J&K Election: आजाद के साथ गए कांग्रेसियों की वापसी की नहीं मिली खुली राह, अब निर्दलीय मैदान में उतरे
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कांग्रेस की टेंशन कभी उसके अपने रहे नेता ही बढ़ा रहे हैं। पूर्व सीएम गुलाम नबी आजाद के साथ कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं की फिर कांग्रेस में जाने की कोशिश पूरी नहीं हो सकी। अब ये नेता निर्दलीय उतरने की तैयारी कर रहे हैं। बता दें कि गुलाम नबी आजाद साल 2022 में कांग्रेस से अलग होकर अपनी अपनी नई पार्टी बनाई थी।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू क्षेत्र में भाजपा के खिलाफ खड़ी होने के लिए प्रयासरत कांग्रेस की चिंता पुराने कांग्रेसी ही चिंता बढ़ा रहे हैं। पार्टी छोड़कर गुलाम नबी आजाद के साथ गए करीब आधा दर्जन नेताओं की चुनाव से ठीक पहले घर वापसी की कोशिशें सिरे नहीं चढ़ पाई और अब यह नेता निर्दलीय चुनाव में दम ठोंक रहे हैं।
'अपने' ही बढ़ा रहे कांग्रेस की परेशानी
तीन बार के विधायक जीएम सरूरी अपनी परंपरागत इंद्रवाल सीट से निर्दलीय मैदान में उतर चुके हैं और चार से पांच और नेता इसकी तैयारी में हैं। ऐसे में स्पष्ट है कि पार्टी को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। एक ओर भाजपा से जूझने का प्रयास कर रही है और दूसरी ओर उसके 'अपने' परेशानी बढ़ा रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस की रणनीति पर असर पड़ना लाजिमी है।
लोकसभा चुनाव में भी कुछ खास नहीं कर पाई आजाद की पार्टी
यहां बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से अलग राह पकड़कर वर्ष 2022 में डीपीएपी (डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी) का गठन किया। उनके साथ एक दर्जन के करीब पुराने कांग्रेस नेताओं ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया। लोकसभा चुनाव में डीपीएपी मैदान में उतरी पर कुछ खास नहीं कर पाई। पूर्व उपमुख्यमंत्री ताराचंद, पूर्व विधायक बलवान सिंह समेत कुछ नेताओं ने परिस्थितियां भांप कांग्रेस में वापसी कर ली। करीब आधा दर्जन नेताओं के विधानसभा चुनाव से पूर्व पार्टी में लौटने की अटकलें चलती रहीं पर मामला सिरे नहीं चढ़ पाया।खुद कंफ्यूजन में दिखे आजाद
गुलाम नबी आजाद भी स्वयं असमंजस में ही दिखे। कांग्रेस भी उनके समर्थकों की पार्टी में वापसी को लेकर स्थिति तय नहीं कर पाई और ऐसे में यह नेता निर्दलीय उतरने की तैयारी कर चुके हैं। यह वह सब नेता हैं जो आजाद के काफी करीबी माने जाते रहे हैं।
आलाकमान तक पहुंची थी बात
कांग्रेस नेता कहते हैं कि डीपीएपी के नेताओं ने वापसी की कोशिश की लेकिन पार्टी हाईकमान ने विधानसभा चुनाव में अपना स्पष्ट रवैया दिखाया। वहीं एक धड़ा यह भी कह रहा है कि निश्चित तौर पर इससे कांग्रेस को कुछ सीटों का नुकसान हो सकता है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस भले ही वोट प्रतिशत बढ़ाने में सफल रही पर करीब सात विधानसभा क्षेत्रों में ही पार्टी की बढ़त दिखी।यह नेता कर रहे थे प्रयास
जीएम सरूरी के अलावा पूर्व मंत्री जुगल किशोर, पूर्व एमएलसी सुभाष गुप्ता, पूर्व बीडीसी अध्यक्ष ब्रिजेश्वर सिंह। एक अन्य नेता मनोहर लाल की वापसी की अटकलें अभी जारी हैं।
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