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Amarnath Yatra के दौरान सिर्फ स्वास्थ्य प्रमाण पत्र को ही न मान लें जिंदगी की गारंटी, रखें इन बातों का विशेष ध्यान

बाबा अमरनाथ की यात्रा 29 जून से शुरू हो रही है। अमरनाथ की यात्रा करने आ रहे श्रद्धालुओं के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ कई अन्य प्रबंध भी किए गए हैं। अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने यात्रियों के लिए स्वास्थ्य प्रमाण पत्र को अनिवार्य किया है। हृदय रोग विशेषज्ञ डा. नीरज शर्मा ने कहा कि यात्रा करते समय धीरे-धीरे चढ़ाई करें। तेजी से चलने की कोशिश न करें।

By rohit jandiyal Edited By: Rajiv Mishra Updated: Sun, 16 Jun 2024 05:19 PM (IST)
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अमरनाथ यात्रा के दौरान स्वास्थ्य का रखें ध्यान
रोहित जंडियाल,जम्मू। श्री अमरनाथ यात्रा शुरू होने में अब मात्र दो सप्ताह ही शेष रह गए हैं। देश विदेश से लाखों श्रद्धालु यात्रा में आने के लिए अपना पंजीकरण करवा चुके हैं। कई अभी भी करवा रहे हैं। बाबा अमरनाथ श्राइन बोर्ड (Baba Amarnath Shrine Board) और प्रदेश सरकार ने भी श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई प्रबंध किए हुए हैं।

लेकिन इगर आप यात्रा में आ रहे हैं तो आपको अपनी सेहत का ध्यान अभी से रखना चाहिए। सिर्फ स्वास्थ्य प्रमाणपत्र के आधार पर आप अपने आप को यात्रा के लिए फिट न समझे। यात्रा के दोनो मार्ग पहाड़ी और दुर्गम हैं। डाक्टरों का कहना है कि यात्रा में आने से पहले अपने शरीर को इन दुर्गम रास्तों पर चलने के लिए तैयार करें।

श्राइन बोर्ड ने यात्रियों के लिए जारी की है सलाह

बाबा अमरनाथ की यात्रा 29 जून से शुरू हो रही है। स्वास्थ्य विभाग ने हालांकि श्रद्धालुओं के लिए जम्मू-कश्मीर के प्रवेश द्वार लखनपुर से लेकर भवन तक स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रबंध किए हैं लेकिन डाक्टरों का कहना है कि अगर श्रद्धालु यात्रा पर आने से पहले ही अपने आप को यात्रा के लिए तैयार करें तो उन्हें दिक्कतें कम होंगी।

अक्सर यह देखने को मिलता है कि बहुत से लोग पहाड़ी क्षेत्रों में कभी गए नहीं होते हैं और उन्हें चलने की भी आदत नहीं होती। अचानक से जब इन दुर्गम और पहाड़ी क्षेत्रों में आते हैं तो समस्या होने लगती है। हालांकि श्राइन बोर्ड ने भी यात्रियों के लिए सलाह जारी की है लेकिन यात्री इसका अनुसरण नहीं करते हैं।

यात्रा के लिए स्वास्थ्य प्रमाण पत्र अनिवार्य

हृदय रोग विशेषज्ञ डा. नीरज शर्मा का कहना है कि श्राइन बोर्ड ने यात्रा के लिए स्वास्थ्य प्रमाण पत्र को अनिवार्य किया है। लेकिन बावजूद इसके उन्हें वहां के वातावरण के लिहाज से यात्रा करनी चाहिए। यात्रा मार्ग पहाड़ी है। रास्ते में ग्लेशियर है। अचानक तापमान बदल जाता है।

जैसे ही तापमान कम होगा दिल को पंपिंग की अधिक आवश्यकता पड़ती है। लेकिन ऊंचे पहाड़ों में आक्सीजन की कमी के कारण कई बार श्रद्धालुओं को हृदयघात भी हो जाता है। सबसे अच्छा है कि यात्रा करते समय धीरे-धीरे चढ़ाई करें। तेजी से चलने की कोशिश न करें।

आक्सीजन का स्तर देखें और पैदल नहीं चला जाए तो घोड़ों पर जाए। कहीं भी कोई समस्या आए तो तुरंत डाक्टर से जांच करवाएं। जबरदस्ती यात्रा करने का प्रयास न करे। अभी से सैर भी शुरू कर दें।

इन बीमारियों को डॉक्टर से न छिपाएं

यात्रा मार्ग पंजतरणी और बाबा बर्फानी के भवन में दो बार ड्यूटी दे चुके हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. विनोद खजूरिया का कहना है कि यात्रा में जाने से पहले डाक्टर से ईसीजी, ब्लड प्रेशर, मधुमेह की जांच जरूर करवाएं। अपनी बीमारी को न छुपाएं। डाक्टर की सलाह के बिना यात्रा न करें।

यात्रा में पंजीकरण करवा चुके श्रद्धालु अभी से सुबह और शाम को सैर करें। यह भी देखा गया है कि पहले से दवाइयां ले रहे कई श्रद्धालु यात्रा के दौरान दवाई लेना बंद कर देते हैं।

इससे भी स्वास्थ्य बिगड़ने की आशंका रहती है। मधुमेह, अस्थमा, हृदय रोग, ब्लड प्रेशर, सांस संबंधी रोगियों को हो सके तो यात्रा करने से परहेज करना चाहिए।

पिस्सु टाप, गणेश टाप की चढ़ाई आसान नहीं

अमरनाथ यात्रा में जाने के लिए बालटाल और पहलगाम दो मार्ग हैं और दोनो ही कठिन है। पहलगाम मार्ग पर पिस्सु टाप और फिर महागणेश टाप की चढ़ाई श्रद्धालुओं के लिए खतरनाक है।

यही नहीं पंजतरणी से भवन तक का रास्ता भी काफी कठिन है और स्वास्थ्य के लिहाज से यह सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्र हैं। यहीं पर सबसे अधिक मौतें होती हैं। यहां पर आक्सीजन की कमी है। इसमें एक बड़े भाग पर ग्लेशियर है और सभी श्रद्धालुओं को इससे होकर गुजरना पड़ता है।

यात्रा के दौरान यह आ सकती हैं समस्याएं

मन घबराना, उल्टी, थकान, कमजोरी, चक्कर आना, हल्का सिरदर्द, सोने में दिक्कत, मूत्राशय का काम न करना, बेहोश होना, मानसिक अवस्था का बिगड़ना, बेसुधी, सांस लेने में दिक्कत होना, सांस फूलना, सांस चढ़ना, हृदयगति बढ़ना। इन बीमारियों का अगर समय रहते उपचार न किया जाए तो कुछ ही घंटों में जानलेवा साबित हो सकती है।

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अमरनाथ यात्रा के दौरान यह न करें श्रद्धालु

शराब, सिगरेट या किसी नशीली चीज का सेवन न करें। बीमारी का कोई भी लक्षण पाए जाने पर आगे बढ़ने के बजाय नजदीकी बेस कैंप में लौट आएं। आप कुछ देर वहां आराम करें।

श्रद्धालु डाक्टर की सलाह के बिना यात्रा न करें। अभी से हर दिन चार-पांच किलोमीटर सुबह या शाम को सैर करें। योगा में प्राणयाम करें। अगर आप किसी पुरानी बीमारी से ग्रस्त हैं तो यात्रा से पूर्व डाक्टर से जांच अवश्य करवाएं।

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