उमर सरकार और राजभवन के बीच खींचतान शुरू, LG मनोज सिन्हा बोले- संविधान की शपथ लेने वाले दिखा रहे दोहरा चरित्र
जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और राजभवन के बीच खींचतान शुरू हो गई है। उमर और उनकी कैबिनेट के किसी भी सदस्य ने केंद्र शासित प्रदेश के छठे संस्थापना दिवस समारोह में न जाकर साफ कर दिया है कि वह अपने राजनीतिक एजेंडे पर समझौता करने के मूड में नहीं हैं। उनके इस रवैए पर एलजी मनोज सिन्हा ने भी जमकर निशाना साधा।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री पद संभालने पर उमर अब्दुल्ला ने भले कहा था कि वह केंद्रशासित प्रदेश की बेहतरी के लिए राजभवन और केंद्र के साथ मिलकर चलेंगे, लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। उमर सरकार और राजभवन के बीच खींचतान शुरू हो गई है।
उमर और उनकी कैबिनेट के किसी भी सदस्य ने 31 अक्टूबर को केंद्र शासित प्रदेश के छठे संस्थापना दिवस समारोह में न जाकर साफ कर दिया है कि वह अपने राजनीतिक एजेंडे पर समझौता करने के मूड में नहीं हैं।
दूसरी तरफ, उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी बिना नाम लिए कहा कि संविधान की शपथ लेने वाले संविधान की अवज्ञा कर दोहरा चरित्र दिखा रहे हैं। राज्य का दर्जा जम्मू-कश्मीर को मिलेगा और यह केंद्र सरकार ने घोषित कर रखा है। लेकिन, जब तक राज्य का दर्जा नहीं मिलता, तब तक तो यह केंद्र शासित प्रदेश है।
पांच अगस्त 2019 को पारित जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत राज्य को 31 अक्टूबर 2019 को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में पुनर्गठित किया गया था। 31 अक्टूबर को इसके पांच वर्ष पूरे होने पर संस्थापना दिवस समारोह श्रीनगर में शेरे कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में आयोजित किया गया था।
'केंद्रशासित प्रदेश बनना बेइज्जती जैसा'
उपराज्यपाल मुख्य अतिथि थे। इसमें मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, उनकी कैबिनेट के सदस्य व नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक नदारद रहे। कांग्रेस और पीडीपी के नेता भी नजर नहीं आए।उधर, नेकां के प्रांतीय प्रधान और उमर के राजनीतिक सलाहकार नासिर असलम वानी ने कहा कि हमारी संविधान में पूरी आस्था है, लेकिन जम्मू-कश्मीर को राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बनाना तो बेइज्जती जैसा है। हम इसका जश्न कैसे मना सकते हैं।
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हाल ही में कैबिनेट बैठक में उमर ने उपराज्यपाल के पूरे प्रदेश में एक ही शिक्षा सत्र आयोजित करने के वर्ष 2022 के आदेश को बदलते हुए समर व विंटर जोन का अलग-अलग शिक्षा सत्र आयोजित करने का निर्णय लिया था।इसके अलावा उमर ने प्रशासनिक अधिकारियों को एक बैठक में सख्त लहजे में कहा था कि वह यह भूल जाएं कि वह किसी को जवाबदेह नहीं है, जल्द जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल होगा और उस समय उन्हें जवाब देना होगा।जिस दिन जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा छीना गया था, वह खुशियां मनाने वाला दिन नहीं, बल्कि ब्लैक डे है। यह उन लोगों का काम है, जो लोकतंत्र में यकीन नहीं करते। हमें सरकारी तौर पर दावतनामा आया था, लेकिन हम नहीं गए।
-तारिक हमीद करा, जम्मू कश्मीर कांग्रेस के प्रधान