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J&K Election: आजाद के साथ गए कांग्रेसियों की वापसी की नहीं मिली खुली राह, अब निर्दलीय मैदान में उतरे

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कांग्रेस की टेंशन कभी उसके अपने रहे नेता ही बढ़ा रहे हैं। पूर्व सीएम गुलाम नबी आजाद के साथ कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं की फिर कांग्रेस में जाने की कोशिश पूरी नहीं हो सकी। अब ये नेता निर्दलीय उतरने की तैयारी कर रहे हैं। बता दें कि गुलाम नबी आजाद साल 2022 में कांग्रेस से अलग होकर अपनी अपनी नई पार्टी बनाई थी।

By satnam singh Edited By: Rajiv Mishra Updated: Wed, 04 Sep 2024 11:53 AM (IST)
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आजाद के करीबी नेताओं ने बढ़ाई कांग्रेस की टेंशन (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू क्षेत्र में भाजपा के खिलाफ खड़ी होने के लिए प्रयासरत कांग्रेस की चिंता पुराने कांग्रेसी ही चिंता बढ़ा रहे हैं। पार्टी छोड़कर गुलाम नबी आजाद के साथ गए करीब आधा दर्जन नेताओं की चुनाव से ठीक पहले घर वापसी की कोशिशें सिरे नहीं चढ़ पाई और अब यह नेता निर्दलीय चुनाव में दम ठोंक रहे हैं।

'अपने' ही बढ़ा रहे कांग्रेस की परेशानी

तीन बार के विधायक जीएम सरूरी अपनी परंपरागत इंद्रवाल सीट से निर्दलीय मैदान में उतर चुके हैं और चार से पांच और नेता इसकी तैयारी में हैं। ऐसे में स्पष्ट है कि पार्टी को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। एक ओर भाजपा से जूझने का प्रयास कर रही है और दूसरी ओर उसके 'अपने' परेशानी बढ़ा रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस की रणनीति पर असर पड़ना लाजिमी है।

लोकसभा चुनाव में भी कुछ खास नहीं कर पाई आजाद की पार्टी

यहां बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से अलग राह पकड़कर वर्ष 2022 में डीपीएपी (डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी) का गठन किया। उनके साथ एक दर्जन के करीब पुराने कांग्रेस नेताओं ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया। लोकसभा चुनाव में डीपीएपी मैदान में उतरी पर कुछ खास नहीं कर पाई। पूर्व उपमुख्यमंत्री ताराचंद, पूर्व विधायक बलवान सिंह समेत कुछ नेताओं ने परिस्थितियां भांप कांग्रेस में वापसी कर ली। करीब आधा दर्जन नेताओं के विधानसभा चुनाव से पूर्व पार्टी में लौटने की अटकलें चलती रहीं पर मामला सिरे नहीं चढ़ पाया।

खुद कंफ्यूजन में दिखे आजाद

गुलाम नबी आजाद भी स्वयं असमंजस में ही दिखे। कांग्रेस भी उनके समर्थकों की पार्टी में वापसी को लेकर स्थिति तय नहीं कर पाई और ऐसे में यह नेता निर्दलीय उतरने की तैयारी कर चुके हैं। यह वह सब नेता हैं जो आजाद के काफी करीबी माने जाते रहे हैं।

आलाकमान तक पहुंची थी बात

कांग्रेस नेता कहते हैं कि डीपीएपी के नेताओं ने वापसी की कोशिश की लेकिन पार्टी हाईकमान ने विधानसभा चुनाव में अपना स्पष्ट रवैया दिखाया। वहीं एक धड़ा यह भी कह रहा है कि निश्चित तौर पर इससे कांग्रेस को कुछ सीटों का नुकसान हो सकता है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस भले ही वोट प्रतिशत बढ़ाने में सफल रही पर करीब सात विधानसभा क्षेत्रों में ही पार्टी की बढ़त दिखी।

यह नेता कर रहे थे प्रयास

जीएम सरूरी के अलावा पूर्व मंत्री जुगल किशोर, पूर्व एमएलसी सुभाष गुप्ता, पूर्व बीडीसी अध्यक्ष ब्रिजेश्वर सिंह। एक अन्य नेता मनोहर लाल की वापसी की अटकलें अभी जारी हैं।

पूर्व मंत्री जुगल किशोर

पूर्व मंत्री जुगल किशोर डीपीएपी के जम्मू संभाग के प्रधान थे। वह रियासी से कांग्रेस के विधायक रहे हैं। एमएलसी और पीडीपी-कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रहे। कांग्रेस में जाकर वह रियासी से चुनाव लड़ने के इच्छुक थे, पर बात नहीं बनी। अब वह रियासी से निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं।

रियासी से कांग्रेस ने मुमताज खान को मैदान में उतार दिया है। रियासी से उतरते हैं तो वह कांग्रेस के लिए कुछ मुश्किलें ला सकते हैं। इस सीट पर भाजपा ने कुलदीप राज दुबे मैदान में हैं।

पूर्व एमएलसी सुभाष गुप्ता

नेकां-कांग्रेस गठबंधन सरकार में सुभाष गुप्ता एमएलसी रहे हैं। वह भी आजाद के साथ चले गए थे। वहां उम्मीदें पूरी नहीं होते देख अब वह कांग्रेस में वापसी की आस में पहुंचे, लेकिन बात नहीं बनी।

अगर कठुआ की हीरानगर सीट से टिकट चाहते थे। फिलहाल असमंजस में हैं कि क्या करें। अलबत्ता, उनके समर्थक बताते हैं कि वह भी निर्दलीय मैदान में उतरने की तैयारी में हैं।

ब्रिजेश्वर सिंह

कांग्रेस छोड़कर डीपीएपी में गए ब्रिजेश्वर सिंह के जसरोटा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। वह कठुआ जिले के रहने वाले हैं। वह ब्लाक विकास परिषद बरनोटी के अध्यक्ष रहे हैं। उनका जसरोटा विधानसभा क्षेत्र में काफी प्रभाव बताया जाता है।

जीएम सरूरी

किश्तवाड़ की इंद्रवाल विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उतरे जीएम सरूरी तीन बार 2002, 2008 और 2014 में कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं। नेकां-कांग्रेस व पीडीपी-कांग्रेस गठबंधन सरकार में मंत्री रहे। सरूरी ने डीपीएपी से ऊधमपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था किंतु बुरी तरह से हार गए थे।

जब उनकी कांग्रेस में वापसी नहीं हुई तो निर्दलीय उतरे। कांग्रेस के शेख जफरुल्ला और भाजपा के तारिक हुसैन कीन से उनका मुकाबला है, लेकिन नेकां के बागी प्यारे लाल शर्मा भी चुनाव मैदान में है। अब कांग्रेस और सरूरी एक-दूसरे को नुकसान पहुंचाते दिख रहे हैं।

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मनोहर लाल की हो रही वापसी

पूर्व मंत्री डॉ. मनोहर लाल शर्मा की कांग्रेस में वापसी हो रही है। वह कठुआ जिले की बिलावर सीट से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। मनोहर लाल ने कांग्रेस में शामिल हुए बिना पिछले संसदीय चुनाव में पार्टी के लिए कार्य किया था।

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