इस पूरे नेटवर्क के केंद्र में पहले से जम्मू और आसपास के जिलों में बसे रोहिंग्या ही दिखाई देते हैं पर पर्दे के पीछे इस कहानी के और बड़े किरदार होने से इन्कार नहीं किया जा सकता।
रोहिंग्या युवतियों का कश्मीर आना एक साजिश का हिस्सा
देखने में यह ट्रेंड सीधा दिखता है कि कश्मीरी युवकों से शादी के नाम पर रोहिंग्या युवतियों को लाया जाता है और इसके बदले युवाओं व उनके परिवार से दो से ढाई लाख रुपये तक की वसूली की जाती है।पर सुरक्षा मामलों के जानकार इसमें भी साजिश से इन्कार नहीं कर रहे हैं। यहां बता दें कि पुलिस की सीआइडी विंग के अनुसार जम्मू कश्मीर जैसे संवेदनशील राज्य में पहले से 13,700 रोहिंग्या व बांग्लादेशी रह रहे हैं।
कई रोहिंग्या युवतियां भी की गईं गिरफ्तार
रोहिंग्याओं की संख्या प्रदेश में वर्ष 2008 से 2016 के बीच तेजी के साथ बड़ी थी। पुलिस ने कई बार अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं पर कार्रवाई भी करने का प्रयास किया और कुछ को हीरानगर डिटेंशन सेंटर भी भेजा पर यह कार्रवाई लंबी नहीं चली।निश्चित तौर पर सुरक्षा एजेंसियों ने मानव तस्करी में शामिल कई गिरोह पर कार्रवाई की है और तीन माह में ही इस नेटवर्क से जुड़े आधा दर्जन लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है। उनके साथ दर्जन भर ऐसी युवतियों को भी हिरासत में लिया गया है।
अवैध तरीके से भारतीय सीमा में घुस रहे रोहिंग्या
यह सब अवैध तरीके से भारतीय सीमा में घुसे और बंगाल से जम्मू तक बिना किसी पर्याप्त दस्तावेज के सड़क या रेलमार्ग से पहुंच गए। इस दौरान न किसी ने इनके दस्तावेज जांचे और न ही कोई पूछताछ हुई।खास तौर पर तब जब यह युवतियां कोई भारतीय जुबान भी नहीं समझती थी। पुलिस अधिकारियों की मानें तो मानव तस्करी में शामिल गिरोह के सदस्य रोहिंग्या लड़कियों के परिवार को 10 से 15 हजार रुपये देकर उनकी शादी कश्मीर में करवाने का झांसा देते थे।
कश्मीर में दो लाख से अधिक रुपयों में बेची जा रही रोहिंग्या युवतियां
कश्मीर लाकर इन्हें दो लाख से अधिक में बेच दिया जाता है। अधिकारी ने बताया कि जम्मू में रह रहे रोंहिंग्याओं ने यहीं विवाह रचा लिया है और यही लोग ऐसे गिरोह चला रहे हैं।गिरोह के सदस्य शादी का झांसा देकर रोहिंग्या युवतियों को बांग्लादेश के रास्ते बिना पर्याप्त दस्तावेजों के भारतीय सीमा में घुसपैठ कराते हैं और उन्हें कश्मीर तक पहुंचाया जाता है। पुलिस का कहना है कि यह गिरोह काफी समय से सक्रिय हो सकता है।
हाल ही में गिरफ्तार क गईं दो युवतियां
बांग्लादेश के रास्ते घुसपैठ कर आई दो किशोरियों को बंगाल के एक युवक के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों किशोरियों के पास कोई पहचान पत्र भी नहीं है। सिटी पुलिस थाने में आरोपित बंगाल निवासी नीतिश विश्वास पुत्र नीलकमल विश्वास पर अपहरण और मानव तस्करी का मामला दर्ज किया गया है। आरोपित का दावा है कि वह किशोरियों की शादी करवाने के लिए कश्मीर ले जा रहा था।
बांग्लादेश का नागरिक युवतियों को लाया भारत
वह मंगलवार शाम को रेजीडेंसी रोड इलाके में एक होटल में कमरा किराये पर लेने पहुंचा था। होटल स्टाफ ने पहचान पत्र मांगा। इस पर उसने अपना आधार कार्ड दिया, लेकिन किशोरियों का कोई पहचान पत्र नहीं दिखा पाया। पुलिस के अनुसार दोनों किशोरियां भारतीय भाषा नहीं बोल पा रही थीं।इसके बाद बांग्ला भाषा समझने वाले को बुलाया गया। किशोरियों ने बताया कि नीतिश शादी करवाने के लिए जम्मू लाया है। यहां कहा गया कि कश्मीर जाना है, जहां उनकी शादी कराई जाएगी। वह बांग्लादेश में शरणार्थियों के शिविर में परिवार के साथ रहती थीं। उन्हें भारत में शादी की बात कर बांग्लादेश का नागरिक भारत में लाया था। वह हम दोनों को नीतिश को सौंपकर वापस चला गया।
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कब-कब पकड़ी गईं रोहिंग्या युवतियां
29 नवंबर 2023 जम्मू बस स्टैंड से छह रोहिंग्या युवतियां पकड़ी गई थी, जिन्हें कश्मीर ले जाया जा रहा था। 19 दिसंबर 2023 जम्मू के बठिंडी इलाके में रोहिंग्या बस्ती में छापे के दौरान रोहिंग्या युवती को पकड़ा गया। 3 फरवरी 2024 जम्मू के त्रिकुटा नगर क्षेत्र में तीन रोहिंग्या युवतियों को बरामद किया था। 7 फरवरी 2024 जम्मू सिटी पुलिस ने दो किशोरियों के साथ बंगाल के व्यक्ति को पकड़ा।
'बंग्लादेशियों की अवैध घुसपैठ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा'
यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है। अवैध तरीके से देश में घुसने वाले लोगों को कोई रिकॉर्ड नहीं होता। इसलिए यदि वह किसी वारदात में शामिल होंगे तो उनकी पहचान करना कठिन होता है। इसी के साथ जम्मू कश्मीर में रह रहे रोहिंग्या लोगों को वापस उनके देश में भेजा चाहिए।मानव तस्करी में जहां रह रहे लोग शामिल पाए गए है। केंद्र सरकार को इस समस्या से निपटने के लिए फारन एक्ट में संशोधन कर कठोर कानून बनाना चाहिए। इसी के साथ पुलिसकर्मियों को ऐसे मामलों से निपटने के लिए विभाग द्वारा विशेष ट्रेनिंग दी जानी चाहिए कि किस प्रकार से ऐसे मामलों से निपटा जाना है।
-अंकुर शर्मा, वरिष्ठ एडवोकेट
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