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जम्मू-कश्मीर के चुनाव में खूब चली विरासत की सियासत, खानदानों के 13 चेहरे पहुंचे विधानसभा

जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव (Jammu Kashmir Assembly Election) में सियासी खानदानों का दबदबा रहा। नेशनल कॉन्फ्रेंस के 11 विधायक जीते जिनमें से कई के परिवार के सदस्य पहले भी विधायक या मंत्री रह चुके हैं। उमर अब्दुल्ला के पिता और दादा भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं। कश्मीर की जनजातीय समुदाय की राजनीति में मियां अल्ताफ अहमद का अहम स्थान है।

By satnam singh Edited By: Rajiv Mishra Updated: Mon, 14 Oct 2024 08:01 AM (IST)
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विधानसभा के लिए चुने गए 13 सदस्य सियासी खानदान के (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू-कश्मीर की विधानसभा के लिए 90 सीटों पर हुए चुनाव में जीते 13 सदस्य सियासी खानदान के हैं। इन सदस्यों का किसी न किसी तरह से राजनीतिक परिवारों से संबंध रहा है। इनमें सबसे अधिक 11 विधायक नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के हैं जो परिवारवाद की राजनीतिक आगे बढ़ाते हुए विधानसभा के लिए चुने गए हैं।

उमर के पिता और दादा भी रह चुके हैं सीएम

विधानसभा चुनाव में नेकां 42 सीटों के साथ प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई है। कांग्रेस को छह तो पीडीपी तीन सीटों पर जीती है। नेकां उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री पद के लिए अपना दावा पेश कर चुके हैं।

उमर के पिता एवं पार्टी अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला और दादा शेख मोहम्मद अब्दुल्ला दोनों ही जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। सलमान अली सागर हजरतबल विधानसभा सीट से चुने गए हैं, उनके पिता अली मोहम्मद सागर प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं और इस बार वह रिकॉर्ड सातवीं बार विधायक बने हैं।

मियां अल्ताफ के बेटे ने भी जीता है चुनाव

कश्मीर की जनजातीय समुदाय की राजनीति में मियां अल्ताफ अहमद का अहम स्थान है। वह अनंतनाग-राजौरी से सांसद हैं और उनके बेटे मियां मेहर अली कंगन से पहली बार विधायक चुने गए हैं। उनके पिता भी विधायक रहे हैं। मियां अल्ताफ के एक अन्य रिश्तेदार भी विधानसभा के लिए चुने गए हैं। उनके साले जफर अली खटाना कोकरनाग सीट से जीते हैं।

पूर्व स्पीकर के बेटे भी बने विधायक

विधानसभा के पूर्व स्पीकर मोहम्मद अकबर लोन के बेटे की हिलाल अकबर लोन सोनावरी सीट से जीते हैं। वह स्वयं भी तीन बार विधायक रहे हैं। नेकां के मुख्य प्रवक्ता तनवीर सादिक जडीबल विधानसभा सीट से जीते हैं और उनके पिता सादिक अली भी विधायक रहे। इसी तरह, उड़ी से नेकां के सज्जाद शफी जीते हैं जो पूर्व शिक्षा मंत्री मोहम्मद शफी उड़ी के बेटे हैं।

पूर्व मंत्री के बेटे हैं बशीर अहमद शाह वीरी

सोपोर सीट से जीते नेकां के इरशाद रसूल कार कांग्रेस नेता एवं पूर्व प्रधान गुलाम रसूल कार के बेटे हैं। श्रीगुफवारा-बिजबिहाड़ा सीट से जीते नेकां के बशीर अहमद वीरी पूर्व मंत्री अब्दुल गनी शाह वीरी के बेटे हैं। श्रीनगर की लालचौक सीट से जीते शेख अहसान अहमद भी पूर्व एमएलसी शेख गुलाम कादिर परदेसी के बेटे हैं।

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ये भी सियासी परिवारों से

त्राल विधानसभा सीट से पीडीपी के रफीक अहमद नायक जीते हैं। वह पूर्व स्पीकर अली मोहम्मद नायक के बेटे हैं। लंगेट से खुर्शीद अहमद शाह विधायक बने हैं वह बारामुला लोकसभा सीट से सांसद इंजीनियर रशीद के भाई हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से आते हैं।

हालांकि, उनके दादा गुलाम मोहिउद्दीन करा कभी विधायक नहीं बने, लेकिन नेशनल कॉन्फ्रेंस में उनका अच्छा प्रभाव था। करा कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं और श्रीनगर संसदीय क्षेत्र से 2014 में सांसद चुने गए थे लेकिन कश्मीर में आतंकियों द्वारा टारगेट किलिंग पर उन्होंने त्यागपत्र दे दिया था।

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