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Reasi Terror Attack: घने जंगल हो या ऊंचे पहाड़..., चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाबल तैनात; आतंकियों का बचना अब मुश्किल

रियासी में बस हमले (Reasi Terror Attack) के बाद सुरक्षाबल आतंकियों की तलाश में जुट गए हैं। सुरक्षाबल हर तरह की संभव कोशिश कर रहे है कि वारदात को अंजाम देने वाले आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया जा सके। वहीं इस हमले को लेकर 20 से अधिक लोगों से पूछताछ की जा चुकी है। हालांकि लश्कर कमांडर अबु हमजा-हदून और फौजी पर शक की सूई घूम रही है।

By Rajesh Dogra Edited By: Deepak Saxena Updated: Tue, 11 Jun 2024 08:03 PM (IST)
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आतंकियों की खोज में सुरक्षा बलों ने झोंकी ताकत।
जागरण संवाददाता, जम्मू। रियासी में शिव खोड़ी यात्रियों पर आतंकी हमले के बाद से आतंकियों की तलाश में पुलिस व सुरक्षा बलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। बड़े स्तर पर छेड़े गए इस अभियान में हेलीकॉप्टर, यूएवी, ड्रोन और कई अन्य अत्याधुनिक उपकरणों के अलावा खोजी श्वानों की मदद भी ली जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, 20 से अधिक लोगों से पूछताछ की जा रही है। हर किसी में यह सवाल उठ रहा है कि घटना को अंजाम देखकर आतंकी किस तरफ गए होंगे।

11 सुरक्षाबल के दल खंगाल रहे जंगल

आतंकी घटना के बाद से पुलिस सेना और सीआरपीएफ द्वारा छेड़े इस संयुक्त अभियान में पुलिस व सुरक्षा बलों के 11 दल आपसी तालमेल बनाकर विभिन्न दिशाओं से घेराबंदी कर जंगलों को खंगाल रहे हैं। पुलिस के आला अधिकारी खुद मौके पर पहुंचकर स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। इस संयुक्त अभियान में पुलिस व सुरक्षा बलों का पूरा प्रयास है कि जल्द से जल्द आतंकियों को जीवित या फिर मुर्दा पकड़ा जा सके।

हेलीकॉप्टर, यूएवी और ड्रोन से रखी जा रही नजर

घटनास्थल से पश्चिम की तरफ तरियाठ, कैंची मोड़ और बीसी कालाकोट के जंगल भी खंगाले जा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि यह वन क्षेत्र काफी घना है यहां दिन के उजाले में भी अधिक दूर नजर नहीं आता। फिर भी जवान और उनके साथ खोजी श्वान पूरी सतर्कता से आतंकियों की खोज में आगे बढ़ रहे हैं। जबकि हेलीकॉप्टर, यूएवी और ड्रोन की मदद से आकाश से भी नजर रखी जा रही है।

रियासी शिव खोड़ी हमले पर उठ रहे दो सवाल

रियासी शिव खोड़ी यात्रियों पर आतंकी हमले के बाद से आम लोगों में मुख्य तौर पर दो प्रश्न उठ रहे हैं। घटना को किसने अंजाम दिया और अंजाम देने के बाद आतंकी कहां गायब हो गए। घटनास्थल से अमेरिका निर्मित एम4 कार्बाइन राइफल की गोलियों के खाली खोखे मिलने और जिस तरह की नीति आतंकियों ने तीर्थ यात्रियों पर हमले में अपनाई है। उससे शक की सुई पाकिस्तानी आतंकवादी अब्बू हमजा, हदून और फौजी की तरफ इशारा कर रही है। क्योंकि राजौरी पुंछ में पिछले दिनों सुरक्षा बलों पर इसी रणनीति के तहत हुए हमलों में घटनास्थल से इसी तरह की राइफल के खाली खोखे मिलने और इन्हीं तीन पाकिस्तानी आतंकियों का नाम सामने आया था।

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घटना को अंजाम देकर कहां छुप गए आतंकी

हमले के बाद छुप जाना भी इन्हीं आतंकियों की रणनीति में शामिल है। इसी तरह की रणनीति शिवखोड़ी यात्रियों पर हमले में भी अपनाई गई है। अब प्रश्न यह भी है कि घटना को अंजाम देकर आतंकी कहां जाकर छुप गए होंगे तो जिस तरह की भौगोलिक परिस्थितियों हैं उससे घटनास्थल से अलग-अलग दिशाओं में जंगली रास्तों से होते हुए कालीधार, सुंदरबनी, नौशहरा, राजौरी या फिर ठाकराकोट माहौर तथा उससे आगे पीर पंजाल और फिर घाटी तक भी पहुंचा जा सकता है।

90 के दशक में यह आतंकियों के आने-जाने की पारंपरिक रास्ते रहे हैं। इसके बीच के जंगल में कई पहाड़ी गुफाएं और ऐसी कंधराएं भी है जहां बारिश या फिर किसी भी मौसम में समय गुजारा जा सकता है। हालांकि पुलिस अधिकारी आतंकियों के बारे में कोई अधिक न बताकर इनपुट और सुराग मिलने के आधार पर कार्रवाई आगे बढ़ाने की बात कह रहे हैं।

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