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IAS अधिकारी Ashok Parmar के आरोपों पर सियासत शुरू, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने मांगी निष्पक्ष जांच

IAS Officer Ashok Parmar आइएएस अधिकारी अशोक परमार (IAS Ashok Parmar) के आरोपों पर प्रदेश में सियासत शुरू हो गई है। नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdulla) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने आरोपों की निष्पक्ष जांच की मांग की है। मूलत गुजरात के रहने वाले अशोक परमार 1992 बैच के आइएस अधिकारी हैं।

By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaUpdated: Wed, 30 Aug 2023 09:55 AM (IST)
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उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने Ashok Parmar के आरोपों पर मांगी निष्पक्ष जांच
जम्मू, राज्य ब्यूरो। विवादों में रहने वाले आइएएस अधिकारी अशोक परमार (IAS Ashok Parmar) के आरोपों पर प्रदेश में सियासत शुरू हो गई है। नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdulla) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने आरोपों की निष्पक्ष जांच की मांग की है।

मूलत: गुजरात के रहने वाले अशोक परमार 1992 बैच के आइएस अधिकारी हैं। उन्होंने जम्मू कश्मीर प्रशासन पर उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं और मार्च 2022 में केंद्र में प्रतिनियुक्ति से लौटने के बाद उनका पांच बार तबादला हुआ है।

भ्रष्टाचार उजागर करने के लिए किया जा रहा प्रताड़ित

प्रशासनिक अधिकारी भले ही इस विषय पर चुप हैं पर अनाधिकारिक तौर पर परमार को सवालों के घेरे में खड़ा करने का प्रयास करते हैं। वह यह कहने से नहीं चूकते कि परमार के खिलाफ आरोपों की लंबी फेहरिस्त है। परमार ने शिकायत में आरोप लगाया था कि उन्होंने जलशक्ति विभाग और अन्य कुछ विभागों में भ्रष्टाचार को उजागर किया है, जिस कारण उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है।

उन्हें दलित होने के कारण निशाना बनाया जा रहा है। इसके जवाब में अधिकारियों बताया कि जम्मू कश्मीर में बीते तीन वर्ष के दौरान प्रशासकीय, वित्तीय व तकनीकी अनुमोदन के बिना कोई काम आबंटित नहीं किया जा रहा है। इसके अलावा आनलाइन भुगतान हो रहा है और सभी कार्यों की मौके पर जांच और जियो टैगिंग व मैपिंग होती है।

जांच रिपोर्ट सरकार को देने की जगह सार्वजनिक की गई 

उन्होंने कहा कि इस समय यह आरोप किस वजह से लगाए गए हैं, कहा नहीं जा सकता। परमार जम्मू कश्मीर में रहे और केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर भी रहे। इस दौरान उनके कामकाज के दौरान वह लगातार किसी न किसी वजह से चर्चा में बने रहे। भले ही समय पूर्व तबादले का मामला हो या ट्रांसफर विंडो बंद होने के बाद 398 तबादले करने का मामला हो। एक आइएफएस अधिकारी के खिलाफ जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपने से पहले सार्वजनिक करने का आरोप भी उन पर लगा। जल शक्ति विभाग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि केंद्र में प्रतिनियुक्ति से लौटने के बाद पहले सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग में और उसके बाद उन्हें पूरे जल शक्ति विभाग का कार्यभार सौंपा गया।

कई बार विवाद में आए अशोक परमार

प्रशासनिक अधिकारियों का तर्क था कि इस दौरान कार्य की गति मंद रही और उनके जाने के एक साल के भीतर ही बढ़कर 96 और 83 प्रतिशत हो गई। अब तक 172 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि अशोक परमार ने जम्मू कश्मीर से बाहर स्थानांतरण का आग्रह किया है और इसे भी प्रशासन ने केंद्रीय गृहमंत्रालय को भेज दिया है। एक अधिकारी ने बताया कि वर्ष 1996 में वह पुंछ जिले के मेंढर में एसडीएम रहने के दौरान वह कई बार विवाद में आए। वहां वकीलों ने उनके खिलाफ हड़ताल की थी। इसके अलावा राजस्व विभाग के अधिकारियों ने भी उनकी शिकायत की थी।

जिला आयुक्त बनने के सात माहिने बाद हटा दिए गए थे परमार

उसी दौरान पुंछ के तत्कालीन जिला उपायुक्त के जम्मू आने पर कथित तौर पर वायरलेस से संदेश प्रसारित कराया कि उपायुक्त जिला छोड़कर चले गए हैं। तत्कालीन मंडलायुक्त जम्मू बीआर कुंडल ने पुंछ का दौरा करने के बाद तत्कालीन राज्यपाल को परमार को तत्काल वहां से स्थानांतरित करने की सिफारिश की थी। सूत्रों के अनुसार वह जहां भी गए किसी न किसी कारण चर्चा में बने रहे। खाद्य आपूर्ति एवं परिवहन विभाग के अतिरिक्त सचिव रहते हुए वर्ष 1997 में वह बिना अनुमति गुजरात चले गए। वर्ष 2002 में उन्हें करगिल का जिला उपायुक्त बनाया गया, लेकिन सात माह में उन्हें हटा लिया गया। इसके अलावा वर्ष 2006 में वह जिला उपायुक्त ऊधमपुर नियुक्त किए गए।

अभद्र भाषा का प्रयोग करने का लगाया आरोप

वहां उन पर समाज कल्याण विभाग में पर्यवेक्षक (संविदा) के चयन में अनियमितता का आरोप लगा और तत्कालीन विधायक और पूर्व मंत्री हर्ष देव सिंह ने उनके खिलाफ जांच करने और उन्हें ऊधमपुर से हटाने का आग्रह किया था। सूत्रों के अनुसार, परमार को जम्मू विकास प्राधिकरण (जेडीए) का उपाध्यक्ष बनाया गया, लेकिन वहां भी कर्मचारियों और अधीन्स्थ ने उन पर कई आरोप लगाए।

बार-बार की हड़तला के कारण तत्कालीन आवास और शहरी विकास मंत्री ने मुख्य सचिव को वहां से हटाने और उनके नोट को परमार के व्यक्तिगत रिकार्ड में दर्ज करने को कहा। वर्ष 2007 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के प्रशासनिक सचिव का कार्यभार संभालने के उन पर जेकेइडीए नान गजेटिड इंप्लाइज यूनियन ने अभद्र भाषा का प्रयोग करने का आरोप लगाया।

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