Jammu-Kashmir के सभी स्कूलों में बच्चों को हिंदी पढ़ाने की तैयारी
जम्मू-कश्मीर में ¨हिंदी हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए स्कूल स्तर से ही कदम उठाने की तैयारी है। जम्मू-कश्मीर स्कूल शिक्षा बोर्ड के सभी स्कूलों में पहली कक्षा से दसवीं तक ¨हदी भाषा को पढ़ाने के लिए एक कमेटी का गठन कर उससे सुझाव मांगे गए हैं।
By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaUpdated: Mon, 13 Feb 2023 10:11 PM (IST)
जम्मू, राज्य ब्यूरो : जम्मू-कश्मीर में ¨हिंदी हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए स्कूल स्तर से ही कदम उठाने की तैयारी है। जम्मू-कश्मीर स्कूल शिक्षा बोर्ड के सभी स्कूलों में पहली कक्षा से दसवीं तक ¨हदी भाषा को पढ़ाने के लिए एक कमेटी का गठन कर उससे सुझाव मांगे गए हैं। कमेटी सभी पहलुओं पर विचार विमर्श करेगी की क्या स्कूलों में हिंदी के शिक्षक की नियुक्ति अनिवार्य की जाए, हिंदी को अनिवार्य बनाया जाए या कोई अन्य विकल्प अपनाया जाए।
कश्मीर के कई निजी स्कूलों में भी हिंदी पढ़ाई जाती है
मौजूदा समय में प्रदेश के स्कूलों में विद्यार्थियों को हिंदी या उर्दू विषय का विकल्प मिलता है। कश्मीर संभाग व जम्मू संभाग के पुंछ, राजौरी, डोडा, किश्तवाड़ जिलों में बढ़ी संख्या में विद्यार्थी उर्दू पढ़ते हैं, जबकि जम्मू संभाग के अधिकतर क्षेत्रों में हिंदी पढ़ी जाती है। हालांकि कश्मीर के कई निजी स्कूलों में भी हिंदी पढ़ाई जाती है। वहीं, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से मान्य स्कूलों में हिंदी, संस्कृति पढ़ाई जाती है। बताते चलें कि जम्मू कश्मीर में पांच अधिकारिक भाषाएं घोषित हैं। इनमें अंग्रेजी, हिंदी , कश्मीरी, डोगरी व उर्दू शामिल हैं।
20 फरवरी तक अपनी सिफारिशें देने के लिए कहा
जम्मू स्टेट काउंसिल आफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग की ओर से करीब एक सप्ताह पहले गठित आठ सदस्यीय कमेटी से 20 फरवरी तक अपनी सिफारिशें देने के लिए कहा गया है। जल्द ही कमेटी की पहली बैठक होगी। कमेटी में स्कूल शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन के नेतृत्व में सात अन्य सदस्य शामिल किए गए हैं।इनमें स्कूल शिक्षा विभाग जम्मू के निदेशक, स्कूल शिक्षा विभाग कश्मीर के निदेशक, समग्र शिक्षा के प्रोजेक्ट निदेशक, बोर्ड के डायरेक्टर एकेडमिक, स्टेट काउंसिल फार एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग के संयुक्त निदेशक जम्मू, संयुक्त निदेशक कश्मीर और संयुक्त निदेशक सेंट्रल को शामिल किया गया है।
अब उर्दू के साथ-साथ हिंदी भी पढाई जाएगी
विशेषज्ञ बताते हैं कि हिंदी को बढ़ावा देने के लिए पहली कक्षा से लेकर दसवीं तक उर्दू के साथ-साथ विद्यार्थियों को हिंदी भी पढ़ाई जाएगी। इसके लिए कमेटी किस तरह का ढांचा तय करेगी और क्या नियम बनाए जाएंगे, इसका पता बाद में चलेगा।हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिए उठाए जाने वाले कदमों की सराहना की जानी चाहिए। स्कूलों में बच्चों को ¨हदी तो जरूर आनी चाहिए। - प्रो. नीलम सराफ, जम्मू विश्वविद्यालय के ¨हिन्दी विभाग की पूर्व अध्यक्ष ¨हिन्दी भाषा को बढ़ावा देना एक अच्छा कदम है। ¨हदी के साथ-साथ हमारी क्षेत्रीय भाषाओं डोगरी, कश्मीरी, पंजाबी व अन्य को भी बढ़ावा दिया जाए।-र¨वद्र रैना, प्रदेश भाजपा के प्रधान
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