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Sonam Wangchuk: सोनम वांगचुक का अनशन खत्म, लद्दाख को बचाने के लिए कर रहे थे उपवास

लद्दाख में पिघल रहे ग्लेशियरों को बचाने के लिए माइनस 20 तापमान में शिक्षाविद सोनम वांगचुक का पांच दिन का अनशन सोमवार को पांच दिन बाद समाप्त हो गया। लद्दाख को बचाने की मांग करते हुए वांगचुक कड़कड़ाती ठंड में अनशन पर बैठे थे।

By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Mon, 30 Jan 2023 08:19 PM (IST)
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पिछले पांच दिनों से सोनम वांगचुक माइनस तापमान में अनशन कर रहे थे।
जम्मू, जागरण संवादाता। लद्दाख में पिघल रहे ग्लेशियरों को बचाने के लिए माइनस 20 तापमान में शिक्षाविद सोनम वांगचुक का पांच दिन का अनशन लेह में सोमवार शाम को समाप्त हो गया। इसके अलावा वांगचुक लद्दाख को संविधान के छठे शेड्यूल को प्रभावी बनाने की मांग भी कर रहे हैं।

लेह में हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव कैंपस में सोनम के साथ उनके कई समर्थकों ने खुले में उपवास किया। इनमें छठे शेड्यूल को प्रभावी बनाने के मुद्दे पर आंदोलन का नेतृत्व कर लद्दाख अपेक्स बाडी के चेयरमैन व पूर्व सांसद थुप्स्तन छिवांग भी शामिल थे।

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इन मांगों को लेकर सोनम वांगचुक कर रहे थे अनशन

पिछले पांच दिनों से सोनम वांगचुक माइनस तापमान में अनशन कर रहे थे। वांगचुक का अनशन सोमवार को शाम छह बजे खत्म हुआ। वांगुचक के साथ उपवास करने के लिए लेह के खासे लोग सुबह नौ बजे पहुंच गए थे। लद्दाख अपेक्स बाडी के साथ कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस भी लद्दाख के हितों को लेकर अनशन करने वाले सोनम को समर्थन दे रहा है।

कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस ने लद्दाखियों से कहा कि वे लेह व कारगिल में संविधान के छठे शेड्यूल को प्रभावी बनाने, अन्य मुद्दों को लेकर चल रहे आंदोलन के साथ खड़े हों। सोनम का मंगलवार को लेह में स्वागत किया जाएगा। लद्दाख मुद्दों को भी जोरशोर से उठाने की तैयारी की है। वांगचुक के कई समर्थन में इंटरनेट मीडिया पर उनके अनशन को सही ठहराया।

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पर्यावरण से हो रहा खिलवाड़

बता दें कि संविधान के छठे शेड्यूल को प्रभावी बनाकर लद्दाख के हितों के संरक्षण के साथ ग्लेशियरों के पिघलने से पर्यावरण को खतरे है। इसी खतरे की ओर ध्यान दिलाने के लिए वांगचुक 26 जनवरी से लेह में माइनस बीस डिग्री के तापमान में अनशन पर बैठे थे। उन्होंने कैंपस में खुले में बर्फबारी के बीच वाटर प्रूफ हैवी स्लीपिंग बैग, गर्म कपड़ों में अनशन किया।

उनके पास पुलिस ने भी सुरक्षा के लिए अपना टैंट लगाया था। अनशन के दौरान वांगचुक ने लद्दाख प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। उन्होंने लद्दाख में प्रशासनिक अव्यवस्था व अंधेरनगरी होने का आरोप लगाया था। ऐसे में लद्दाख में एकजुट होकर प्रदर्शन करने वाले सभी संगठन उनके समर्थन में आगे आए थे।

सोनम का मानना है कि लद्दाख और अन्य हिमालयी क्षेत्रों को औद्योगिक शोषण से सुरक्षा मिलनी चाहिए। क्योंकि, बढ़ते उद्योगों के चलते पर्यावरण पर इसका प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने लोग मेरा सहयोग नहीं पर्यावरण संरक्षण के लिए कर रहे हैं।

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