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Uri Encounter: उरी सेक्टर में सुरक्षाबलों ने ढेर किए दो आतंकी, बशीर अहमद की मौत से दहशतगर्दों को लगा बड़ा झटका

Uri Encounter बारामूला के उरी सेक्टर में आतंकियों की घुसपैठ को नाकाम करते हुए सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को नेस्तानाबूत कर दिया है। इसके साथ ही आतंकियों के पास से भारी संख्या में हथियार बरामद किए गए हैं जिन्हें सुरक्षाबलों ने अपने कब्जे में ले लिया है। वहीं कर्नल राघव ने इस ऑपरेशन का मकसद बशीर अहमद मलिक को ढेर करना बताया।

By Jagran NewsEdited By: Deepak SaxenaUpdated: Thu, 16 Nov 2023 08:20 PM (IST)
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उरी सेक्टर में सुरक्षाबलों ने घुसपैठ की कोशिशें की नाकाम, दो आतंकी ढेर (फाइल फोटो)।
जागरण संवाददाता, जम्मू। बारामूला के उरी में घुसपैठ की कोशिश कर रहे आतंकियों की साजिश को सुरक्षाबलों ने नाकाम कर दिया है। सुरक्षाबलों से हुई इस मुठभेड़ में दो आतंकी ढेर हो गए, जिनके पास से भारी मात्रा में हथियार और गोला बारूद बरामद किया है।

जम्मू कश्मीर में सर्दियों के दौरान बड़े पैमाने पर घुसपैठ का षड्यंत्र रच रही पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआई और आतंकी संगठनों को एक बड़ा धक्का लगा है। भारतीय सेना के जवानों ने उरी में बुधवार को घुसपैठ के एक प्रयास को विफल बनाते हुए जिन दो आतंकियों को मार गिराया, उनमें एक लश्कर का लांचिंग कमांडर व गाइड बशीर अहमद मलिक है। मलिक के साथ उसका साथी मोहम्मद गनी शेख भी मारा गया है। उनके पास से भारी मात्रा में हथियार, खाने पीने का पैकेटबंद सामान, 2630 रूपये की पाकिस्तानी मुद्रा, उनके पहचान पत्र व अन्य साजो सामान मिला है।

सेना ने उरी (बारामूला) सेक्टर में घुसपैठ की सूचना के आधार पर ऑपरेशन काली चलाया था। इसमें दो आतंकी मारे गए और उनके अन्य साथी वापस भागने में कामयाब रहे।

लॉन्चिंग कमांडर बशीर अहमद मलिक ढेर

कर्नल राघव ने बताया कि बुधवार की साढ़े आठ बजे यह ऑपरेशन शुरू किया गया था। खराब मौसम के बावजूद जवानों ने अपनी पेशेवर योग्यता और वीरता का परिचय देते हुए दो घुसपैठियों को मार गिराया। उन्होंने कहा कि जब हमने जांच की तो पता चला कि मारे गए आतंकियों में एक कुख्यात लांचिंग कमांडर बशीर अहमद मलिक है। बशीर मलिक गुलाम जम्मू कश्मीर में लीपा घाटी जोकि जिला कुपवाड़ा के सामने है, से लेकर जिला राजौरी के सामने नियंत्रण रेखा के पार तक सक्रिय था। उसने सैंकड़ों की तादाद मे आतंकियों को जम्मू कश्मीर में सुरक्षित घुसपैठ कराने में अहम भूमिका निभाई है।

पाकिस्तानी करेंसी सहित आईडी कार्ड बरामद

वह बीते 30 वर्ष से सक्रिय था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसकी मौत से गुलाम जम्मू कश्मीर में बैठे आतंकी सरगनाओं और उनके आकाओं को कितना नुकसान पहुंचा होगा। बशीर मलिक के साथ साथ उसका साथी गनी शेख भी मारा गया है। उनके पास से दो एसाल्ट राइफलें, दो पिस्तौल, चार चाइनीज हथगोले व अन्य गोला बारुद के अलावा पाकिस्तान में निर्मित दवाएं, पैकेट बंद खाद्य सामग्री, पाकिस्तानी करेंसी में 2630 रुपये और पाकिस्तान राष्टीय पहचान पत्र मिले हैं।

एलओसी पार भी मारे गए कई आतंकी

कर्नल राघव ने बताया कि उरी में कुछ दिन पहले भी घुसपैठ का प्रयास हुआ था और उसके भी नाकाम बनाया गया था। उन्होंने कहा कि बार बार उरी में घुसपैठ की कोशिश बता रही है कि गुलाम जम्मू कश्मीर में बैठे आतंकी सरगना और उनके आका इस तरफ ज्यादा से ज्यादा आतंकियों को घुसपैठ कराने के लिए हताश हो चुके हैं। हमारा घुसपैठ रोधी तंत्र पूरी तरह मजबूत और समर्थ है। हमें अपने दुश्मन के मंसूबों का पता है और उनसे निपटने के लिए हर संभव उपाय किया गया है।

उन्होंने कहा कि बशीर और गनी शेख के साथ कुछ और आतंकी थे,उनमें से भी कुछ मारे गए होंगे और उनके शव एलओसी के पार हो सकते हैं। हमने एलओसी पार नहीं की है। उन्होंने कहा कि गुलाम जम्मू कश्मीर में आतंकी ढांचा पहले की तरह ही मौजूद है और वहां आतंकी गतिविधियों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। इन सूचनाओं के आधार पर हमने भी अपनी तैयारी पूरी कर रखी है।

बशीर मलिक से लगा पाक सरगनाओं को बड़ा झटका

इस बीच एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि बशीर अहमद मलिक पहले कभी जेकेएलएफ और हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों के लिए बतौर गाइड काम करता था। वह नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ के लगभग हर रास्ते से परिचित है। बाद में उसने लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करना शुरु कर दिया।

वह लश्कर-ए-तैयबा के चीफ लांचिंग कमांडर वलीद जो बीते कुछ समय से नजर नहीं आ रहा है, के डिप्टी के तौर पर भी आतंकी कैडर में जाना जाता रहा है। उसका राजौरी से लेकर कुपवाड़ा तक अपना एक नेटवर्क रहा है। उसका उरी में आतंकियों के दस्ते के साथ दाखिल होने से पता चलता है कि सरहद पार बैठे आतंकी सरगना अपने कैडर को किसी तरह से कश्मीर में सुरक्षित घुसपैठ कराने के लिए हर संभव तरीके का इस्तेमाल कर रहे हैं।

इसके लिए वह पुराने गाइडों को भी इस्तेमाल करने लगे हैं, इससे यह भी कहा जा सकता है कि अब आतंकी संगठनों के पास गाइडों की भी कमी हो गई है। बशीर मलिक का मारा जाना आतंकी संगठनों द्वारा जम्मू कश्मीर में घुसपैठ के रचे जा रहे षड्यंत्र के लिए एक बड़ा धक्का है।

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