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मां वैष्णो देवी मंदिर से मात्र 80 किमी दूर शिवखोड़ी में पर्यटन का अलग ही आनंद

कोठियां पंचायत के सरपंच नीलम शर्मा ने बताया कि डोगरा संस्कृति को बढ़ावा देने और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कोठियां पंचायत में डोगरा हाट बनाई गई है। हाट पर काम करने वाली उषा देवी ने कहा कि यहां पर्यटकों को देसी व्यंजन खाने को दिए जाते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Sat, 23 Apr 2022 10:41 AM (IST)
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ये सब आपको एक ही छत के नीचे 'डोगरा हाट' में मिलेगा।
जुगल मंगोत्रा, पौनी (जम्मू): करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र मां वैष्णो देवी मंदिर से मात्र 80 किलोमीटर की दूरी पर एक और अनूठा पर्यटन स्थल है जहां भगवान भोलेनाथ के आशीर्वाद के साथ यात्री चूल्हे पर पके डोगरा व्यंजनों का स्वाद भी ले सकते हैं। निकट स्थित कई अन्य रमणीय व धार्मिक स्थल इस स्थान को पर्यटन की दृष्टि से और महत्वपूर्ण बनाते हैं। यह सब उपलब्ध है जम्मू के रियासी जिले में। यहां के रनसू में बाबा का धाम है और कोठियां पंचायत में पर्यटक आस्था के साथ स्थानीयता की भी अनुभूति कर तृप्त होते हैं।

देसी व्यंजन खाएं, लेमन ग्रास का इत्र ले जाएं: क्यूर (मैदा से तैयार), कलाड़ी (दूध से बनी), कढ़ी-पकौड़ी, दाल-चावल, मक्की की रोटी, सरसों का साग, चटनी, जैसे डोगरा व अन्य देसी व्यंजनों का नाम लेते ही मुंह में पानी आना लाजमी है। इन सभी का स्वाद अगर आपको मिट्टी के चूल्हे पर धीमी आंच पर पकने के बाद मिले तो क्या ही कहने। यही नहीं, पेट-पूजा करने के बाद आपके लिए ग्रामीण और नायाब वस्तुओं की खरीदारी का पूरा बंदोबस्त भी है। मिट्टी के बर्तन, हाथों से तैयार की जाने वाली छाबड़ी और लेमन-टी व लेमन ग्रास से तैयार किया गया इत्र आदि भी आप खरीदकर घर ले जा सकते हैं। यह डोगरा हाट स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं चला रही हैं जो रोजगार पाकर आत्मनिर्भर बन रही हैं और पर्यटन को भी मजबूत कर रही हैं।

कई तीर्थ और रमणीय स्थल, पहुंचना है आसान: रियासी जिले में कई तीर्थ और रमणीय स्थल हैं। माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के बाद श्रद्धालु कटड़ा से 10 किलोमीटर की दूरी पर नौ देवी के मंदिर भी जाते हैं। इसके अलावा यहां बाबा धनसर का मंदिर है। यह कटड़ा से 17 किमी दूर स्थित है। रियासी में सिहाड़ बाबा स्थल कटड़ा से 52 किमी दूर है। यहां एक झरना है, जो लगभग 20 मीटर ऊंचा है। फिर बाबा का धाम शिवखोडी है जहां बस, टैक्सी या फिर अपने निजी वाहन से श्रद्धालु आसानी से पहुंच सकते हैं।

भोलेनाथ के आशीर्वाद के साथ लें चूल्हे पर पके डोगरा व्यंजनों का स्वाद।

एक वर्ष पहले हुआ नवाचार: शिवखोड़ी धाम में प्रतिदिन देशभर से आठ से दस हजार श्रद्धालु आते हैं। माता वैष्णो देवी के दर्शन के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु कटड़ा से शिवखोड़ी का रुख करते हैं। लगभग एक वर्ष पहले रियासी की तत्कालीन जिला उपायुक्त इंदु कंवल चिब के सहयोग से कोठियां पंचायत की सरपंच नीलम शर्मा ने क्षेत्र की महिलाओं को रोजगार के साधन उपलब्ध करवाने के लिए स्वयं सहायता समूह बनाया। तय किया गया कि श्रद्धालु रोजाना कटड़ा से पौनी-रनसू मार्ग से होते हुए शिवखोड़ी जाते हैं, इन्हें डोगरा व्यंजनों से रूबरू करवाया जाए। पौनी-रनसू शिवखोड़ी मार्ग पर पौनी से करीब आठ किलोमीटर दूर कोठियां पंचायत में डोगरा हाट बनाई गई। जिस पर करीब 17 लाख रुपये खर्च हुए। हाट पर काम करने वाली दर्शना देवी, वैष्णो, सृष्टा देवी, साक्षी, सुनीता, गीता सुमन ने कहा कि यहां आने वाले पर्यटकों को देसी व्यंजन खाने को दिए जाते हैं। इसमें राजमा-चावल, दही, छाछ, देसी घी में बना गाजर का हलवा, हल्दी, अचार आदि भी शामिल हैैं।

वाकई, डोगरा व्यंजन खाकर मजा आ गया : मुंबई से शिवखोड़ी दर्शन करने के लिए जा रहीं श्रद्धालु रेखा पाटिल, पुरुषोत्तम पाटिल, शांता व सोनी पाटिल ने बताया कि डोगरा हाट पर रुकने के बाद उन्हें देसी और शाकाहारी व्यंजन खाने को मिले। शहरों में इस तरह की खाने-पीने की चीजें नहीं मिलती हैं, लेकिन यहां उन्हें घर जैसे स्वाद के ताजा व्यंजन खाने को मिले तो मजा आ गया।

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