Jammu Kashmir News: जम्मू के ऐतिहासिक रघुनाथ बाजार पर संकट! न श्रद्धालु... न खरीदार, क्यों ठप पड़ा व्यापार
जम्मू (Jammu Kashmir News) शहर का सबसे पुराना और ऐतिहासिक रघुनाथ बाजार श्रद्धालुओं व पर्यटकों की पहली पसंद रहा है। यहां देशभर से आने वाले सैलानी खरीदारी करते हैं। लेकिन काफी समय से ये सुना पड़ा हुआ है। यहां के व्यापारियों का मानना है कि यहां जो सुविधाएं मिलनी चाहिए उनमें कमी है। जिसकी वजह से यहां आने वाले पर्यटकों में उत्साह नहीं बचा है।
जागरण संवाददाता, जम्मू। शहर का सबसे पुराना और ऐतिहासिक रघुनाथ बाजार शहर की शान है। यह बाजार देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले श्रद्धालुओं व पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र भी है लेकिन समय के साथ पुराने शहर में बढ़ती ट्रैफिक और शहर के विकास की रफ्तार से कदम मिलाने के लिए समय पर उचित कदम न उठाए जाने के कारण आज यह बाजार अपना भविष्य तलाश रहा है।
एक समय था जब इस बाजार में हर पल श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती थी। देश भर से आने वाले श्रद्धालु यहां खरीदारी करते थे। इसके अलावा जम्मू शहर के उच्च मध्यम वर्ग के लिए भी यह बाजार खरीदारी का केंद्र हुआ करता था।
सूखे मेवों के अलावा यह बाजार कपड़ों व जूतों के लिए मशहूर था। देश भर के बड़े ब्रांड के यहां शोरूम थे जहां लोग खरीदारी करने पहुंचते थे लेकिन समय बीतता गया और बाजार सुना होता गया। आज आलम यह है कि यहां न तो श्रद्धालुओं की भीड़ नजर आती है और न ही स्थानीय खरीदारों में यहां आने को लेकर कोई उत्साह बचा है।
बाजार के दुकानदारों से बात करें तो वह इसके लिए पूरी तरह से प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हैं। व्यापारियों के अनुसार सरकार को भी पता था कि ट्रेन कटड़ा जाने से जम्मू पर इसका प्रभाव पड़ेगा। अब ट्रेन कश्मीर पहुंचने से यह प्रभाव और बढ़ेगा।
ऐसे में समय रहते श्रद्धालुओं का जम्मू में ठहराव बढ़ाने की दिशा में उचित कदम नहीं उठाए गए। इस कारण आज देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु सीधे ट्रेन से कटड़ा आते है और लौट जाते है। अब ट्रेन श्रीनगर पहुंचेगी तो इससे अन्य पर्यटक भी जम्मू से कट जाएंगे।
व्यापारियों के अनुसार, जम्मू में मुबारक मंडी है, कई ऐतिहासिक मंदिर हैं, पुरमंडल-उत्तरवाहिनी है, सुचेतगढ़ बार्डर है, अखनूर में जियापोता घाट व अंबारा है। बाहू केबल कार है और तवी नदी में कृत्रिम झील का निर्माण जारी है। ऐसे में अगर इन परियोजनाओं को समय पर पूरा किया जाता, इनका उचित प्रचार-प्रसार किया जाता तो जम्मू अपने आप में एक पर्यटन स्थल होता और आज जो समस्या बनी है, वो कभी पैदा ही नहीं होती।
