पांच सदस्य मनोनीत करने के मामले में सुनवाई से इनकार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हर बात पर यहां नहीं आना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए पांच सदस्यों को मनोनीत करने के उपराज्यपाल के अधिकार को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट जाना चाहिए। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान तारिक हमीद कर्रा ने कहा कि विधानसभा की भूमिका को कम किया जा रहा है। वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संतुष्ट हैं।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। केंद्रीय गृह मंत्रालय की सिफारिश पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए पांच सदस्यों को मनोनीत किए जाने के उपराज्यपाल के अधिकार को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इन्कार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजीव खन्ना के नेतृत्व वाली बेंच ने याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट जाने के लिए कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट जाने को कहा
याचिकाकर्ता व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता रविंद्र शर्मा की तरफ से वरिष्ठ एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत हम मौजूदा याचिका पर सुनवाई से इन्कार करते हैं और याचिकाकर्ता को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हाई कोर्ट जाने की स्वतंत्रता देते हैं।
न्यायाधीश संजीव खन्ना और संजय कुमार ने वरिष्ठ एडवोकेट सिंघवी से कहा कि हाई कोर्ट जाएं, हर चीज सीधे तौर पर यहां पर नहीं आनी चाहिए। सिंघवी की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने कहा कि उपराज्यपाल ने अभी तक कुछ नहीं किया है।
विधानसभा की भूमिका को कम किया जा रहा- कर्रा
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान तारिक हमीद कर्रा ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है कि मामले को पहले हाई कोर्ट में ले जाना चाहिए। अगर जरूरत हो तो फिर सुप्रीम कोर्ट में लाया जा सकता है। उन्होंने कहा इस मामले में हम उपराज्यपाल की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठा रहे हैं कि विधानसभा की भूमिका को कम किया जा रहा है।यह भी पढ़ें- सरकार बनाने के बाद राज्यसभा चुनाव नेकां-कांग्रेस के लिए पहली परीक्षा, कभी भी जारी हो सकती है अधिसूचना
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