Ladakh में पुलिस ने जर्मन टूरिस्ट को किया रेस्क्यू, न्योमा के पास ट्रैकिंग करते वक्त हो गया था बीमार
लद्दाख के न्योमा में एक जर्मन टूरिस्ट ट्रैकिंग के दौरान बीमार हो गया। वह चलने की हालत में भी नहीं था। उसने किसी तरह पुलिस तक अपनी हालत की जानकारी पहुंचाई। इसके बाद पुलिस ने रेस्क्यू ऑपरेशन चला उसे सुरक्षित बचा लिया। जर्मन पर्यटक ने रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए पुलिस का आभार व्यक्त किया है। साथ ही लद्दाख के लोगों को भी खूब तारीफ की है।
By vivek singhEdited By: Rajat MouryaUpdated: Sun, 24 Sep 2023 05:04 PM (IST)
जम्मू, राज्य ब्यूरो। German Tourist Rescue In Ladakh दक्षिणी लद्दाख के दूरदराज इलाके में ट्रैकिंग करते समय बीमार हुए जर्मनी एक पर्यटक को पुलिस ने अभियान चलाकर बचा लिया। लद्दाख के न्योमा सब-डिवीजन के नुरबो सूमदो इलाके में जर्मनी के पर्यटक क्रिस्टो की तबीयत खराब हो गई थी और वह वहां पर फंस गया था। यह इलाका हिमाचल प्रदेश सीमा से सटे कारजोक से 75 किलोमीटर की दूरी पर है।
किसी भी दिशा में यात्रा करने में बहुत समय लगना तय था। घोड़े की व्यवस्था न होने की स्थिति में वहीं फंस गए क्रिस्टो ने किसी तरह से लोगों की मदद से पुलिस तक उसे बचाने का संदेश पहुंचाया।
पुलिस ने दी रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी
रविवार को पुलिस ने इस मामले की जानकारी देते हुए बताया कि न्योमा पुलिस स्टेशन ने जर्मन नागरिक के दूरदराज इलाके में फंसे होने की सूचना मिलते ही अपना राहत दल रवाना कर दिया। पुलिस के जवानों ने नुरबो सूमदो इलाके में पहुंचकर जर्मन पर्यटक क्रिस्टो को सुरक्षित निकाला।ये भी पढ़ें- IAF Air Show: जम्मू वासियों को करतब दिखाकर लौटे सूर्य किरण विमान, अब प्रयागराज में दिखाएंगे जलवा
पुलिस ने बताया कि जर्मन पर्यटक को प्राइमरी हेल्थ सेंटर में भर्ती करवाया गया। समय पर उपचार मिलने से क्रिस्टो की जान बच गई। जर्मन पर्यटक ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उसकी जान बचाने के लिए लद्दाख पुलिस का आभार जताया है।
'पुलिस के बचाव दल ने की पूरी मदद'
इस संबंध में रविवार को पुलिस द्वारा जारी एक वीडियो में क्रिस्टो ने कहा कि वह ट्रैकिंग करते हुए अचानक बीमार हो गया। वहां पास में कोई सड़क नहीं थी व पैदल चलना संभव नहीं था। ऐसे में उसके पास मदद मांगने का अलावा कोई विकल्प नहीं था। क्रिस्टो ने बताया पुलिस के बचाव दल ने उसकी पूरी मदद की।
टूरिस्ट ने कहा कि लद्दाख के लोग बहुत मिलनसार हैं। ट्रैकिंग के दौरान व उसे बचाने के लिए पुलिस तक संदेश पहुंचाने में भी लोगों ने बहुत सहयोग दिया। अगर पुलिस का दल मदद करने के लिए मौके पर वहां नहीं पहुंचता तो उसकी दिक्कतें और बढ़ सकती थी।
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