Sharda Corridor: गुलाम जम्मू-कश्मीर की असेंबली में शारदा कॉरिडोर खोलने का प्रस्ताव पारित
Sharda Corridor नई दिल्ली से वीडियो कांफ्रेंसिंग से जुड़े गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि भारत सरकार करतारपुर की तर्ज पर गुलाम जम्मू-कश्मीर में शारदा पीठ के लिए कॉरिडोर खोलने का प्रयास करेगी। यह प्रस्ताव 29 मार्च को गुलाम जम्मू-कश्मीर की असेंबली में पारित हुआ है।
By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Sat, 01 Apr 2023 08:03 AM (IST)
जम्मू, नवीन नवाज। गुलाम जम्मू-कश्मीर की असेंबली ने पाकिस्तान सरकार को ठेंगा दिखाते हुए शारदा कॉरिडोर खोलने का एक प्रस्ताव पारित कर दिया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को शारदा पीठ व उसके साथ सटे इलाकों में अपने धर्म स्थलों की यात्रा की अनुमति होनी चाहिए। इससे गुलाम जम्मू-कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ स्थानीय लोगों को आर्थिक लाभ भी होगा।
बता दें कि इसी माह प्रथम नवरात्र में कुपवाड़ा के टिटवाल में नियंत्रण रेखा के पास मां शारदा मंदिर को पुनर्निर्मित किया गया है। नई दिल्ली से वीडियो कांफ्रेंसिंग से जुड़े गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि भारत सरकार करतारपुर की तर्ज पर गुलाम जम्मू-कश्मीर में शारदा पीठ के लिए कॉरिडोर खोलने का प्रयास करेगी। यह प्रस्ताव 29 मार्च को गुलाम जम्मू-कश्मीर की असेंबली में पारित हुआ है।
पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने प्रस्ताव का किया समर्थन
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मंजूर हुसैन गिलानी ने शारदा कॉरिडोर प्रस्ताव का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि इस पर किसी को एतराज नहीं होना चाहिए। असेंबली में जो लोग हैं, वह गुलाम जम्मू-कश्मीर के लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनकी उम्मीदों के अनुरूप प्रस्ताव लाया गया होगा।अब्दुल बासित ने की प्रस्ताव की निंदा
भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे अब्दुल बासित ने प्रस्ताव की निंदा की। कहा-ऐसा लगता है कि यह चीन के साथ पाकिस्तान के रिश्तों को खराब कराने और पाकिस्तान को भारत के साथ हाथ मिलाने के लिए मजबूर करने की अमेरिकी साजिश है। जिन लोगों ने प्रस्ताव लाया है, उन्हें शायद कश्मीर विवाद की जानकारी नहीं है।
कश्मीरी हिंदुओं के लिए खास है शारदा पीठ
शारदा पीठ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में है और वर्ष 1947-1948 से इस स्थानीय प्रशासन ने बाहरी तीर्थयात्रियों के लिए इसे बंद कर रखा है। विगत सात दशकों में इस पीठ के सिर्फ खंडहर बचे हैं। शारदा पीठ कश्मीरी पंडितों के लिए एक बेहद पावन तीर्थस्थल तो हैं ही साथ ही यह हिंदू धर्मावलंबियों के लिए भी खासा महत्व रखता है। यह ना सिर्फ धार्मिक रीति रिवाजों के लिए अहम स्थल था बल्कि छठी सदी से लेकर 12वीं सदी के दौरान यहां एक विशाल शिक्षा केंद्र भी था।वर्ष 1948 के बाद से पाकिस्तान ने किसी भी भारतीय हिंदू को इस मंदिर में जाने की इजाजत नहीं दी है। वर्ष 2007 में कश्मीरी पंडितों को गुलाम कश्मीर जाने दिया गया लेकिन मंदिर जाने की इजाजत नहीं मिली। बाद में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई कई वार्ताओं में शारदा पीठ का मुद्दा भी उठा और अब यहां के लिए कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव पारित हो गया है। अगर यह कॉरिडोर बन जाता है तो कश्मीरियों के लिए यह किसी सपने से कम नहीं होगा।
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