इंग्लैंड के प्रिंस ऑफ वेल्स के दौरे का साक्षी है जम्मू का साइंस कॉलेज
जम्मू कश्मीर में मात्र साइंस कॉलेज को यूजीसी से हेरिटेज कॉलेज का दर्जा प्राप्त है। कॉलेज की मरम्मत उसी तरीके से होगी जिस तरह से पहले जमाने में इमारतें बनी थीं।
By Rahul SharmaEdited By: Updated: Wed, 20 Nov 2019 11:00 AM (IST)
जम्मू, सतनाम सिंह। जम्मू कश्मीर में वर्षो से उच्च शिक्षा उपलब्ध करवा रहे साइंस कॉलेज की आज भी अपनी अलग पहचान है। कई नामी हस्तियों को नई पहचान देने वाला यह कॉलेज वर्ष 1905 में प्रिंस ऑफ वेल्स के दौरे का साक्षी रहा है। इंग्लैंड से जब प्रिंस ऑफ वेल्स जम्मू आए थे तो उनके सम्मान में कॉलेज खोला गया, जिसका नाम प्रिंस ऑफ वेल्स कॉलेज रखा गया था। उस समय जम्मू कश्मीर के महाराजा प्रताप सिंह थे। साइंस विषयों में दाखिले के लिए आज भी यह विद्यार्थियों की पहली पसंद है। अब इसे गांधी मेमोरियल कॉलेज के नाम से जाना जाता है।
देश की आजादी से पहले यह कॉलेज पंजाब विश्वविद्यालय लाहौर से मान्यता प्राप्त था। आजादी के बाद वर्ष 1969 तक कश्मीर विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त रहा। उसके बाद वर्ष 2017 तक यह कॉलेज जम्मू विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त रहा। अब यह कलस्टर यूनिवर्सिटी जम्मू के अधीन है। कॉलेज के प्रशासनिक ब्लॉक में प्रिंसिपल का कमरा, परीक्षा हॉल व अन्य कमरे हैं। जियोलॉजी, फिजिक्स, केमिस्ट्री ब्लॉक, ब्वॉयज हॉस्टल और लाइब्रेरी इतिहास समेटे हुए है। चूंकि यह कॉलेज हेरिटेज इमारतों की श्रेणी में आता है, इसलिए इसकी मरम्मत करना बड़ी चुनौती है।
विशेषज्ञों की सलाह और खास मैटेरियल के बिना साइंस कॉलेज का संरक्षण संभव नहीं है। यह भी सही है कि समय-समय पर बनी सरकारों ने इस ऐतिहासिक कॉलेज के रखरखाव या मरम्मत कार्यो की तरफ ध्यान नहीं दिया। वर्ष 2015 में राष्ट्रीय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने कॉलेज को हेरिटेज का दर्जा प्रदान किया। हेरिटेज का दर्जा उन कॉलेजों को मिला जो एक सौ साल से अधिक पुराने हैं।
जम्मू कश्मीर में मात्र साइंस कॉलेज को यूजीसी से हेरिटेज कॉलेज का दर्जा प्राप्त है। कॉलेज की मरम्मत उसी तरीके से होगी, जिस तरह से पहले जमाने में इमारतें बनी थीं। इसके मूल स्वरूप से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। सीमेंट का प्रयोग नहीं होगा। साइंस विषयों में दाखिले के लिए आज भी यह विद्यार्थियों की पहली पसंद, अब गांधी मेमोरियल कॉलेज के नाम से जाना जाता है, कई नामी हस्तियों ने की यहां से पढ़ाई
इमारतों में कई जगह आ चुकी दरारें
कॉलेज की इमारतों में कई जगह दरारें आ चुकी हैं। बरसात में कुछ जगहों से पानी टपकता है। दीवारों में कई जगहों पर झाडिय़ां उग आई हैं। छतों पर भी वृक्ष उगे हुए हैं। मरम्मत इसलिए नहीं की गई क्योंकि इसके लिए पूरा प्रोजेक्ट व विशेषज्ञों की सलाह की जरूरत है।
हाथी के दांत का अवशेष मौजूदजियोलॉजी विभाग के म्यूजियम कई ऐतिहासिक वस्तुएं समेटे हुए हैं। इसमें मुख्य रूप से 11 फीट और तीन इंच लंबा हाथी के दांत का अवशेष वर्ष 1924 से पड़ा है। डॉ. डीएन वाडिया जिन्हें इंडियन जियोलॉजी का फादर भी कहा जाता है, ने इसे खोजा था। म्यूजियम के प्रभारी और विभाग के अध्यक्ष चंचल खजूरिया का कहना है कि हाथी के दांत के अवशेष को नगरोटा के जगटी में खोजा गया था। यह करीब पचास लाख साल पुराना अवशेष है। ङ्क्षप्रसिपल प्रो. कौशल समोत्र का कहना है कि विभाग ने मरम्मत के लिए लोक निर्माण विभाग से कहा था, लेकिन नहीं हो पाया। अब हाउसिंग बोर्ड को सौंपने जा रहा है।
कॉलेज में खास विभाग जो समेटे हुए है विरासत
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- जियोलॉजी विभाग जिसमें वर्षो पुरानी दुर्लभ वस्तुएं हैं
- लाइब्रेरी में पुरानी व एतिहासिक पुस्तकें हैं
- हेरिटेज गैलरी है जिसमें वर्षो पुरानी फोटो है
- आजादी से पहले की कई ट्राफियां भी मौजूद हैं
- पुराने उपकरण जियोलॉजी विभाग में मौजूद हैं
- देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एएस आनंद
- पूर्व मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर
- पूर्व थल सेना अध्यक्ष जनरल एनसी विज
- पूर्व उपमुख्यमंत्री पंडित मंगत राम शर्मा
- पूर्व विधायक राजेश गुप्ता
- वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय बलराज पुरी
- सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ एडवोकेट और पैंथर्स पार्टी के मुख्य संरक्षक प्रो. भीम सिंह
- पूर्व रक्षा राज्य मंत्री प्रो. चमन लाल गुप्ता
- पूर्व मंत्री रमन भल्ला
- जम्मू विश्वविद्यालय के पूर्व वीसी स्वर्गीय प्रो. एमआर पुरी
- पूर्व मंत्री स्वर्गीय रंगील सिंह
- रेडियो कश्मीर जम्मू के पूर्व निदेशक जितेंद्र सिंह ऊधमपुरिया
- संतूर वादक शिव कुमार शर्मा
- जम्मू विवि के पूर्व वीसी प्रो. वाईआर मल्होत्र