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Sanskarshala Jammu : बच्चों में अच्छे सस्कार पैदा करना सिर्फ माता-पिता का ही नहीं शिक्षक का भी दायित्व

बच्चों की जिंदगी में शिक्षक की अहमियत बताते हुए कहा कि बच्चों में अच्छे संस्कार पैदा करना सिर्फ माता-पिता का ही कर्तव्य नहीं है बल्कि शिक्षक का दायित्व उनसे कहीं अधिक हैं। बच्चा अपने माता-पिता से कहीं अधिक विश्वास अपने शिक्षक पर करता है।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Updated: Fri, 10 Sep 2021 05:09 PM (IST)
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अब बच्चों में देर से सोने और देर से उठने की आदत भी बढ़ती जा रही है।

जम्मू, जागरण संवाददाता : दैनिक जागरण संस्कारशाला के फेसबुक लाइव कार्यक्रम में जम्मू कश्मीर टीचर्स फाेरम के प्रांतीय प्रधान एवं मिडिल स्कूल बरनाई के हेडमास्टर कुलदीप सिंह बंदराल ने अपने विचार रखे। अपने संबोधन में उन्होंने बच्चों की जिंदगी में शिक्षक की अहमियत बताते हुए कहा कि बच्चों में अच्छे संस्कार पैदा करना सिर्फ माता-पिता का ही कर्तव्य नहीं है बल्कि शिक्षक का दायित्व उनसे कहीं अधिक हैं।

उन्होंने अपने शिक्षक जीवन के अनुभव साझा करे हुए कहा कि बच्चा अपने माता-पिता से कहीं अधिक विश्वास अपने शिक्षक पर करता है। शिक्षक उसे स्कूल में चाहे गलत भी पढ़ा दे, बच्चा उसे ही सही मानेगा और अगर अभिभावक बच्चे को उस गलत को ठीक करने के लिए कहेंगे तो वह नहीं मानेगा। ऐसा इसलिए कि उस बच्चे को अपने शिक्षक पर विश्वास है और ऐसे में शिक्षकों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह बच्चों के उस विश्वास को कभी टूटने न दें।

कुलदीप सिंह बंदराल ने इस मौके पर अभिभावकों को भी सलाह दी कि वह अपने बच्चों पर नजर रखें लेकिन उन पर ज्यादा दबाव न बनाएं। उन्होंने कहा कि कोरोना के इस दौर में बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। अब मोबाइल फोन उनका साथी बन चुका है और बच्चे मोबाइल पर ज्यादा समय बिता रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब बच्चों में देर से सोने और देर से उठने की आदत भी बढ़ती जा रही है। इसका कारण है सोशल मीडिया क्योंकि बच्चे मोबाइल पर ज्यादा समय बीता रहे हैं। उन्होंने बच्चों को भी सलाह दी कि वह मोबाइल पर ज्यादासमय न बिताएं। आनलाइन गेम्स खेलने से परहेज करें क्योंकि उन गेम्स को खेलते हुए कई बच्चों ने अपने माता-पिता का लाखों रुपये लूटा दिया है और कइयों ने अपनी जान तक भी गंवा दी। उन्होंने अभिभावकों को भी सलाह दी कि वे बच्चों के साथ दोस्ताना संबंध रखे। उन पर इतना दबाव न बनाए कि बच्चा झूठ बोलना शुरू कर दें।

बंदराल ने इस मौके पर कहा कि जो माता-पिता अपने बच्चों की हमेशा उंगली पकड़ चलाते हैं, उनके बच्चे जिंदगी में ज्यादा सफल नहीं होते। उन्होंने कहा कि बच्चों को अपने पैरों पर खड़ा करना हर माता-पिता का दायित्च बनता है लेकिन उसे खुद चलने का मौका भी दें। उन्होंने इस मौके पर बच्चों को नशे से दूर रहने की हिदायत देते हुए कहा कि जिस समाज में युवा स्वस्थ होगा, वही समाज तरक्की करेगा। इसके अलावा उन्होंने बच्चों को योग व ध्यान बारे जागरूक करते हुए कहा कि इससे इंसान में एकाग्रता आती है। शरीर में सकारात्मक शक्ति का संचार होता है। उन्होंने बच्चों में अच्छे संस्कार देने बारे कहा कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो हम अपनी संस्कृति को खो देंगे।

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