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Operation Parvat Prahar : बस एक आदेश.. और दुश्मन के घर में मौत बनकर बरसेंगे पैरा कमांडो

लद्दाख में सैन्य अभ्यास रेड हंट और आपरेशन प्रहार के दौरान हमारी स्पेशल फोर्स के जवानों ने मौत को सीधे चुनौती देते हुए आसमान से सीधी छलांग लगाकर अपने जोश का नमूना पेश किया तो सैन्य अधिकारी भी दंग हुए नहीं रह सके।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Updated: Tue, 13 Sep 2022 08:34 AM (IST)
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भारतीय सेना के इन जांबांजों के शौर्य के सामने दुश्मन की तमाम रणनीति धरी रह जाती है।
जम्मू, विवेक सिंह : 30 हजार फीट की ऊंचाई पर जहां सांस भी सांस छोड़ देती है, भारतीय सेना के पैरा कमांडो दुश्मन के सूचना तंत्र को चकमा देते हुए उसके ही क्षेत्र में सीधे कूद जाते हैं और कुछ ही मिनट में दुश्मन पर मौत बनकर बरस जाते हैं। रिएक्शन टाइम कम रखने के लिए वह कई हजार फीट तक बिना पैराशूट खोले ही सीधे गिरते (फ्री फाल) हैं और दुश्मन को संभलने का मौका ही नहीं देते। उसके बाद बाकी काम सेना की इंफैंट्री डिविजन संभाल लेती है। भारतीय सेना के इन जांबांजों के शौर्य के सामने दुश्मन की तमाम रणनीति धरी रह जाती है।

लद्दाख में सैन्य अभ्यास रेड हंट और आपरेशन प्रहार के दौरान हमारी स्पेशल फोर्स के जवानों ने मौत को सीधे चुनौती देते हुए आसमान से सीधी छलांग लगाकर अपने जोश का नमूना पेश किया तो सैन्य अधिकारी भी दंग हुए नहीं रह सके। उन्होंने फिर से साबित किया कि एक आदेश मिलते ही चीन हो या पाकिस्तान यह जांबांज दुश्मन के घर में घुसकर मिशन को अंजाम देने में सक्षम हैं।

इन 15 दिन में सैन्य अभ्यास के दौरान 'कांबैट फ्री फाल' के दौरान दो हादसों में भले ही देश ने दो योद्धा खोए हैं, लेकिन इससे स्पेशल फोर्स का मनोबल कमजोर नहीं हुआ, बल्कि चुनौतियों को पार पाकर आगे बढऩे का जज्बा मिला है। पैरा कमांडो का यह स्पेशल आपरेशन 'कांबैट फ्री फाल' मौत को आंख दिखाने से कम नहीं है पर हमारे जवानों का जोश उनकी राह आसान बना देता है।

यह है कांबैट फ्री फाल : यह एक खतरनाक आपरेशन है और दुश्मन को बिना संभलने का मौका दिए उसकी मांद में घुसकर उसे दफन करना होता है। इसमें पैरा कमांडो का छोटा दल रात के अंधेरे में करीब 30 हजार फीट की ऊंचाई से सीमा के पास जंप करते हैं और फिर कैंपस, जीपीएस, नाइट विजन व दुश्मन की नजर में न आने वाली तकनीक का इस्तेमाल करते हुए अंधेरे में उडऩे वाले किसी बाज की तरह विशेष पैराशूट से ग्लाइड करते हुए लक्ष्य की और बढ़ते हैं। ऐसे पैराशूट अमेरिका बनाता है। इनका इस्तेमाल पैरा कमांडो ने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान किया था।

स्टेटिक लाइन जंप में रहती है बड़ी टीम : अत्याधुनिक हथियारों व उपकरणों से लैस पैरा कमांडो स्टेटिक लाइन जंप का इस्तेमाल युद्ध के समय करते हैं। इस दौरान विमान से 600 से 1200 फीट की उड़ान के दौरान अधिक संख्या में छाताधारी सैनिकों को जंप कराकर दुश्मन पर घातक प्रहार किया जाता है।

जब पैराशूट उलझ जाए तो... : ऐसी ही चुनौती 'हार्स शू इमरजेंसी' कही जाती है। इसमें मुख्य पैराशूट कमांडो के शरीर के साथ उलझ जाता है। इस आपात स्थिति से में रिजर्व पैराशूट काम आता है। इसमें सेंसर लगे होते हैं, जिससे पैरा कमांडो के सामान्य से ज्यादा दूरी तक नीचे गिरने की स्थिति में स्वयं ही खुल जाता है।

मुख्य पैराशूट को पैरा कमांडो खुद भी पैक कर सकता है, लेकिन रिजर्व पैराशूट को कोई विशेषज्ञ ही पैक कर सकता है। फाइटर पायलट की सीट के साथ इजेक्ट करने के लिए ऐसा ही पैराशूट पैक होता है। अगर उलझा हुआ मुख्य पैराशूट बाधा बन जाए तो रिजर्व पैराशूट भी उलझ जाता है।

200 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से नीचे आता है पैरा कमांडो : 1300 से अधिक पैराजंप कर चुके वायुसेना के सेवानिवृत्त ङ्क्षवग कमांडर कमल ङ्क्षसह का कहना है कि एक पैरा कमांडो कांबैट फ्री फाल के दौरान दो सौ किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से नीचे आ रहा होता है। विमान से जंप करने के बाद पहले प्रति 10 सेकेंड में वह एक हजार फीट की दूरी तय करता है। इसके बाद गिरने की गति और बढ़ आती है व प्रति पांच सेकेंड में एक हजार फीट नीचे आता है। ऐसे में कोई दिक्कत आने पर उसके पास रिएक्शन टाइम बहुत कम होता है। भले ही पैरा ट्रूपर के पास एक रिजर्व पैराशूट भी होता है, लेकिन पैरा जंप करना जोखिम भरा होता है। 30 हजार फीट की ऊंचाई पर तापमान शून्य से भी कम होता है और आक्सीजन की भारी कमी।

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