Kashmir Terror Funding Case: आतंकी संगठनों के लिए अहम मोहरा था पीडीपी नेता वहीद-उर-रहमान परा
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के करीबियों में अग्रणी परा के खिलाफ दायर आरोपपत्र में बताया है कि उसने उसने पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों को उनका एजेंडा आगे बढ़ाने में मदद की। उनका इस्तेमाल अपने राजनीतिक विरोधियों को ठिकाने लगाने में किया।
By Edited By: Updated: Mon, 07 Jun 2021 10:37 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : आतंकी-पुलिस-राजनीतिक गठजोड़ में अहम कड़ी के रूप में सामने आए पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की युवा इकाई के अध्यक्ष वहीद-उर-रहमान परा आतंकी संगठनों के लिए खास 'मोहरा' था। छात्र जीवन से पत्रकारिता और सियासत तक 13 साल का उसका सफर छल, प्रपंच, अवसरवादिता और दोगलेपन की कहानी है।
राजनीतिक लाभ के लिए परा ने आतंकियों को हथियार उपलब्ध कराने व अन्य प्रकार से मदद की। यह दावे पुलिस ने तथ्यों के आधार पर परा के खिलाफ अपने आरोपपत्र में किए हैं। पुलिस के काउंटर इंटेलीजेंस कश्मीर विंग जिसे सीआइके भी कहते हैं, ने गत सप्ताह ही विशेष अदालत में परा के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के करीबियों में अग्रणी परा के खिलाफ दायर आरोपपत्र में बताया है कि उसने उसने पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों को उनका एजेंडा आगे बढ़ाने में मदद की। उनका इस्तेमाल अपने राजनीतिक विरोधियों को ठिकाने लगाने में किया।
सीआईके ने पाच संरक्षित गवाहों और टेक्निकल इंटेलीजेंस के आधार पर 19 पेजों पर आधारित आरोपपत्र तैयार किया है। इसके साथ 100 से ज्यादा पेज सलंग्न हैं जो आरोपों को सत्यापित करते तथ्यों का उल्लेख करते हैं। इनमें उन घटनाओं का उल्लेख है जिनमें उसके पार्टी के राजनीतिक विरोधियों को रास्ते से हटाने के लिए आतंकियों का इस्तेमाल किया ताकि चुनावों में जीत को सुनिश्चित किया जा सके। आरोपपत्र में बताया कि उसका पाक आतंकियों अबु दुजाना व अबु कासिम से संबंध था। वह उनसे निजी तौर पर मिलता था और कई बार ओवरग्राउंड वर्करों के जरिए। दोनों ही सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं।
पाक जाकर सलाहुद्दीन का साक्षात्कार लिया : आरोपपत्र में बताया गया है कि पाक आतंकी अबु दुजाना की एक स्थानीय लड़की के साथ जबरन शादी कराने में भी परा का हाथ था। पुलिस ने 2007 से 2020 तक उसके पकड़े जाने तक, उसकी जिंदगी के लगभग तमाम पहलुओं को अच्छी तरह खंगाला है। 2007 में पाक जाकर परा ने हिजबुल मुजाहिदीन के कमाडर सैयद सलाहुद्दीन का साक्षात्कार लिया और पुलवामा लौटने पर इस साक्षात्कार को स्थानीय केबल नेटवर्क पर प्रसारित किया। वर्ष 2013 में वह पीडीपी में शामिल हुआ। उसने पीडीपी में बड़ी चालाकी से खुद को स्थापित कर अपने आपको पूृरी तरह सुरक्षित करने के लिए किया। परा को पाक की तरफ से इसकी पूरी छूट थी कि वह कश्मीर मुद्दे पर कोई भी ऐसा काम कर सकता है जिसका दीर्घकालिक फायदा हो। उसने यह काम बखूबी किया।
हिंसा के लिए गिलानी के दामाद को पांच करोड़ दिए : सीआईक ने परा के खिलाफ यूएपीए और प्रिवेंशन आफ मनी लाडरिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज करते हुए जाच की है। उसने जम्मू कश्मीर गृह विभाग से उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की अनुमति ली है। अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल गैरकानूनी और राष्ट्रविरोधी गतिविधियो के लिए करने वाले अज्ञात राजनीतिकों व अन्य लोगों के खिलाफ विश्वसनीय स्त्रोतों से मिली जानकारी के आधार पर सीआईके ने बीते साल केस दर्ज किया था। परा को बीते साल नवंबर में एनआइए ने गिरफ्तार किया था। इसी साल मार्च में एनआइए के अदालत में दायर आरोपपत्र में बताया है कि उसने पाच करोड़ कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी के दामाद अल्ताफ फंतोश को 2016 में वादी में आतंकी बुरहान की मौत के बाद अफरा-तफरी का माहौल बनाए रखने के लिए दिए थे। एनआइए ने आरोपपत्र में परा के हिजबुल मुजाहिदीन व लश्कर के साथ संबंधों का भी जिक्र किया है। जनवरी में परा को अदालत ने जमानत पर रिहा किया था। सीआईके ने उसे उसी दिन गिरफ्तार कर लिया और फिलहाल वह जेल में है।
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