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जम्मू संभाग को फिर अशांत करने का आतंकियों ने रचा षड्यंत्र, इस साल 18 सुरक्षाकर्मी हुए हैं बलिदान

जम्मू संभाग में आतंकी हिंसा ने फिर से अपना सिर उठा लिया है। इस वर्ष आठ जिलों में आतंकियों ने 14 लोगों की हत्या कर दी है। जम्मू संभाग में इस साल 18 सुरक्षाकर्मियों ने अपनी जान गंवाई है। वहीं 13 आतंकियों को भी मार गिराया गया है। सुरक्षाबलों ने व्यापक अभियान चला रखा है। इस अभियान में पुलिस और सेना शामिल है।

By naveen sharma Edited By: Rajiv Mishra Updated: Tue, 12 Nov 2024 07:19 AM (IST)
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एक बार फिर आतंकियों के चपेट में आने लगा जम्मू संभाग (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू संभाग को आतंकियों ने एक बार फिर हिंसा की चपेट में लाकर अशांत करने का षड्यंत्र रचा है। मौजूदा वर्ष में संभाग के आठ जिलों में आतंकी कोई न कोई वारदात कर चुके हैं। इन जिलो में आतंकियों ने 14 आम लोगों की हत्या की है।

संभाग के सिर्फ दो ही जिले रामबन और सांबा बचे हैं, जहां सुरक्षाबलों ने आतंकियों को फटकने नहीं दिया। किश्तवाड़ में आतंकियों ने सात नवंबर को दो वीडीजी सदस्यों की अपहरण कर हत्या कर दी थी।

इन्हीं हत्यारे आतंकियों को मार गिराने के अभियान में रविवार को सेना की स्पेशल फोर्स के पैरा कमांडो नायब सूबेदार राकेश कुमार बलिदान हुए हैं।

इस वर्ष 18 सुरक्षाकर्मी बलिदान

जम्मू संभाग में इस वर्ष आतंकी हिंसा में 18 सुरक्षाकर्मी बलिदान हुए हैं। 13 आतंकी मारे गए हैं और 14 आम लोगों को आतंकियों के हाथों जान गंवानी पड़ी। जम्मू संभाग में सिर उठा रहे आतंक को कुचलकर पूरे क्षेत्र को आतंक मुक्त बनाकर सुरक्षित व शांत वातावरण बहाल करने के लिए सुरक्षाबलों ने व्यापक अभियान चला रखा है। इस अभियान में पुलिस, केंद्रीय अर्धसैन्यबल और सेना शामिल है।

जम्मू संभाग में हैं 10 जिले

जम्मू-कश्मीर में 20 जिले हैं। इनमें से 10 जिले कश्मीर में और 10 जम्मू संभाग में हैं। जम्मू संभाग भी आतंकी हिंसा से प्रभावित रहा है, लेकिन आठ-दस वर्ष पहले यह आतंकी हिंसा से लगभग मुक्त हो चुका था।

कभी-कभार राजौरी-पुंछ या डोडा में आतंकी सिर उठाने की कोशिश करते थे। सामान्य तौर पर जम्मू संभाग को आतंकी हिंसा से मुक्त माना जाने लगा था। अब बीते चार वर्ष में यह एक बार फिर आतंकियों ने इसे निशाना बनाना शुरू कर दिया है।

इन दो जिलों में नहीं हुई आतंकी वारदात

एलओसी के साथ सटे राजौरी-पुंछ जिले में आतंकियों ने पहले कुछ सनसनीखेज वारदात कीं और उसके बाद जम्मू संभाग के अन्य जिलों में भी सुरक्षाबलों को निशाना बनाया। जम्मू संभाग में सिर्फ रामबन और सांबा ही दो जिले ऐसे हैं, जहां इस वर्ष कोई आतंकी वारदात नहीं हुई।

जम्मू संभाग आतंकियों द्वारा सीमा पार से हथियारों की तस्करी व घुसपैठिये आतंकियों को सुरक्षित कश्मीर तक पहुंचाने किए एक सुरक्षित ठिकाने और रूट की तरह ही इस्तेमाल किया जा रहा है। अन्य आठ जिले डोडा, किश्तवाड़, ऊधमपुर, कठुआ, रियासी, राजौरी, पुंछ, जम्मू में आतंकी हमले कर चुके हैं।

आठ जिलों में इतनों की जान गई

डोडा, कठुआ और रियासी जिले में प्रत्येक में नौ लोगों की मौत आतंकी हिंसा में हुई। किश्तवाड़ में पांच, ऊधमपुर में चार और राजौरी में तीन, पुंछ में दो और जम्मू जिले में तीन लोगों की जान गई।

मृतकों में 18 सुरक्षाकर्मी और 13 आतंकी व 14 नागरिक हैं। मारे गए 14 लोगों में रियासी के शिवखोड़ी में मारे गए सात श्रद्धालु और तीन वीडीजी सदस्य भी हैं।

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इस वर्ष जम्मू संभाग में 18 सुरक्षाकर्मी बलिदान

इस वर्ष जम्मू संभाग में बलिदान हुए 18 सुरक्षाकर्मियों में सात कठुआ में बलिदान हुए। पांच डोडा में, तीन सुरक्षाकर्मी किश्तवाड़ में और दो पुंछ व एक ऊधमपुर में बलिदान हुआ।

जम्मू में तीन आतंकी मारे गए हैं जो गत अक्टूबर में अखनूर सेक्टर से घुसे थे। चार आतंकी जिला डोडा में, दो आतंकी कठुआ में, दो ऊधमपुर में और दो राजौरी में मारे गए हैं।

संभाग में 55 आतंकी सक्रिय, ज्यादातर जवानों पर ही निशाना

सुरक्षा अधिकारी के मुताबिक संभाग में 50-55 आतंकी सक्रिय है। इनमें से अधिकांश विदेशी हैं और उनका संबंध जैश-ए-मोहम्मद के मुखौट संगठन कश्मीर टाइगर्स और पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट के अलावा लश्कर-ए-तैयबा से है। आतंकी हमलों मे तेजी अक्टूबर 2021 के बाद देखी गई है। इस दौरान आतंकियों ने ज्यादातर मामलों में सेना के जवानों को ही निशाना बनाया है।

व्यापक आतंकरोधी अभियान चलाया जा रहा

आतंकियों के सफाये पर संबंधित अधिकारियों ने बताया कि व्यापक अभियान चलाया गया है। उन इलाकों को चिह्नित कर आतंकियों के खिलाफ खोजो और मारो अभियान चलाए जा रहे हैं, जहां उनकी गतिविधियों की सूचना है। सभी संवेदनशील इलाकों में अस्थायी नाके व चौकियां बना रात की गश्त बढ़ाई गई है।

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