डेंटल विभाग को भूल गई सरकार, 14 साल से स्वास्थ्य विभाग में नहीं निकला एक भी पद; सैंकड़ों डॉक्टर बेरोजगार
जम्मू-कश्मीर में पिछले सालों में चिकित्सा शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सात नए मेडिकल कॉलेज स्थापित किए गए लेकिन इसी शिक्षा का एक अहम भाग डेंटल की ओर किसी का ध्यान नहीं है। सरकार द्वारा इस क्षेत्र में चौदाह साल से स्वास्थ्य विभाग में डेंटल के पद सृजित नहीं किए गए हैं। जिससे लगातार बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है और विद्यार्थियों की रुचि कम हो रही है।
By rohit jandiyalEdited By: Preeti GuptaUpdated: Sun, 24 Sep 2023 01:21 PM (IST)
जम्मू, रोहित जंडियाल। जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ सालों में चिकित्सा शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बेशक सात नए मेडिकल कॉलेज स्थापित किए गए हों, लेकिन इसी शिक्षा का एक अहम भाग डेंटल की ओर किसी का ध्यान नहीं है।
यही कारण है कि बीडीएस करने का अब बच्चे प्राथमिकता नहीं देते। कई बच्चे अगर डेंटल कॉलेज में एडमिशन लेते भी हैं तो बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते हैं। कॉलेज प्रशासन ने प्रशासनिक विभाग से भी इस बारे में बात की लेकिन कोई भी लाभ नहीं हुआ।.
कॉलेज में बढ़ाई सीटें पर रोजगार का अता-पता नहीं
करीब बीस वर्ष पूर्व स्थापित हुए इंदिरा गांधी डेंटल कॉलेज जम्मू में आरंभ में बीडीएस (बैचुलर इन डेंटल सर्जरी) की पच्चीस सीटें होती थी, लेकिन बाद में सरकार ने इन्हें बढ़ाकर पहले पचास तो फिर ईडब्ल्यूएस की 13 सीटें देकर कुल 63 सीटें कर दी।सरकार ने सीटों की संख्या तो बढ़ाई लेकिन रोजगार देने के लिए कोई भी स्पष्ट नीति नहीं बनाई। वर्ष 2008 में अंतिम बाद डेंटल सर्जन के पदों को प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों में भी सृजित कर पदों के लिए अधिसूचना जारी की लेकिन इसके बाद कभी भी सरकारी स्तर पर नौकरियां नहीं निकाली गई।
स्वास्थ्य विभाग में स्थायी रोजगार के लिए नहीं निकले पद
कभी डेंटल कॉलेज में फैकल्टी के तो कभी नेशनल हेल्थ हेल्थ मिशन के तहत इक्का-दुक्का डॉक्टरों को जरूर रोजगार मिला है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग में स्थायी रोजगार के लिए पद नहीं निकले। इस कारण डेंटल की पढ़ाई करने वालों में रोष भी देखने कोे मिला।
गत वर्ष ही बेरोजगार डेंटल सर्जनों ने एक महीने से भी अधिक समय तक विरोध प्रदर्शन किया तो सरकार ने उन्हें निजी क्लीनिक स्थापित करने के लिए आठ लाख रुपयों तक के ऋण की सुविधा देने की घोषणा कर दी, लेकिन रोजगार के लिए कुछ भी नहीं किया।
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