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Jammu News: जीपीएस ट्रैकर की अनिवार्यता के लिए अदालत में जाएगी पुलिस, अपराधियों की निगरानी के लिए बताया जरूरी

पुलिस महानिदेशक स्वैन ने कहा कि जीपीएस ट्रैकर एंकलेट की मदद से अपराधों पर रोकथाम लगेगी। जमानत पर छूटने वाले अपराधी दोबारा अपराध करने से बचेंगे। वह कहां जा रहे हैं कौन उनसे मिल रहा है क्या वह जमानत की शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं या नहीं इन सभी बिंदुओं की निगरानी होगी। अगर कोई जमानत की शर्तों का उल्लंघन करेगा तो उसकी जमानत रद हो जाएगी

By naveen sharmaEdited By: Jeet KumarUpdated: Tue, 07 Nov 2023 05:30 AM (IST)
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जीपीएस ट्रैकर की अनिवार्यता के लिए अदालत में जाएगी पुलिस
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। गंभीर अपराधों में शामिल आरोपितों को जमानत के लिए जीपीएस (ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम) ट्रैकर एंकलेट पहनना अनिवार्य बनाने के लिए जम्मू कश्मीर पुलिस अदालत से आग्रह करेगी। यह जानकारी पुलिस महानिदेशक आरआर स्वैन ने सोमवार की दी।

जम्मू कश्मीर पुलिस ने बीते शनिवार को हिजबुल मुजाहिदीन और हुर्रियत के कुख्यात ओवरग्राउंड वर्कर व हवाला कारोबारी गुलाम मोहम्मद बट को जीपीएस ट्रैकर एंकलेट लगाया है। देश में किसी आरोपित को एंकलेट पहनाए जाने का यह पहला मामला है।

पुलिस महानिदेशक ने दिए आदेश

पुलिस महानिदेशक स्वैन ने कहा कि जीपीएस ट्रैकर एंकलेट की मदद से अपराधों पर रोकथाम लगेगी। जमानत पर छूटने वाले अपराधी दोबारा अपराध करने से बचेंगे। वह कहां जा रहे हैं, कौन उनसे मिल रहा है, क्या वह जमानत की शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं या नहीं... इन सभी बिंदुओं की निगरानी होगी। अगर कोई जमानत की शर्तों का उल्लंघन करेगा तो उसकी जमानत रद हो जाएगी और उसके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई होगी।

जीपीएस ट्रैकर एंकलेट से अपराधियों पर निगरानी रहेगी

डीजीपी ने कहा कि कानूनी और ऑपरेशनल पहलुओं को ध्यान में रखते हुए ही जीपीएस ट्रैकर एंकलेट लगाया जाता है। आतंकी गतिविधियों, अवैध नशीले पदार्थों की तस्करी व अन्य गंभीर अपराधों में लिप्त तत्व जमानत पर छूटने के बाद दोबारा अपराध न कर सकें, अपने खिलाफ जारी जांच को प्रभावित करने के लिए सुबूतों से छेड़छाड़ न कर सकें और गवाहों को नुकसान न पहुंचा सकें इसलिए जब उन्हें जमानत दी जाती है तो शर्त रहती है कि वह समय-समय पर पुलिस स्टेशन में हाजिरी देंगे और बिना अनुमति कहीं बाहर नहीं जाएंगे।

अब जीपीएस ट्रैकर एंकलेट से उन पर निगरानी रहेगी। अगर वह जमानत की शर्तों का उल्लंघन करेंगे तो एक अकाट्य साक्ष्य उपलब्ध रहेगा, जिसके आधार पर जमानत को खारिज कराया जा सकेगा।

दुनिया के कई देशों में जीपीएस ट्रैकर इस्तेमाल हो रहे हैं। हमने जिस व्यक्ति को यह ट्रैकर लगाया है वह रसोई गैस सिलेंडर में हवाला के 50 लाख रुपये आतंकियों और अलगाववादियों के लिए लेकर जा रहा था। हम इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि जब भी किसी भी अपराधी को जमानत दी जाए तो वह जमानत की शर्त में जीपीएस ट्रैकर एंकलेट व अन्य तकनीकों को, जो निगरानी में सहायक हैं, को अनिवार्य बनाया जाए।

आपराधियों की निगरानी की प्रभावी व्यवस्था बनेगी

आरआर स्वैन ने कहा कि यहां जम्मू कश्मीर में हमने देखा है कि आतंकी हिंसा या फिर नशा तस्करी के आरोपित को जब जमानत मिलती है तो वह फिर से अपराधों में शामिल हो जाते हैं। ऐसे अपराधी खुद तो अपराध में सक्रिय भागीदारी नहीं रहेंगे, लेकिन दूसरों के जरिए अपराध करेंगे। इसलिए हम उनकी गतिविधियों की निगरानी के लिए प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित बनाना चाहते थे।

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यह जीपीएस ट्रैकर एंकलेट

यह जमानत पर रिहा हुए आरोपित की एडी के ऊपर पहनाया जाता है। इसमें लगा जीपीएस पुलिस कंट्रोल रूप में संबंधित आरोपित के लोकेशन की पल-पाल की जानकरी उपलब्ध करवाता है। जीपीएस एंकलेटर मानीटर में एक जीपीएस चिप और एक सिम कार्ड होता है। ये इस बात पर नजर रखते हैं कि वे कहां हैं। अगर अपराधी मानीटर को हटाने का प्रयास करता है तो यह सर्किट टूट जाता है। यह टूटा हुआ सर्किट अधिकारियों के लिए खतरे की घंटी बजाता है।

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