान विशेष रूप से तैनात किए गए हैं। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त रूप से सेना की राष्ट्रीय राइफल्स का घेरा भी मौजूद रहेगा।
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