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Raksha Bandhan 2024: इस समय भूलकर भी बहनें न बांधे अपने भाई को राखी, पढ़िए क्या है शुभ मुहूर्त

Raksha Bandhan 2024 सोमवार 19 अगस्त को पूरे देश में भाईयों-बहनों के पवित्र रिश्ते का त्योहार यानी रक्षाबंधन मनाया जाएगा। हालांकि इस बार रक्षाबंधन के दिन दोपहर 0131 बजे तक भद्रा रहेगी। शास्त्रों के अनुसार भद्राकाल में रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाना चाहिए। ऐसे में बिश्नाह से महामण्डलेश्वर अनूप गिरि महाराज ने दोपहर 0131 बजे के बाद रक्षाबंधन का त्योहार मनाने के लिए कहा है।

By Jagran News Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Tue, 13 Aug 2024 06:01 PM (IST)
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19 अगस्त को मनाया जाएगा रक्षाबंधन 2024 (जागरण फाइल फोटो)
संवाद सहयोगी, बिश्नाह (जम्मू)। प्राचीन शिव मंदिर बिश्नाह से महामण्डलेश्वर अनूप गिरि महाराज ने बताया कि इस वर्ष भाई-बहन के पवित्र संबंधों का पर्व रक्षाबंधन 19 अगस्त सोमवार को मनाया जायेगा। 19 अगस्त सोमवार को दोपहर 01:31 बजे तक भद्रा रहेगी।

शास्त्रों के अनुसार भद्राकाल में रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाना चाहिए। इसलिए सोमवार 19 अगस्त को दोपहर 01:31 बजे के बाद ही रक्षाबंधन का त्योहार मनायें।

रक्षाबंधन भाई-बहन को स्नेह की डोर में बांधने वाला त्योहार है। इस दिन बहन अपने भाई के हाथ में रक्षासूत्र बांधती है भाई के मस्तक पर तिलक लगाती है भाई की आरती उतारती है मिठाई खिलाती है। भाई अपनी सामर्थ्य अनुसार बहन को उपहार देते हैं।

रक्षाबंधन का अर्थ

रक्षाबंधन का अर्थ है कि किसी को अपनी रक्षा के लिए बांध लेना। राखी बांधते समय बहन कहती है भैया मैं तुम्हारी शरण में हूँ मेरी सब प्रकार से रक्षा करना। भाई अपनी बहन को रक्षा करने का वचन देता है।

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रक्षाबंधन का महत्व

भारतीय त्योहारों में रक्षाबंधन एक महत्वपूर्ण तथा ऐतिहासिक त्योहार माना जाता है। इसका प्रारंभ लाखों करोड़ों वर्ष पूर्व देव-दानव के युद्ध के समय में हुआ था। उस समय श्रावण पूर्णिमा के दिन देवराज इंद्र की पत्नी महारानी शची ने वैदिक मंत्रों से अभिमंत्रित एक रक्षासूत्र अपने पति इंद्र के हाथ में बाँधकर उन्हें शत्रुओं से अभय बना दिया था और इसी रक्षासूत्र के बल पर इंद्र ने शत्रुओं पर विजय प्राप्त की थी।

समय बदलने के साथ ही यह रक्षासूत्र बहनों द्वारा भाइयों को बांधा जाने लगा। यह राखी जो विगत काल में स्त्री की सौभाग्य रक्षा की प्रतीक थी, वही भाई-बहन के पवित्र प्रेम बंधन के रूप में बदल गई। इस राखी ने सदा ही युद्ध में सफलता प्रदान की है, यह एकता का महामंत्र है। सभी को इसे बड़े उत्साह से मनाना चाहिए।

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श्री कृष्ण एवं द्रौपदी की कहानी

एक बार भगवान श्री कृष्ण के हाथ में चोट लग गई थी उस समय द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी को फाड़कर श्री कृष्ण के हाथ में बांध दिया। इसी बंधन के ऋणी श्री कृष्ण ने दुशासन द्वारा चीर खींचते समय द्रौपदी की लाज रखी।

राखी के धागों के ऐसे हजारों किस्से हैं जिसमें अपनी बहनों के लिए भाइयों ने हंसते-हंसते अपनी जान की बाजी लगा दी। रक्षाबंधन ने एक नई प्रेरणा दी, एक नए मार्ग का संकेत दिया।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

हमारे धर्म में हर कार्य का वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी होता है। हाथ में मौली बंधे होने से रक्तचाप, हृदयरोग, मधुमेह और लकवा जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव होता है। शरीर विज्ञान के अनुसार कलाई पर मौली बंधे होने से त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) का शरीर पर आक्रमण नहीं होता है।

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