Jammu: पुराने सियालकोट ट्रैक पर बसे लोगों का नहीं थम रहा गुस्सा
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा इस ओर ध्यान दें और रेलवे पटरी पर बसने वाले रिफ्यूजियों की सुध लें नहीं तो आने वाले दिनों में आंदोलन में और तेजी लाई जाएगी। उन्होंने सरकार से मांग की कि वह पुराने सियालकोट रेलवे लाइन पर छोटी ट्रेन चलाने की योजना को रद करे।
संवाद सहयोगी, मीरां साहिब : पुराने सियालकोट रेलमार्ग पर ट्राम या मिनी ट्रेन चलाने की योजना के विरोध में लगातार पांचवे दिन भी रेल पटरी पर बसने वाले गुलाम कश्मीर से आए लोगों ने केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। बुधवार को कर्णबाग चट्ठा मोड़ पर पुराने रेलमार्ग पर बसे कर्णबाग, रानीबाग, भोर कैंप, सिंबल कैंप आदि इलाकों से आए लोगों ने सरकार की योजना का विरोध किया।
केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कहा कि प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सरकार ने विभाजन के बाद गुलाम कश्मीर से आए लोगों को बंद पड़े सियालकोट ट्रैक पर बसाया था। अब सतवारी से आरएसपुरा तक करीब तीन लाख लोग इस पर बसे हुए हैं, जिनको सरकार उजाड़ने पर तुली हुई है। उन्होंने सरकार से मांग की कि वह पुराने सियालकोट रेलवे लाइन पर छोटी ट्रेन चलाने की योजना को रद करे।
इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि सरकार लिखित में आश्वासन दे कि वह इस रेलमार्ग से उनको नहीं हटाएगी, इसके बाद ही वे अपना आंदोलन खत्म करेंगे। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि प्रदेश के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा इस ओर ध्यान दें और रेलवे पटरी पर बसने वाले रिफ्यूजियों की सुध लें, नहीं तो आने वाले दिनों में आंदोलन में और तेजी लाई जाएगी। लोगों ने कहा कि पहले वह देश बंटवारे के समय पीओके से विस्थापित होकर जहां पर आए और अब वह एक और विस्थापित होने का दर्द सहन नहीं कर सकते।
इस मौके पर रिफ्यूजी नेता अमृतबाली, ओमप्रकाश खजुरिया, गुरमीत कौर, रविंद्र सिंह, सतपाल, दिलीप ¨सह, बीना शर्मा, कामरेड सरूप सिंह, सुदेश कुमार, कुंदनलाल शर्मा आदि लोग उपस्थित थे।