Ranbireshwar Temple: जम्मू के इस मंदिर में हैं सवा लाख शिवलिंग, पीतल से बनी 1000 किलोग्राम की नंदी की मूर्ति
Ranbireshwar Temple सावन का पावन माह कल से शुरू हो रहा है। इस अवसर पर शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलेगी। जम्मू शिव मंदिरों के लिए पहले ही प्रसिद्ध है। आज हम ऐसे ही प्रसिद्ध शिव मंदिर में से एक रणबीरेश्वर मंदिर के इतिहास के बारे में बात करेंगे। यह मंदिर जम्मू शहर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है।
जम्मू, ऑनलाइन डेस्क: सावन का पवित्र महिना चार जुलाई से शुरू हो रहा है। इस बार शिव भक्तों में अलग ही उत्साह दिखाई दे रहा है। ऐसे में शिव मंदिरों में भी श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलेगी। इस पावन अवसर पर आज हम आपको जम्मू के रणबीरेश्वर मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। शिव मंदिरों में से एक इस बड़े मंदिर की कहानी जानते हैं।
मंदिर का इतिहास
रणबीरेश्वर मंदिर जम्मू शहर में जम्मू-कश्मीर सिविल सचिवालय के सामने शालीमार रोड पर स्थित है। यह मंदिर जम्मू शहर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इसका निर्माण महाराजा रणबीर सिंह ने 1883 में करवाया था। बाद में मंदिर का नाम उन्हीं के नाम पर रख दिया गया।
यह मंदिर उत्तर भारत में भगवान शिव का सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है। यह जम्मू शहर के मुख्य आकर्षणों में से एक है। मंदिर की एक विशेषता यह है कि यह पहली मंजिल पर बना है और सड़क की सतह से काफी ऊंचाई पर स्थित है। भक्तों को मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। मंदिर का मुख्य आकर्षण भगवान शिव की मूर्ति और शिवलिंग है।
नर्मदा नदी से लाए गए हैं 1.25 लाख शिवलिंग
यहां के शिवलिंग की ऊंचाई 8 फीट ऊंची है और यह एक काले पत्थर से बना है। वहीं मंदिर में 12 और शिवलिंग हैं जो क्रिस्टल से बने हैं। जिनकी ऊंचाई 15-38 सेंटीमीटर के बीच है। मंदिर के अंदर दायीं और बायीं ओर एक स्लैब है जिसमें नर्मदा नदी से लाए गए लगभग 1.25 लाख शिवलिंग हैं।
भगवान गणेश, कार्तिकेय और नंदी की मूर्तियां भी मंदिर में स्थापित हैं। यहां घूमने का सबसे अच्छा समय सुबह और शाम का होता है। शनिवार और सोमवार को यहां भक्तों का भारी मात्रा में जमावड़ा रहता है।
महाराजा रणबीर सिंह ने श्री नाथ गिरी से प्रेरित होकर बनवाया था मंदिर
रणबीरेश्वर मंदिर जम्मू के बड़े मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि महाराजा रणबीर सिंह ने मंदिर का निर्माण श्री नाथ गिरी महाराज से प्रेरित होकर कराया था। जिसके बाद मंदिर परिसर में ही नाथ गिरी जी महाराज का समाधि स्थल बना दिया गया।
नंदी की मूर्ति पीतल से बनी है और इसका वजन लगभग 1000 किलोग्राम है। इस मंदिर में सभी त्योहार मनाये जाते हैं। लेकिन महाशिवरात्री का त्योहार भव्य स्तर पर मनाया जाता है। मंदिर में किसी प्रकार का कैमरा या मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं है।
मंदिर तक कैसे पहुंचे
-यहां हवाई मार्ग और रेल मार्ग दोनों से जाया जा सकता है।
-रेल मार्ग के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन जम्मू तवी, मंदिर रेलवे स्टेशन से लगभग 3 किमी की दूरी पर स्थित है।
-हवाई मार्ग के लिए निकटतम हवाई अड्डा जम्मू हवाई अड्डा, जो मंदिर से लगभग 8 किमी दूर है।
-मंदिर खुलने का समय प्रात 6 बजे से रात्रि 8 बजे तक होता है।