जहां तक स्थानीय खरीदारों के बाजार से दूरी बनाने की बात है, तो व्यापारी इसके लिए उचित ट्रैफिक प्रबंधन न होने को जिम्मेदार मानते है। व्यापारियों का मानना है कि बस स्टैंड में पार्किंग है, सुपर बाजार में पार्किंग है, रेजीडेंसी रोड में पार्किंग है। जरूरत है सिर्फ वहां पार्किंग को सुविधाजनक बनाना और वहां से बाजार तक लोगों को पहुंचाने के लिए उचित व्यवस्था करने की लेकिन कभी इस ओर ध्यान नहीं दिया गया।
6.67 करोड़ से हुआ था सौंदर्यीकरण
-ऐतिहासिक रघुनाथ बाजार के लिए तत्कालीन जम्मू-कश्मीर सरकार ने वर्ष 2009 में 6.67 करोड़ रुपये का पैकेज स्वीकृत किया था जिससे इस बाजार का सौंदर्यीकरण किया गया। अब स्मार्ट सिटी के तहत भी इस बाजार का सौंदर्यीकरण करने के साथ यहां अन्य सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही है। बाजार में आज बिजली के 40 फुट ऊंचे खंभे लगे है जिससे तारों का कोई झंझट नहीं रहा। कम्यूनिकेशन का सारा वायर सिस्टम अंडरग्राउंड कर दिया गया है और ड्रेनेज की भी उचित व्यवस्था है। पेयजल के पर्याप्त प्रबंध है और बाजार के साथ लगती गलियों में शौचालय भी है। अब स्मार्ट सिटी के तहत भारत माता चौक की तरफ भव्य प्रवेश द्वार का निर्माण भी जारी है।
ऐतिहासिक रघुनाथ बाजार के बारे में जानिए
- ऐतिहासिक रघुनाथ बाजार जम्मू शहर का प्रमुख बाजार है, जो जम्मू की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।
- यह बाजार, जो अब 164 साल पुराना है, धीरे-धीरे विकसित हुआ है, जिसकी शुरुआत जम्मू-कश्मीर राज्य के डोगरा शासकों द्वारा श्री रघुनाथ जी मंदिर के निर्माण से हुई थी।
- शुरुआत में, मंदिर से जुड़े परिसर में पूजा (प्रसाद) बेचने वाली कुछ दुकानें ही थीं। यह बाजार शुरू से ही रघुनाथ मंदिर की वजह से श्रद्धालुओं के आगमन का केंद्र रहा।
- जम्मू का सबसे प्रमुख रघुनाथ मंदिर शहर के एकदम बीचों-बीच स्थित है जो जम्मू की शान है। उत्तर भारत के इस सबसे विशाल मंदिर परिसर में अनेक छोटे-छोटे मंदिर है। मंदिरों के गर्भगृहों में देवी-देवताओं की विशाल मूर्तियां और साथ में अनेक शिवलिंग है।
- इस अनूठे मंदिर का निर्माण सन् 1835 में जम्मू-कश्मीर राज्य के संस्थापक महाराज गुलाब सिंह ने शुरू करवाया था और सन 1860 में उनके पुत्र महाराजा रणवीर सिंह ने इस मंदिर का निर्माण कार्य पूरा करवाया।
- मुख्य मंदिर की भीतरी दीवारों पर तीनों तरफ सोने की परत चढ़ी हुई है। इस मंदिर में रोजाना सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है और यहीं श्रद्धालु बाजार में खरीदारी करने भी आते है जो इस बाजार के कारोबार का मुख्य आधार है।
अगर प्रशासन बस स्टैंड पार्किंग को कुछ सस्ता कर दे और वहां से बाजार तक ई-रिक्शा का किराया तीस रुपये या उससे कम निर्धारित कर दे तो समस्या का समाधान निकल सकता है। हमने यह भी प्रस्ताव दिया था कि सुपर बाजार की पार्किंग को ग्राहकों के लिए आरक्षित कर दिया जाए। दो घंटे तक पार्किंग के लिए 30 रुपये शुल्क रखा जाए। इससे भी काफी सुधार होगा। अगर ट्रैफिक की समस्या सुलझ जाए तो कारोबार काफी हद तक बेहतर हो सकता है।
अमित गोयल, महासचिव रघुनाथ बाजार बिजनेसमैन एसोसिएशन